बोले देहरादून : पट्टियोवाला के लोग 800 मीटर सड़क के लिए दर-दर भटक रहे
चंद्रबनी क्षेत्र के पट्टियोवाला से हरभजवाला जाने वाला 800 मीटर लंबा मार्ग कई वर्षों से नहीं बन सका है। बरसात में कीचड़ और गर्मी में धूल-मिट्टी से लोग परेशान हैं। स्थानीय लोगों ने कई बार सरकार से गुहार...
चंद्रबनी क्षेत्र के पट्टियोवाला से घराट हरभजवाला जाने वाला मार्ग कई वर्षों से नहीं बन सका है। 800 मीटर लंबी इस सड़क पर हजारों की संख्या में लोग आवाजाही करते हैं। यह रास्ता दो विधानसभा क्षेत्र सहसपुर और धर्मपुर और दो लोकसभा क्षेत्र टिहरी और हरिद्वार को जोड़ता है। इसके बाद भी यह रास्ता धूल-मिट्टी से भरा हुआ है। बरसात में यहां कीचड़ जमा हो जाता है। इससे दोपहिया वाहन तक नहीं निकल पाते। क्षेत्रवासी सड़क निर्माण के लिए कई बार पत्र लिखकर जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं। फिर भी सड़क नहीं बन पाई। इस कारण यहां के लोग परेशान हैं। कुमुद नौटियाल की रिपोर्ट...
पट्टियोवाला से घराट होते हुए हरभजवाला तक का लगभग 800 मीटर लंबा मार्ग वर्षों से हजारों लोगों की रोजमर्रा की आवाजाही का प्रमुख रास्ता रहा है। इसके बावजूद आज तक इस मार्ग को पक्की सड़क में तब्दील नहीं किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कच्चे रास्ते का उपयोग स्कूली बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और कामकाजी लोग करते हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ के ‘बोले देहरादून’ अभियान के तहत दून के पट्टियोवाला और हरभजवाला क्षेत्र के लोगों से बातचीत की गई। स्थानीय लोगों ने वर्षों से चली आ रही सड़क की गंभीर समस्या साझा की। बरसात के मौसम में यह मार्ग कीचड़ से भर जाता है, जिससे न केवल पैदल चलना मुश्किल हो जाता है, बल्कि गाड़ियों की आवाजाही भी लगभग बंद हो जाती है। इस कारण कई बार बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं। इससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है। इस मार्ग के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा यह है कि यह रास्ता जंगल से होकर गुजरता है।
वन विभाग की ओर से अब तक सड़क निर्माण की अनुमति नहीं मिल सकी है। हालांकि, स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि सड़क बनाने में किसी भी पेड़ को काटने की आवश्यकता नहीं है। वे कई बार मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद और वन विभाग को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। इस क्षेत्र में जंगल होने के कारण असामाजिक तत्वों की भी गतिविधियां बढ़ गई हैं, जिससे स्थानीय लोग असुरक्षित महसूस करते हैं। इसके अतिरिक्त, घरों के ऊपर से गुजरने वाली हाई वोल्टेज बिजली की तारे भी लोगों के लिए खतरा बनी हुई है। लोगों का कहना है कि इसका भी स्थायी समाधान किया जाना चाहिए।
बच्चों को जंगल और कीचड़ वाले रास्ते से जाना पड़ता है विद्यालय
लोगों ने बताया कि हरभजवाला से बच्चे जंगल पार करके पट्टियोवाला में बने स्कूल और आंगनबाड़ी में पढ़ने आते हैं। बच्चों को भी इस कच्चे रास्ते से ही होकर जाना पड़ता है। गर्मी में इस रास्ते से जाते हुए धूल मिट्टी उड़ती है जो आंखों में चुभती है। वहीं बरसात में रास्ते की हालत और खराब हो जाती है। पूरे रास्ते में कीचड़ और पानी जमा रहता है। इससे बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यहां जंगल में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। वह जंगल में बैठकर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। साथ ही जंगल में गंदगी भी करते हैं। इस वजह महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करतीं है। यहां पर समय-समय पर पुलिस की गश्त लगनी चाहिए। पुलिस की नियमित गश्त से ही यहां असामाजिक तत्वों पर लगाम लग पाएगी।
बच्चों को स्कूल छोड़ना और लाना मुश्किलभरा
