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जुर्माना लगाकर खोला इंडियन पैथालॉजी का सील, फिर पंजीकरण में दिखाई दरियादिली

Siddhart-nagar News - 15 एसआईडीडी 01: सीएमओ कार्यालय। त सील खुलते ही कूटरचित दस्तावेज से करा लिया पैथालॉजी का पंजीकरण सिद्धार्थनगर। सुजीत अग्रहरि स्वास्थ्य विभाग के नैदानिक

Newswrap हिन्दुस्तान, सिद्धार्थWed, 16 April 2025 02:19 AM
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जुर्माना लगाकर खोला इंडियन पैथालॉजी का सील, फिर पंजीकरण में दिखाई दरियादिली

सिद्धार्थनगर, हिटी।

स्वास्थ्य विभाग के नैदानिक स्थापना में मिलीभगत से चल रहे फर्जीवाड़े का खेल परत दर परत उजागर हो रहा है। जनपद के इटवा ब्लॉक क्षेत्र में संचालित इंडियन पैथालॉजी जून 2023 में अवैध रूप से चलता मिलने पर सील किया गया था। इस पैथालॉजी पर बड़ा एक्शन लेने की बजाए विधिक राय लेकर जुर्माने के साथ राहत दे दी गई। सील खुलते ही दरियादिली दिखाकर पैथालॉजी को पंजीकृत कर दिया गया। जांच में पंजीकरण के लिए दिया गया दस्तावेज कूटरचित होने का खुलासा हुआ है। इसे लेकर जांच टीम ने नोडल अधिकारी व पटल सहायक के कर्त्तव्यों पर सवाल खड़े किए हैं।

दरअसल, इटवा में बिना पंजीकरण के अवैध रूप से संचालित इंडियन पैथालॉजी को पांच जून 2023 को सील किया गया था। पैथालॉजी सील होने के लगभग एक वर्ष बाद 25 जून 2024 को संचालक जहीर अहमद ने सील खोलने के लिए सीएमओ कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया। जिस पर विधिक राय ली गई। इसमें शासकीय अधिवक्ता ने जुर्माना लगाकर पैथालॉजी खोलने में किसी भी प्रकार की विधिक अड़चन न होने की राय दी। इसके बाद सीएमओ ने 10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाकर सील खोलने की अनुमति दे दी और अवैध ढंग से संचालित मिले पैथालॉजी पर बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी। सील खुलने के बाद पंजीकरण को लेकर दरियादिली दिखाई गई। इंडियन पैथालॉजी का पंजीकरण करने के लिए आठ अक्टूबर 2024 को ऑनलाइन आवेदन सीएमओ कार्यालय को प्राप्त हुआ। इसमें प्रबंधक द्वारा एमबीबीएस, एमडी पैथ डॉ. अजय कुमार द्विवेदी का कूटरचित तरीके से तैयार शपथ पत्र व डिग्री लगा दी गई। इसके बाद 24 अक्टूबर 2024 को पैथालॉजी का पंजीकरण कर दिया गया। डॉ. द्विवेदी ने इस फर्जीवाड़ा की जानकारी होने पर तीन फरवरी 2025 को सीएमओ कार्यालय को प्रार्थनापत्र देकर बताया कि वह इंडियन पैथालॉजी में पंजीकरण नहीं कराए हैं। वह न तो नोडल के सामने उपस्थित हुए हैं और न ही पैथालॉजी को जानते हैं और न ही कभी गए हैं। उनके इस पत्र देने के 17 दिनों बाद यानी 20 फरवरी को इंडियन पैथालॉजी इटवा का पंजीकरण निरस्त किया गया और संचालक को प्रतिष्ठान बंद करने का निर्देश दिया गया, बावजूद 27 फरवरी को जांच टीम के निरीक्षण के समय पैथालॉजी खुला पाया गया। इसे जांच टीम ने मौखिक रूप से बंद करने का निर्देश दिया।

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बिना पैथालॉजिस्ट जारी हो रही थी रिपोर्ट

जांच टीम में शामिल अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार व उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वीएन चतुर्वेदी ने 27 फरवरी को इंडियन पैथालॉजी इटवा का निरीक्षण किया। निरीक्षण में मौके पर बिना पैथालॉजिस्ट के जांच की जा रही थी और रिपोर्ट भी जारी हो रही थी। यह सारी चीजें जांच टीम को मौके पर मिला है।

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सामान हटाने को मिलती है विधिक राय

विभागीय अधिकारी ने बताया कि विधिक राय लेने पर शासकीय अधिवक्ता कई बिंदुओं का ख्याल रखते हैं। सील केंद्र किराए के भवन में चल रहा है। ऐसी स्थिति में प्रबंधक को किराया देना पड़ रहा है। उसे किराया न देना पड़े इसे ध्यान में रखते हुए सील को खोलकर सामान हटाने की बात कही जाती है न की सील केंद्र को खोलने के बाद फिर से पंजीकरण का निर्देश दिया जाता है।

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इटवा में संचालित इंडियन पैथालॉजी कूटरचित दस्तावेज पर चलता मिला है। इस संदर्भ में जांच की गई है। जांच में नैदानिक स्थापना के नोडल अधिकारी डॉ. संजय कुमार गुप्त व पटल सहायक संजय कुमार वर्मा द्वारा सत्यनिष्ठा से कर्त्तव्यों का पालन न करने की पुष्टि हुई है। प्रबंधक भी दोषी मिले हैं। प्रकरण की जांच आख्या सीएमओ को सौंप दी गई है। उन्हीं के स्तर से कार्रवाई होनी है।

डॉ. प्रमोद कुमार, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी/जांच अधिकारी

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