बच्चों को क्लास में मोबाइल पर पॉर्न दिखाने वाले टीचर को अदालत ने सुनाई 3 साल की सजा; जुर्माना भी लगा
नाबालिग बच्चों को मोबाइल पर पॉर्न वीडियो दिखाने के आरोप में आरोपित वहीद अहमद पर दोषसिद्ध पाया। उसे 3 साल की जेल की सजा सुनाई और 8000 रुपये का अर्थदंड लगाया। इसमें 4 हजार रुपये पीड़ित को मानसिक आघात की पूर्ति के लिए दिए जाने का आदेश दिया।

यूपी के प्रतापगढ़ जिले की एक कोचिंग में पढ़ाने की जगह बच्चों को पॉर्न वीडियो दिखाने वाले शिक्षक को कोर्ट ने तीन साल की जेल की सजा सुनाई है। साथ ही आठ हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। जिले के जेठवारा के डेरवा बाजार स्थित कोचिंग में 12 मार्च 2016 को बच्चे पढ़ने गए थे। बच्चों ने घर पहुंचकर बताया कि कोचिंग के शिक्षक ने क्लासरूम में मोबइल पर पॉर्न वीडियो दिखाया। बच्चों ने यह भी बताया कि आरोपित क्लास में उनके साथ अश्लील हरकत करता है। मामले में बच्चों के अभिभावक की ओर से कोचिंग के शिक्षक डेरवा सबलगढ़ निवासी वहीद अहमद के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था।
मामले की सुनवाई करते हुए अपर जनपद न्यायाधीश/ पॉक्सो एक्ट की विशेष न्यायाधीश पारुल वर्मा ने नाबालिग बच्चों को मोबाइल पर पॉर्न वीडियो दिखाने के आरोप में आरोपित वहीद अहमद पर दोषसिद्ध पाया। उसे तीन वर्ष के जेल की सजा सुनाई और आठ हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। इसमें चार हजार रुपये पीड़ित को मानसिक आघात की पूर्ति के लिए दिए जाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा, शिक्षक का कर्तव्य है कि वह बच्चों को उनकी समझ के अनुसार पढ़ाते हुए धैर्य, स्नेह से मार्गदर्शन देते हुए अच्छा व्यवहार सिखाए। ऐसा न करने से बच्चों का न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक विकास भी प्रभावित हुआ है। राज्य की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक देवेशचंद्र त्रिपाठी ने की।
दुष्कर्म के आरोपित बरी, कथित पीड़िता पर होगा केस
वहीं एक अन्य मामले में पॉक्सो अधिनियम विशेष अदालत की न्यायाधीश पारुल वर्मा ने कथित पीड़िता के बयान बदलने के बाद दुष्कर्म के दो आरोपितों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कथित पीड़िता पर केस दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा कि सरकार की योजना से दी गई सात लाख रुपये की आर्थिक सहायता वापस कराई जाए। रानीगंज थाना क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग ने 2015 में पड़ोस गांव के दो लोगों के खिलाफ अपहरण कर दुराचार का मुकदमा दर्ज कराया था। मामले की सुनवाई पॉक्सो अधिनियम की विशेष अदालत में चल रही थी। शासन की गाइडलाइन के अनुसार पॉक्सो अधिनियम की पड़िता को 10 माह बाद रानीलक्ष्मी बाई सम्मान योजना में करीब सात लाख रुपये की अर्थिक सहायता दी गई थी।
पुलिस की जांच में विवेचक को पूरा प्रकरण संदिग्ध लगा। इधर नामजद आरोपितों के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप में कोई पर्याप्त सबूत नहीं मिला। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अचानक पीड़िता आरोप से मुकर गई। कोर्ट ने आरोपितों को दोषमुक्त करते हुए पीड़िता के ही खिलाफ अधिनियम के अनुसार एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि मुकदमा दर्ज होने के बाद शासन की ओर से वादी को दी गई अर्थिक सहायता की रिकवरी कराई जाए। पुलिस के अनुसार दोषमुक्त किए गए दोनों आरोपित केस दर्ज होने के बाद करीब छह माह तक जेल में बंद थे।