बोले काशी: सड़क पार सुविधाओं की बहार, हम तो थक गए करते गुहार
Varanasi News - वाराणसी के रुप्पनपुर मोहल्ले में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। यहाँ के निवासियों को पेयजल, सीवर और सफाई जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दुर्गापुरी कॉलोनी के विकास को देखते हुए, रुप्पनपुर...

वाराणसी। पंचक्रोशी चौराहा से सलारपुर की ओर कुछ कदम बढ़ने पर मोहल्ला आता है रुप्पनपुर। नगर निगम का नवशहरी इलाका है। इसके सामने सड़क पार बसी है दुर्गापुरी कॉलोनी। वह कॉलोनी सड़क-सीवर, सफाई-स्ट्रीट लाइट और पेयजल की दृष्टि से संतृप्त है। वहीं पार्षद भी रहते हैं। दुर्गापुरी को चकाचक देख रुप्पनपुर के बाशिंदों को बहुत कोफ्त होती है। क्योंकि उनके मोहल्ले में सभी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। वे सवाल करते हैं कि पार्षदजी का टोला खुश है, हमें आपत्ति नहीं मगर हमें नाखुश होने के लिए क्यों छोड़ दिया गया? दनियालपुर (वार्ड नंबर 37) में बड़ी आबादी वाला मोहल्ला है रुप्पनपुर। 500 से अधिक मकानों में लगभग पांच हजार की आबादी निवास करती है। नगर निगम की सीमा में शामिल होने के काफी पहले से रुप्पनपुर शहरीकरण के साथ कदमताल करने लगा था। मगर नागरिक सुविधाओं के लिए तब से इंतजार चल रहा है। ‘हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में जितेन्द्र जायसवाल, संजय गुप्ता, कंचन गुप्ता आदि ने बताया कि पंचायतीराज के समय, लगभग दो दशक पहले कम डाया वाली सीवर लाइन बिछी। चार हैंडपंप लगे। गलियों में इंटरलाकिंग कराई गई। सीवर लाइन कई जगह ओवरफ्लो करती है। चार में एक ही हैंडपंप पीने लायक पानी देता है। पीने का पानी का यहां गंभीर संकट है जो गर्मी के साथ बढ़ता जा रहा है। किसी गली में इंटरलाकिंग सही हालत में नहीं है। उबड़-खाबड़ रास्तों पर कोई निश्चिंत होकर चल नहीं सकता। बाइकें सामान्य गति से भी नहीं चल पातीं। बाशिंदों ने समस्याएं बताने या गिनाने के साथ घुमाकर दिखाया भी कि वे किन मुश्किलों के बीच दिनचर्या शुरू करते हैं और बेहतर कल की उम्मीद में रात बिताते हैं। वे उपेक्षा के गहरे और क्षोभ-आक्रोश मिश्रित एहसास से गुजर रहे हैं। सड़क के ठीक उस पार बसी दुर्गापुरी का हवाला देते हुए अरमान कसेरा, सूरज कन्नौजिया ने कहा भी कि एकतरफा विकास का इससे बड़ा उदाहरण आपको शायद ही कहीं दिखे।
सबमर्सिबल से नि:शुल्क पानी नहीं
रुप्पनपुर में पशुपालन और दुकानदारी आजीविका का सबसे बड़ा माध्यम है। यहां सबसे गंभीर समस्या पेयजल की है। वर्षों पहले लगे चार हैंडपंपों में दो सूख चुके हैं। दो वर्षों से एक हैंडपंप से बालू आता है। बचा एक तो उसी से सौ से अधिक परिवार रोज बाल्टी-गैलन में पानी भरते हैं। सभी भोर में चार बजे से जग जाते हैं ताकि हैंडपंप पर अधिक देर न रूकना पड़े। कई परिवारों ने सबमर्सिबल पंप लगवा रखे हैं। उनसे भी शिकायत है। पेयजल संकट से घिरीं चिंता चौहान, आंचल गुप्ता ने बताया कि सबमर्सिबल का पानी लेने पर हमें दो सौ से पांच सौ रुपये देने पड़ते हैं। बड़ी कमाई पानी के इंतजाम में चली जा रही है। मोहल्ले के एकमात्र देवी मंदिर के बुजुर्ग सेवक श्यामू प्रसाद रोज सुबह लगभग दो सौ मीटर दूर हैंडपंप से चार-पांच बाल्टी जल लाते हैं। उससे मंदिर की सफाई आदि करते हैं। मंदिर के सामने लगा हैंडपंप महीनों से खराब पड़ा है। बाशिंदों के मुताबिक हर घर नल से जल योजना में पाइप बिछी है मगर उससे अब तक घरों के कनेक्शन नहीं हुए हैं।
