अयोध्या में राम मंदिर में 6 मई को माता सीता प्राकट्योत्सव मनाने की तैयारी, होगा 84 कोसी परिक्रमा का समापन
राम नवमी के ठीक एक माह बाद जानकी नवमी तिथि आ रही है। यह तिथि छह मई को मनाई जाएगी। इस तिथि पर जगतजननी माता सीता का प्राकट्योत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इस अवसर पर राम मंदिर सहित सभी वैष्णव मंदिरों में देवी मां का प्राकट्य उत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा।

राम नवमी के ठीक एक माह बाद जानकी नवमी तिथि आ रही है। यह तिथि छह मई को मनाई जाएगी। इस तिथि पर जगतजननी माता सीता का प्राकट्योत्सव हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इस अवसर पर राम मंदिर सहित सभी वैष्णव मंदिरों में देवी मां का प्राकट्य उत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा। उपासना के दृष्टिगत आयोजित होने वाले इस उत्सव को मनाने की परम्परा अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग हैं। राम मंदिर में भी परम्परागत उत्सव मनाया जाएगा लेकिन यहां अभी अलग-अलग उत्सवों को मनाने की प्रक्रिया व कार्यक्रम निर्धारित नहीं है। इसका निर्धारण धार्मिक न्यास समिति करेगी जिसे राम मंदिर का निर्माण पूरा होने के बाद लागू किया जाएगा।
उधर राम मंदिर के प्रथम तल पर श्रीराम दरबार के विग्रह की प्रतिष्ठा होनी है जिसमें राम-लक्ष्मण व माता सीता के साथ हनुमान जी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा राम मंदिर में सीता रसोई की भी स्थापना की गयी है। भगवान का भोग प्रसाद यहां बनेगा। अस्थाई सीता रसोई राम निवास मंदिर में चल रही है। वास्तु शास्त्र के लिहाज से सीता रसोई का स्थान आग्नेय कोण में होना चाहिए। जो कि परकोटे का दक्षिण पूर्व कोना है। इसके उसी के इर्द-गिर्द स्थाई रूप से सीता रसोई के निर्माण पर मंथन किया जा रहा है। इस बीच यहां निकट में स्थाई कथा मंडप या पंडाल के निर्माण का प्रस्ताव एल एण्डटी की ओर से दिया जा चुका है।
84 कोसी परिक्रमा को जानकी नवमी पर मिलेगा विराम
वैसाख कृष्ण प्रतिपदा को मखौड़ा धाम से शुरू हुई रामनगरी की 84 कोसी परिक्रमा अयोध्या के सीताकुंड में जानकी नवमी को विराम पाएगी। इसके दो दिन पहले से ही परिक्रमार्थियों का जत्था सरयू तट पर पहुंचने लगेगा। यहां रात्रि विश्राम के बाद परिक्रमार्थी गण रामकोट की परिक्रमा कर सीता कुंड दर्शन पूजन करेंगे। यहां सबसे अंतिम जत्था महंत गया दास के नेतृत्व में सीता कुंड में ही परिक्रमा को विराम देकर रामार्चा का पूजन करेगा और फिर रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन श्रद्धालुओं की विदाई कराएगा।