बोले काशी : बहेगी गोरस की धार बशर्ते न्याय पंचायतों तक सुविधाएं दे सरकार
Varanasi News - वाराणसी में बनास डेयरी ने पशुपालकों के सपने जगाए हैं, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वे श्वेत क्रांति का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं। पशुपालकों ने चारागाहों, तालाबों और पशु एंबुलेंस की सुविधा की मांग...
वाराणसी। बनास डेयरी ने पशुपालकों के सपने जगाए हैं। अनेक के सपने सजने भी लगे हैं मगर बहुतायत उनकी है जो गुजरात की तरह बनारस में भी श्वेत क्रांति का सपना पाले हुए हैं मगर उन्हें जरूरी संसाधन और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। उनका कहना है कि न्याय पंचायतों तक चारा-पानी और दवा का समुचित इंतजाम किया जाए। उन्नत प्रजातियों के दुधारू पशुओं के भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र बनें। तालाबों और चारागाहों का अस्तित्व बहाल हो, सभी ब्लॉक में पशु एंबुलेंस चलें तो जिले में भी गोरस की धार प्रवाहित होगी। बनारस दूध और उससे बने उत्पादों (मिठाइयां छोड़कर) का बड़ा केंद्र बन चुका है।
शहर विस्तार, बढ़ती आबादी के साथ डेयरियों की बढ़ती व्यावसायिक गतिविधियों के चलते दुग्ध उत्पादक किसानों की पूछ भी बढ़ी है। इन पशुपालकों की एक गंभीर शिकायत है कि उनकी समस्याओं और जरूरतों पर समग्रता के साथ न विचार किया जा रहा है और न उनका समाधान हो रहा है। चिरईगांव ब्लॉक के तरयां गांव में राष्ट्रीय पशुपालक संघ का केन्द्रीय कार्यालय है। इस बार गुजरात के वापी में हुए चुनाव में तरयां के विजयबहादुर यादव पशुपालक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में उन्होंने कहा कि वापी या पूरे गुजरात में आज दुग्ध उत्पादन की जो स्थिति है, वह प्रचुर संसाधन और नीति के सही क्रियान्वयन की देन है। बनारस में वैसी स्थिति बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। संघ की जिला इकाई के सचिव ओमप्रकाश यादव (मास्टर साहब) ने कहा कि आज न चारागाह बचे न तालाब। जबकि दोनों ही पशुपालन के आधार हैं। अमृत योजना के तहत तालाबों के जीर्णोद्धार पर बहुत जोर दिया गया मगर उनकी दहाई संख्या भी नहीं है जिले में जहां दुधारू पशु प्यास बुझाने के साथ इस गर्मी में नहा सकें। चारा, मिनरल्स और दूसरी जरूरी चीजें महंगी होने के कारण छोटे पशुपालकों की पहुंच से बाहर हैं। पशु चिकित्सालयों में कीड़ी मारने की दवा के अलावा कुछ नहीं मिलता। बाजार में दवाओं के दाम आसमान छू रहे हैं। संघ के जिलाध्यक्ष सुरेश कुमार मौर्य ने चिरईगांव ब्लॉक का उदाहरण दिया कि ब्लॉक पर एक पशु चिकित्सालय है, वहां एक डॉक्टर और दो सहयोगी तैनात हैं। उनके जिम्मे 114 ग्राम पंचायतें हैं। ऐसी स्थिति में सुदूर ग्राम पंचायतों के पशुपालकों की निजी डॉक्टर पर निर्भरता मजबूरी है। मृत पशुओं का निस्तारण कहां करें फूलचंद जायसवाल, शिवदत्त मिश्रा आदि ने एक स्वर से कहा कि हाल के वर्षों में मृत पशुओं का निस्तारण गंभीर समस्या बन चुका है। पहले लोग खाली पड़े सीवान या नदी किनारे उन्हें दफना देते थे, अब