नई सीवर लाइन की दरकार
कोनिया सीवेज पंप स्टेशन से गोइठहां और दीनापुर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए चली सीवर लाइन रुप्पनपुर से ही गुजरी है। इसके अलावा मोहल्ले में लगभग 12 इंच डाया की भी एक लाइन है जो मुद्दत से दर्जनों जगह ओवरफ्लो करती है। यह समस्या सीवेज लोड बढ़ने और लाइन पुरानी होने के कारण है। आशीष कन्नौजिया, रवि सेठ ने बताया कि इस समस्या की ओर पार्षद का ध्यान कई बार दिलाया गया है। उन्होंने चुनाव जीतने के बाद रुप्पनपुर में नई सीवर लाइन बिछवाने का आश्वासन दिया था। अब तक उसके लिए नाप-जोख भी नहीं हुई है।
खतरनाक हुआ पुराना नाला
रुप्पनपुर की भौगोलिक स्थिति उत्तर से दक्षिण और पश्चिम से पूरब की ओर ढलान की है। आशापुर कीओर से एक पुराना नाला आबादी के बीच से होता हुआ वरुणा नदी तक गया है। कई जगह खुला होने के नाते वह कूड़ा-कचरा से पट गया है। वहीं कई बार गाय-भैंस भी गिर चुकी हैं। सामान्य दिनों में जलनिकासी की समस्या से जूझने वाले लोग बरसात के समय जलजमाव से बुरी तरह घिर जाते हैं। रानी जायसवाल, मनीषा यादव, करन चौहान बोलीं, हम मनाते हैं कि तेज बारिश न हो वरना हर गली में घुटने भर पानी लग जाता है। उन घरों में पानी घुस जाता है जो ढलान क्षेत्र में बने हैं।
खड़ंजा ही बिछवा दिया जाए
जिला पंचायत के सौजन्य से कुछ वर्ष पहले रुप्पनपुर की हर गली में इंटरलाकिंग सड़क बनी। अब वह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। छह से 12 इंच तक के गड्ढे बन चुके हैं। रोज लोगों का उसी से आवागमन होता है। कब किसे ठोकर लग जाए और गड्ढों में पैर मोच खा जाए, कहना मुश्किल है। बाइक चालक 20-25 किमी की गति से भी नहीं चल पाते। तेज चलने पर कई झटका लगने से सड़क पर गिर चुके हैं। कंचन गुप्ता, जितेन्द्र जायसवाल ने कहा कि हमने नगर निगम के अधिकारियों के साथ पार्षद को भी सड़क मरम्मत के लिए ज्ञापन दिया है। यह भी आग्रह किया कि इंटरलाकिंग या पत्थर चौका न सही, खडंजा ही बिछवा दिया जाए ताकि आवागमन सुगम हो। आग्रह अनसुनी है।
गंदगी की चहुंओर धमक
रुप्पनपुर में एक मलिन बस्ती भी है मगर जहां-तहां कूड़ा-कचरा के ढेर के चलते पूरा मोहल्ला मलिन बस्ती लगता है। करन चौहान, मनीषा यादव ने कहा-‘आप खुद देख लें यहां की सफाई। सफाईकर्मी सड़क और उसके सामने दुर्गापुरी तक दिखते हैं। इधर नहीं झांकते। हमारी बस्ती में कभी कोई आयोजन-समारोह हुआ तो निजी सफाईकर्मियों से सफाई कराते हैं।
कचरा से पट रहा तालाब
रुप्पनपुर में ग्राम समाज की जमीन पर एक तालाब है। उसके चारो ओर मकान बन चुके हैं। लगभग छह बिस्वा एरिया में बचा तालाब कई महीनों से कूड़ा-कचरा से पाटा जा रहा है। बाशिंदों ने बताया कि बाहर का भी कूड़ा यहां डंप किया जा रहा है। उन्होंने आशंका जताई कि तालाब पाट कर उसे बेचने की तैयारी तो नहीं की जा रही है। चिंता देवी, कंचन गुप्ता ने जोर दिया कि यहां एक सामुदायिक भवन बन जाए तो गरीब परिवारों की बेटियों की शादियां आराम से होंगी। दूसरे सामूहिक कार्यक्रमों के लिए भी लॉन कमी महसूस नहीं होगी।
स्ट्रीट लाइट का अभाव
पंचक्रोशी-सलारपुर रोड पर रुप्पनपुर के मोड़ से लेकर अंदर पूरी रिहाइश तक ज्यादातर पोल पर स्ट्रीट लाइट नहीं है। एक पोल पर डायरेक्ट कनेक्शन से सुबह 11 बजे लाइट जलती दिखी। रवि सेठ ने बताया कि हमने लगाते वक्त ही यहां एक स्विच भी लगवाने का आग्रह किया था लेकिन नगर निगम के कर्मचारियों ने ध्यान नहीं दिया। यह एक बार बिगड़ी तो दोबारा नहीं बनेगी।
