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बिना ऑपरेशन के बंद कर दिया बच्ची के दिल का छेद

Varanasi News - बीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग में डॉक्टरों ने सात महीने की बच्ची का बिना ऑपरेशन के दिल का छेद बंद कर दिया। यह केस विभाग के लिए मील का पत्थर है। बच्ची पीडीए बीमारी से पीड़ित थी और अब पूरी तरह से स्वस्थ...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीWed, 23 April 2025 06:14 AM
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बिना ऑपरेशन के बंद कर दिया बच्ची के दिल का छेद

वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। बीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग में डॉक्टरों ने सात महीने की बच्ची का बिना ऑपरेशन के दिल का छेद बंद कर दिया। यह केस विभाग के लिए एक मील का पत्थर है, क्योंकि पहली बार सबसे छोटी बच्ची का ऐसा ऑपरेशन किया गया। बच्ची अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

सात महीने की बच्ची पीडीए (पेटेंट डक्टस आर्टेरियसस) बीमारी से पीड़ित थी। इस कारण उसका वजन नहीं बढ़ रहा था और बार-बार उसे निमोनिया हो रहा था। डॉक्टरों के अनुसार जन्म के समय बच्चे का जितना वजन होता है, पांच महीने की उम्र में उसका दोगुना हो जाता है। बच्ची का जन्म के समय वजन तीन किलो था, लेकिन सात महीने की उम्र में महज पांच किलो ही था। मानक के अनुसार वजन नहीं बढ़ा था। कार्डियोलॉजी विभाग की डॉ. प्रतिभा राय ने जांच कराई तो पता चला कि बच्ची के दिल में छेद है। बच्ची की उम्र कम थी ऐसे में ऑपरेशन करना काफी चुनौती भरा था। काफी मंथन के बाद काडियोलॉजी विभाग के प्रो. विकास अग्रवाल और डॉ. प्रतिभा राय ने पीडीए क्लोजर कैथेटर के माध्यम से दिल के छेद को बंद किया। जिससे ओपन-हार्ट सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ी। एंजियोग्राफी के माध्यम से डिवाइस (बटन) से छेद बंद कर दिया गया। डॉ. मनीष, डॉ. अर्जुन, प्रो. एपी सिंह, डॉ. संजीव व डॉ. प्रतिमा का भी सहयोग रहा।

जन्म के बाद संरचना बंद नहीं होने पर समस्या

डॉ. प्रतिभा राय ने बताया कि पीडीए जन्म से पहले की एक संरचना होती है। जो शरीर की दो बड़ी धमनियों को जोड़ती है और भ्रूण की जीवित रहने में मदद करती है। लेकिन यदि जन्म के बाद यह स्वयं बंद नहीं होती, तो इससे वजन न बढ़ना, दिल की विफलता और बार-बार निमोनिया का खतरा होता है। इस केस में बच्ची 6.5 महीने की थी और वजन नहीं बढ़ रहा था। उन्होंने यह भी बताया कि बड़े पीडीए को आदर्श रूप से 3 महीने की उम्र तक, मध्यम आकार के पीडीए को 6 से 12 महीने और छोटे पीडीए को 12 से 18 महीने में बंद कर देना चाहिए।

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