जय श्रीराम के जयकारे के बीच राम मंदिर के शिखर पर 42 फुट ऊंचा ध्वज दंड स्थापित
अयोध्या में आज राम मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वज दंड स्थापित किया गया। इसकी जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से दी गई। कार्यक्रम की कुछ फोटो भी इसके साथ साझा की गईं।

अयोध्या में आज राम मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वज दंड स्थापित किया गया। इसकी जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से दी गई। कार्यक्रम की कुछ फोटो भी इसके साथ साझा की गईं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि अक्षय तृतीया से पहले परशुराम जयंती के मौके पर राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वज दंड स्थापित हुआ।
चंपत राय ने जानकारी देते हुए कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल द्वितीया को सुबह 8 बजे 42 फीट लंबा ध्वजदंड स्थापित किया गया। ध्वजदंड स्थापित करने की प्रक्रिया सुबह 6:30 बजे शुरू हुई और 8:00 बजे समपन हुई। बता दें कि शिखर कलश सहित मंदिर की ऊंचाई 161 फीट है, इसमें 42 फीट का ध्वजदंड भी जोड़ा गया है। गौरतलब हो कि, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है। मंदिर का शिखर बनकर तैयार हो चुका है और ध्वज-स्तंभ स्थापित हो चुके हैं।
राम हर्षण कुंज में तीन दिवसीय पाटोत्सव का शुभारम्भ
रामनगरी के सिद्ध संत स्वामी राम हर्षण दास जनकनंदिनी सीता जी के बड़े भाई लक्ष्मी निधि का अवतारी माना जाता है। उनके द्वारा संस्थापित मंदिर रामहर्षण कुंज में जनकनंदिनी किशोरी का प्राकट्योत्सव व रक्षाबंधन महोत्सव विशेष रूप से मनाया जाता रहा है। इस मंदिर में भगवान श्रीसीताराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा अक्षय तृतीया को हुई थी। इस दृष्टि से यहां तीन दिवसीय पाटोत्सव की शुरुआत सोमवार से हो गयी है। इस क्रम में पहले दिन विविध ग्रंथों के पारायण के साथ विराजमान भगवान का अभिषेक कर पूजन किया गया।
श्रीराम महायज्ञ की तैयारियां शुरू
दशरथ राजमहल बड़ा स्थान वैष्णव परम्परा में बिंदु सम्प्रदाय की आचार्य पीठ कहलाती है। ऐसी किंवदंती है कि यहां के प्रथम आचार्य स्वामी राम प्रसादाचार्य ने जनकनंदिनी किशोरी जी का साक्षात्कार किया था और किशोरी जी ने ही माथे पर बिंदु टीका लगाया था जो आजीवन अमिट रहा। इसके कारण इस पीठ के उत्तराधिकारी को बिंदु गद्याचार्य की उपाधि से विभूषित किया गया है। इस परम्परा में दीक्षित संत तीन उर्ध्व पुंड के मध्य में बिंदू का तिलक करते हैं। यहां के सभी आचार्य युगल उपासना तो करते हैं। इसके साथ किशोरी जी के साथ विशेष सम्बन्ध भी मानते हैं। इसके चलते यहां बैसाख शुक्ल तृतीया यानि अक्षय तृतीया से श्रीराम महायज्ञ का आयोजन परम्परा से मखभूमि (मखौड़ा धाम) में किया जाता है।