योगी सरकार की मदरसों में बड़े बदलाव की तैयारी, हिंदी-अंग्रेजी होगी अनिवार्य; कंम्प्यूटर-विज्ञान भी पढ़ेंगे छात्र
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने इस कदम की पुष्टि करते हुए कहा कि इन प्रस्तावों पर हाल ही में सीएम योगी के साथ एक बैठक में चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है।

योगी सरकार मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी में है। सरकार,उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 में संशोधन करने जा रही है, जिससे 10वीं कक्षा तक हिंदी और अंग्रेजी को अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा। संशोधन, यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी संबद्ध मदरसे छात्रों के लिए विज्ञान और कंप्यूटर प्रयोगशाला रखने के लिए बाध्य होंगे। कक्षा 1 से 3 तक एनसीईआरटी पाठ्यक्रम और कक्षा 4 से 8 तक एससीईआरटी पाठ्यक्रम को पूरी तरह अपनाना अनिवार्य होगा। फिलहाल, संस्कृत को मदरसा शिक्षा से बाहर रखा गया है।
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने इस कदम की पुष्टि करते हुए कहा कि इन प्रस्तावों पर हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ एक बैठक में चर्चा की गई थी। उन्होंने कहा कि जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। इसमें बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, वित्त और विधि विभाग के विशेष सचिव शामिल होंगे। अंसारी ने यह भी कहा, ‘अब यूपी मदरसा बोर्ड से संबद्ध सभी मदरसों में एनसीईआरटी और एससीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किए जाएंगे। कक्षा 1 से 3 तक एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। कक्षा 4 से 8 तक एससीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। यूपी मदरसा बोर्ड से संबद्धता प्राप्त करने के लिए विज्ञान और कंप्यूटर प्रयोगशाला की भी आवश्यकता होगी।’
मंत्री ने बताया कि प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, यूपी मदरसा बोर्ड की 10वीं कक्षा में हिंदी और अंग्रेजी अनिवार्य की जाएगी। अभी तक ये विषय वैकल्पिक थे। 12वीं कक्षा में मदरसा छात्रों को खेती-किसानी के साथ-साथ वाणिज्य का ज्ञान भी दिया जाएगा। प्रदेश के मदरसों में 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए खेल-शारीरिक शिक्षा भी अनिवार्य की जाएगी। प्रस्ताव के अनुसार, मदरसा बोर्ड से संबद्धता प्राप्त करने के लिए मदरसे में प्राथमिक स्तर के लिए न्यूनतम पांच कमरे और जूनियर स्तर के लिए आठ कमरे होने चाहिए। नौवीं कक्षा से ऊपर कक्षाओं की संख्या आवश्यकता पर निर्भर करेगी। मदरसों को पुस्तकालय, शौचालय और उचित फर्नीचर के साथ पेयजल की सुविधा सुनिश्चित करनी होगी।
संस्थानों को संभालने के भार से निपटने के लिए यूपी मदरसा बोर्ड का उचित ढांचा भी तैयार किया जा रहा है। जल्द ही स्टाफिंग मानदंड तय किए जाएंगे, जबकि पहले से नियुक्त शिक्षकों को आधुनिक तकनीकों से लैस करने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। पारदर्शिता, सुविधा और आसान सत्यापन प्रक्रिया के लिए यूपी मदरसा बोर्ड की सभी मार्कशीट का डिजिटलीकरण किया जाएगा। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा,‘मदरसों में अंग्रेजी, हिंदी और कंप्यूटर शिक्षा जैसे विषयों को शामिल करना अच्छी बात है। इस कदम से मदरसा छात्रों को आधुनिक कौशल हासिल करने और व्यापक शैक्षिक और रोजगार के अवसरों के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी।
हालांकि, यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि ऐसे सुधार धार्मिक शिक्षा प्रदान करने में मदरसों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप न करें। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार, अल्पसंख्यक संस्थानों को अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उन्हें संचालित करने का अधिकार है। धार्मिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम और तरीके मदरसों के दायरे में ही रहने चाहिए।’ एक मोटे अनुमान के अनुसार, राज्य में इस समय 13,329 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जिनमें 12,35,400 छात्र पढ़ रहे हैं। इनमें से 9,979 मदरसे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 1 से 8) और 3,350 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर (कक्षा 9 से 12) पर हैं।