संभव नहीं रहा। विजय बहादुर यादव ने ध्यान दिलाया कि चिरईगांव ब्लाक के जाल्हूपुर में चार वर्ष पहले 0.1180 हेक्टेयर में पशु शवदाह गृह बना। लगभग 2.24 करोड़ रुपये खर्च हुए। बताया गया कि वहां एक बार में चार सौ किलो वजन तक के मृत पशु, एक दिन में अधिकतम 10, जलाए जा सकते हैं। बनने के बाद शवदाह गृह का चार बार परीक्षण किया गया। हर बार वह फेल हो गया। उन्होंने सवाल किया कि कार्यदायी संस्था से धनराशि की वसूली होनी चाहिए या नहीं या, उससे कहा जाए कि हर हाल में शवदाह गृह चालू कराए। सब्सिडी पर मिले बिजली ओमप्रकाश यादव ने कहा कि चारा और पानी पशुपालन के बुनियादी आधार हैं। इन दोनों के ही संकट से पशुपालक जूझ रहे हैं। गांवों में तालाबों का पानी शुद्ध नहीं रहा जिसे पशु पी सकें। उसे शुद्ध बनाए रखने की कोशिश भी किसी स्तर पर नहीं हो रही है। अमृत योजना के तहत दुधारू पशुओं का ध्यान रखा गया होता तो शायद जिले में कई तालाबों का पुनरुद्धार हो जाता। अब हैंडपंप या कुआं से कोई कितना पानी का इंतजाम करेगा? राजेश यादव ने कहा कि अब गांवों में भी बिजली कनेक्शन पर मीटर लगा दिए गए हैं। इसलिए बिजली का मनमाना उपयोग नहीं हो सकता। हां, दुधारू पशुओं के लिए सरकार यदि सब्सिडी पर बिजली दे तो पानी का संकट काफी हद तक दूर हो सकता है। ओमप्रकाश यादव ने यह भी कहा कि पशुपालक किसानों को चारे का मुफ्त बीज मिलना चाहिए। भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र सिर्फ एक सुरेश मौर्य, रमाशंकर यादव ने बताया कि अभी जिले में सिर्फ आराजी लाइन ब्लॉक में भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र है जहां उन्नत प्रजाति के सांड़ के सीमेन उपलब्ध है। जबकि यह व्यवस्था न्याय पंचायत स्तर पर होनी चाहिए। चिरईगांव, चोलापुर ब्लॉकों के सुदुरवर्ती गांवों के पशुपालकों के लिए आराजी लाइन जाना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि सही समय पर भ्रूण प्रत्यारोपण हो तो एक गाय साल भर में पांच से छह बछिया दे सकती है। रामदुलार यादव ने जोड़ा कि न्याय पंचायत स्तर पर ही पशु अस्पताल भी खुलने चाहिए। वहां पशुओं की बीमारियों से संबंधित सभी तरह की दवाएं हों। ओमप्रकाश यादव ने मध्य प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि पशुओं के शरीर में पलने वाले परजीवी जंतुओं पर नियंत्रण के लिए अस्पतालों में मुफ्त दवाएं मिलनी चाहिए। शासन के निर्देश पर ही टीका सभी पशुपालकों ने साझी समस्या की ओर ध्यान दिलाया कि जिले में शासन के निर्देश पर ही टीकाकरण होता है। राजेश यादव ने कहा कि इंसान की तरह पशुओं में भी किसी समय बीमारी हो सकती है। पशुपालन विभाग टीकाकरण तब शुरू करता है जब पशुओं की कोई बीमारी संक्रामक रूप ले लेती है जबकि यह सतत प्रक्रिया के रूप में लगातार चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी ब्लॉक में पशुओं के नियमित चेकअप की प्रभावी व्यवस्था हो जाए तो बीमारियों पर काफी हद तक अंकुश संभव है। 