सुझाव-शिकायतें
सुझाव
1. रुप्पनपुर में हर घर नल योजना के तहत सभी घरों के कनेक्शन जोड़े जाएं। खराब पड़े हैंडपंपों की रीबोरिंग कराई जाए ताकि इस गर्मी में भी पेयजल संकट न झेलना पड़े।
2. मोहल्ले में नई सीवर लाइन बिछवाई जाए। उसे कोनिया से आ रही सीवर लाइन से कनेक्ट किया जाए ताकि ओवरफ्लो की समस्या कभी न सिर उठाए।
3. रुप्पनपुर से गुजरे पुराने नाले की बरसात से पहले तल्लीझाड़ सफाई कराई जाए। खुले स्थानों पर पटिया रखवाई जाए ताकि किसी इंसान या पशु के लिए खतरा न रहे।
4. मोहल्ले की सभी गलियों में पत्थर चौका बिछे, जलनिकासी के लिए नालियां बनें। पत्थर चौका संभव न हो तो खडंजे की सड़क बनवाई जाए।
5. सफाई की मुकम्मल व्यवस्था हो। तालाब में कूड़ा-कचरा फेकने पर रोक लगे। मोहल्ले के सभी खंभों पर स्ट्रीट लाइटें लगवाई जाएं।
शिकायतें
1. रुप्पनपुर में पेयजल का संकट सबसे गंभीर समस्या है। तीन हैंडपंप खराब पड़े हैं। पानी खरीदकर पीना पड़ता है। गर्मी में समस्या अधिक परेशान करेगी।
2. पुरानी सीवर लाइन अक्सर ओवरफ्लो करती है। जलनिकासी का इंतजाम न होने से बारिश के दिनों में भीषण जलजमाव हो जाता है।
3. पुराने नाले की मुद्दत से सफाई न होने से बरसात में वह ओवरफ्लो करता है। कई जगह से खुला होने के कारण वह खतरनाक भी हो गया है।
4. मोहल्ले की सभी गलियों की सड़कें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। उनमें बने गड्ढे अक्सर लोगों को घायल करते हैं। आवागमन मुश्किल है।
5. मोहल्ले में कभी सफाई नहीं होती। एक तालाब कचरा से पाटा जा रहा है। ज्यादातर खंभों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। शाम के बाद खराब रास्ते से गुजरना कठिन हो जाता है।
हमारी भी सुनें
रुप्पनपुर के विकास के लिए कोई योजना बनी हो तो सार्वजनिक की जाए। वरना नए सिरे से बनाई जाए ताकि बुनियादी सुविधाएं मिलें।
-कंचन गुप्ता
पुरानी सीवर लाइन अब काम की नहीं रही। नई बिछनी चाहिए। उसका कनेक्शन कोनिया से आ रही लाइन से किया जाए।
-जितेन्द्र जायसवाल
गर्मी बढ़ने के पहले पानी की पाइप लाइन से सभी घरों के कनेक्शन किए जाएं। तब तक हैंडपंपों की रीबोरिंग कराने से पेयजल संकट कम होगा।
-रवि सेठ
दुर्गा मंदिर के सामने लगा हैंडपंप खराब होने से मंदिर की सफाई, सेवा में बहुत दिक्कत होती है। दो सौ मीटर दूर से जल लाना पड़ता है।
-बबलू कुमार
इस गर्मी में भी हमें खरीदकर ही पानी का इंतजाम करना होगा। कमाई का बड़ा हिस्सा पानी में खर्च करना पड़ता है। बहुत परेशानी है।
-चिंता चौहान
दुर्गापुरी में सभी सुविधाएं हो सकती हैं तो रुप्पनपुर के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? तीन साल से हम गुहार लगा रहे हैं।
-आशीष कन्नौजिया
मोहल्ले के मोड़ से अंदर बस्तियों तक ज्यादातर खंभों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। शाम के बाद खराब सड़क से आने-जाने में दिक्कत होती है।
-संजय गुप्ता
सामने दुर्गापुरी तक सफाईकर्मी आते हैं, हमारी ओर झांकते भी नहीं हैं। कूड़ा-कचरा फेकने की बहुत बड़ी समस्या है।
-करन चौहान
मोहल्ले के पुराने तालाब को कूड़ा-कचरा से पाटा जा रहा है। वहां सामुदायिक भवन बन जाए तो बहुत सहूलियत होगी।
-मनीषा चौहान
कई बार गुहार के बाद भी पानी की समस्या बनी है। एक हैंडपंप से कब तक काम चलेगा? इस गर्मी में कहीं वह भी जवाब न दे दे।
-रानी जायसवाल
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