उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानव गतिविधि प्रतिबंधित करने की मांग
शांति ठाकुर ने गंगोत्री ग्लेशियर समेत उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानव गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि वे पिछले 26 वर्षों से मां गंगा के संरक्षण की लड़ाई लड़ रही हैं।...

जनजाति महिला कल्याण एवं बालोत्थान समिति और हिम नदियां बचाओ अभियान से जुड़ी शांति ठाकुर ने गंगोत्री ग्लेशियर समेत उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानव गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। सोमवार को प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में शांति ठाकुर ने बताया कि वह पिछले 26 सालों से मां गंगा के अस्तित्व आधार गंगोत्री ग्लेशियर के संरक्षण, संवर्द्धन की लड़ाई लड़ रही हैं। उनकी मांग है कि गंगोत्री से आगे के सम्पूर्ण क्षेत्र तपोवन, गौमुख, चौखंबा, नंदनवन आदि स्थानों पर मानवीय आवाजाही पूर्णता प्रतिबंधित हो। राज्य सरकार इसे लेकर हिमालय नीति बनाए। स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर यह तय किया जाए कि उच्च हिमालय क्षेत्रों में किस तरह के लोग ही वहां जा पाएं।
केदारनाथ, गंगोत्री धाम आदि के शहरीकरण पर उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि 2007 में जनहित याचिका डालकर गंगोत्री से ऊपर सीमित आवाजाही की बात कही थी। सरकार को तीर्थाटन और पर्यटन में अंतर करना होगा। हमारे उच्च तीर्थ क्षेत्र कोई पिकनिक स्थल नहीं हैं। हिमालय के ग्लेशियर बचाने हैं तो कम से कम 15 तक मानव आवाजाही पूरी तरह बंद करनी होगी। उन्होंने इन क्षेत्रों में लगातार हैलीकॉप्टर की उड़ान पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जिलों में होम स्टे, बागवानी को बढ़ावा देकर युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर ध्यान देना चाहिए। हर्षिल-भैरोंघाटी के बीच छह हजार से अधिक पेड़ काटे जाने की योजना का भी उन्होंने विरोध किया। मौके पर कल्पना ठाकुर गुलेरिया, द्वारिका सेमवाल, प्रमोद राणा, रूद्र मौजूद रहे।
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