1962 पर करें कॉल, बुलाएं पशु एंबुलेंस विजय बहादुर यादव ने गुजरात भ्रमण का अनुभव साझा करते हुए कहा कि वहां किसी भी गांव के पशुपालक कभी भी पशु एंबुलेंस बुला सकते हैं। एंबुलेंस वाहन कॉल करने के 15-20 मिनट के अंदर पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ यूपी में भी सभी जिलों के सभी ब्लॉकों में यह इंतजाम है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था बनारस में प्रभावी नहीं है। दूसरे, ज्यादातर पशुपालकों को जानकारी नहीं है कि वे टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर पशु एंबुलेंस बुला सकते हैं। संजय यादव, रामदुलार यादव ने अनुभव साझा किया कि चिरईगांव ब्लॉक पर एंबुलेंस के लिए गए मगर चालक नहीं था। वहां कहा गया कि इसका डीजल खर्च कौन देगा? ऐसी अव्यवस्था के बीच दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की बात बेमानी है। दुग्ध संग्रहण केन्द्र बढ़ाए जाएं सभी पशुपालकों ने जोर दिया कि बनास डेयरी हो या पराग, दोनों को दुग्ध संग्रहण केन्द्र बढ़ाने चाहिए। अभी जिले में बनास के 130 और पराग डेयरी के 61 दुग्ध संग्रह केन्द्र हैं। राजकेश्वर दुबे ने बताया कि जिले की अनेक ग्राम पंचायतों के पशुपालक संग्रहण केन्द्र दूर होने के नाते अपना दूध हर रोज दूधियों को ही बेच देते हैं। इसमें उन्हें बहुत फायदा तो नहीं होता मगर समय से लागत निकल आती है। उन्होंने जोर दिया कि न्याय पंचायत स्तर तक संग्रहण केन्द्र बनने चाहिए। योजनाओं के लिए लगें शिविर डॉ. भारतभूषण यादव, दिनेश यादव ने पशु आश्रय स्थलों की ओर ध्यान खींचा। बोले, ऐसे ज्यादातर स्थलों पर न चारे का प्रबंध न पानी और छाया का इंतजाम। वहां चारा-पानी का इंतजाम किसी अधिकारी या वीआईपी के विजिट के समय ही किया जाता है। यदि इन आश्रय स्थलों की दशा सुधर जाए तो छुट्टा पशुओं की समस्या काफी कम हो सकती है। डॉ. भारतभूषण ने कहा कि पशुपालन से संबंधित योजनाओं की संबंधित तक जानकारी एवं लाभ पहुंचे, इसके लिए समय-समय पर ब्लॉक स्तर पर ही शिविर लगना चाहिए। सुझाव 1. न्याय पंचायत स्तर पर खुलें पशु चिकित्सा और भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र। वहां पशुओं की बीमारियों से संबंधित सभी तरह की दवाओं की उपलब्धता रहे। 2. अमृत योजना के तहत तालाबों और चारागाहों का जीर्णोद्धार कराया जाए। गर्मी में पशुओं के लिए जल संकट नहीं होगा। 3. दूध संग्रहण केन्द्रों की स्थापना न्याय पंचायत स्तर तक होनी चाहिए ताकि पशुपालकों को सही दाम के साथ डेयरी की अन्य सुविधाएं भी मिलें। 4. चिरईगांव ब्लॉक में नवनिर्मित पशु शवदाह गृह को जल्द से जल्द चालू कराया जाए। पशु एंबुलेंस के लिए चालक और ईंधन खर्च की व्यवस्था की जाए। 5. पशुपालन से संबंधित योजनाओं का जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने के लिए ब्लॉक स्तर पर शिविर लगें। वहां पशुपालकों की समस्याएं भी सुनी जाएं। शिकायतें 1. पशु चिकित्सालय सिर्फ ब्लॉक मुख्यालय पर होने से दूरस्थ गांवों के पशुपालकों को लाभ नहीं मिलता। जिले में सिर्फ एक भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र होने से भी यही दिक्कत है। 2. ग्राम पंचायतों के चारागाहों पर अवैध कब्जे हो गए हैं। तालाबों का पानी इतना गंदा जिसे पशु पीकर बीमार पड़ जाएं। अमृत योजना में भी ध्यान नहीं रहा। 3. पशुपालकों की संख्या को देखते हुए 191 दुग्ध संग्रहण केन्द्र अपर्याप्त हैं। अनेक पशुपालक वहां पहुंच नहीं पाते। 4. चिरईगांव के जाल्हूपुर में पशु शवदाह गृह तैयार होने के बाद से चालू नहीं हो सका। मृत पशुओं का निस्तारण गंभीर समस्या है। 5. पशुपालन से संबंधित योजनाओं की पशुपालकों तक जानकारी नहीं पहुंच पाती। इस दिशा में विभाग अतिरिक्त प्रयास नहीं करता। सुनें हमारी बात गुजरात में आज दुग्ध उत्पादन की जो स्थिति है, बनारस में वैसी स्थिति बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। -विजय बहादुर यादव पशुपालन से संबंधित योजनाओं की जानकारी एवं लाभ के लिए समय-समय पर ब्लॉक स्तर पर शिविर लगना चाहिए। -डॉ. भारतभूषण यादव चारा-पानी पशुपालन के बुनियादी आधार हैं। इन दोनों के ही संकटों से जिले के पशुपालक जूझ रहे हैं। - ओमप्रकाश यादव अनेक पशुपालक संग्रहण केन्द्र दूर होने के नाते अपना दूध हर रोज दूधियों को बेच देते हैं। इससे फायदा नहीं होता। -राजकेश्वर दुबे यदि जिले के पशु आश्रय स्थलों की दशा सुधर जाए तो छुट्टा पशुओं की समस्या काफी कम हो सकती है। -दिनेश यादव चिरईगांव में पशु शवदाह गृह तैयार होने के बाद से चालू नहीं हो सका। मृत पशुओं का निस्तारण गंभीर समस्या है। -राजेश यादव सिर्फ आराजी लाइन ब्लॉक में भ्रूण प्रत्यारोपण केन्द्र होने से आम पशुपालकों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। -राजकेश्वर यादव पशुपालकों की संख्या को देखते हुए 191 दुग्ध संग्रहण केन्द्र अपर्याप्त हैं। अनेक पशुपालक वहां पहुंच नहीं पाते। -फूलचंद जायसवाल चिरईगांव में एक पशु चिकित्सालय है, वहां एक डॉक्टर और दो सहयोगी तैनात हैं। उनके जिम्मे 114 ग्राम पंचायतें हैं। -सुरेश कुमार मौर्य पहड़िया मंडी में पशुपालकों के लिए बना केन्द्र वर्षों से बंद पड़ा है। उसे चालू कराया जाना चाहिए। -शिवदत्त मिश्रा ज्यादातर पशुपालकों को जानकारी नहीं है कि वे टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर पशु एंबुलेंस बुला सकते हैं। -संजय यादव सभी ब्लॉक में पशुओं के नियमित चेकअप की व्यवस्था हो जाए तो बीमारियों पर काफी हद तक अंकुश संभव है। -रमाशंकर यादव एक नजर -191 दुग्ध संग्रहण केन्द्र हैं जिले में। इनमें बनास डेयरी के 130 और पराग डेयरी के 61 केन्द्र हैं -72379 किलोग्राम दूध की खरीदारी होती है 191 केन्द्र पर प्रतिदिन पशुपालकों को सुविधाएं 1- पशु के बीमार पड़ा तो पशु पालक द्वारा 200 रुपये जमा करने पर पूरा इलाज फ्री, चाहे जितना खर्च हो। 2- पशुपालकों को उनके पशुओं की जरूरत के मुताबिक मिनरल्स और विटामिन उपलब्ध कराया जाता है। इसका खर्च दूध में से काट लिया जाता है। 3- कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा दी जाती है। 4- एक हजार रुपये जमा करने पर भ्रूण प्रत्यारोपण की सुविधा। इसकी वास्तविक लागत 21 हजार रुपये आती है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।