बच्चों को स्कूल छोड़ना और उन्हें वापस लाना एक बहुत ही कठिन और चुनौतीपूर्ण काम है। लोग रोजाना इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें बच्चों को स्कूल लाना और दिनचर्या की अन्य चीजें करना शामिल हैं। इस रास्ते से हजारों लोग आवाजाही करते हैं, जिनमें दुकानदार, किसान और अन्य लोग शामिल हैं। बरसात के मौसम में इस रास्ते की स्थिति और भी खराब हो जाती है। कीचड़ और पानी की वजह से यात्रा करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने में दिक्कतें आती हैं। अगर कोई दूसरा रास्ता अपनाया जाए, तो वह सात से आठ किलोमीटर लंबा पड़ता है, जिससे सफर और भी थकाऊ हो जाता है। इतना लंबा सफर करना न सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि उनके अभिभावकों के लिए भी बहुत मुश्किल है, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित होती है।इस समस्या का समाधान ढूंढना जरूरी है।
बारिश के मौसम में हो रही सर्वाधिक दिक्कत
लोगों ने बताया कि यह मार्ग काफी समय से प्रयोग में आ रहा है। लेकिन बरसात के समय कच्चा रास्ता होने की वजह से यहां पर कीचड़ हो जाता है। इस वजह से आवाजाही करने में परेशानी होती है। गाड़ियों का इस रास्ते से निकलना मुश्किल हो जाता है। इस रास्ते के लिए स्थानीय लोगों के ओर से कई बार प्रयास किए गए। लोग स्थानीय विधायक, जिलाधिकारी और वन विभाग में इस सड़क निर्माण के लिए ज्ञापन सौंप चुके हैं। इसके बाद भी काम नहीं हो पा रहा है।
घरों के ऊपर से गुजर रहा तारों का जाल
क्षेत्रवसियों का कहना है कि घरों और खेतों के ऊपर से बिजली के तार जाते हैं। इससे लोगों में दुर्घटना होने का डर बना रहता है। हर कोई छतों में संभलकर चलता है और बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही ले जाया जाता है। यह से इन तारों को हटाया जाना चाहिए। यह तार सड़क के किनारे से जाने चाहिए घरों के ऊपर से नहीं इसके लिए लोगों ने शिकायत दी है। लोग चाहते है कि जल्द से जल्दसे तार हटने जाने चाहिए। तारों के जाल से दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
सुझाव
1. सड़क निर्माण की मंजूरी देकर कार्य शुरू किया जाना चाहिए।
2. असामाजिक तत्वों की रोकथाम के लिए पुलिस को गश्त करनी चाहिए। इसके बाद ही ऐसे लोगों के ऊपर लगाम लग पाएगी।
3. स्ट्रीट लाइट लगाई जानी चाहिए। स्ट्रीट लाइट नहीं होने से लोगों को आवागमन में दिक्कत होती है।
4. घरों के ऊपर से गुजरने वाले तारों को यहां हटाना चाहिए।
5. संबंधित विभाग की ओर से जंगली जानवरों से बचाव के भी इंतजाम किए जाने जाने चाहिए।
शिकायतें
1. 800 मीटर सड़क के लिए कई बार ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन अभी तक सड़क नहीं बन पाई है।
2. असामाजिक तत्वों का आना- जाना लगा रहता है।
3. बरसात के समय कच्ची सड़क पर कीचड़ जमा होने से गाड़ियां नहीं जा पाती हैं।
4. स्ट्रीट लाइट नहीं होने से सड़कों पर अंधेरा छा जाता है। अंधेरे में लोग घर से नहीं निकल पाते हैं।
5. घरों के ऊपर से हाईटेंशन लाइन गुजर रही है। इनसे दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है।
इस मसले का हल निकालने के लिए लगातार प्रयासरत हूं
यह मामला मेरे संज्ञान में है। वन विभाग के अड़ंगे के कारण बात नहीं बन पा रही। वन विभाग से भूमि हस्तांतरण का प्रयास किया जा रहा है। हम चाहते थे कि वन विभाग ही इस सड़क को बना दे, पर उसने अपनी जमीन पर पक्के निर्माण पर असमर्थता जताई है। हम लगातार मसले का हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं। यह बहुत जरूरी सड़क है। इससे हजारों की आबादी को फायदा हो सकता है। हाल ही में मुख्यमंत्री के सामने इस मसले को उठाया भी है।
-सहदेव सिंह पुंडीर, विधायक, सहसपुर विधानसभा क्षेत्र
बोले लोग-
यह रास्ता आज से नहीं काफी लंबे समय से प्रयोग में आ रहा है। इसको पक्की सड़क बनाने के लिए हमारी ओर से कई बार शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। - सुखबीर बुटोला, पूर्व पार्षद
यह रास्ता दो विधानसभा धर्मपुर और सहसपुर को आपस में जोड़ता है। इसको लेकर हमने सीएम को, विधायक को वन विभाग को कई बार ज्ञापन सौंपा है इसके बाद भी कोई काम नहीं हो सका है। -राजेंद्र सिंह रावत
हमने वन विभाग में सड़क निर्माण के लिए प्रदर्शन भी किया था। इस पर उनकी ओर से सड़क पर पत्थर और मिट्टी डालने का आश्वासन दिया था। केवल आधे रास्ते पर ही मिट्टी पत्थर डाला गया। - अनिल ढाकल
यहां पर न ही सड़क है न ही स्ट्रीट लाइट इस वजह से रात के समय आवाजाही करने में दिक्कत होती है। अगर अंधेरे में कोई घायल या चोटिल हो गया तो उसकी मदद कौन करेगा? - विक्रम सिंह बिष्ट
स्ट्रीट लाइट के न होने से महिलाओं के लिए रात में निकलना असुरक्षित हो जाता है। इस वजह से शाम होते ही यहां के लोग घरों में चले जाते हैं। इसलिए यहां स्ट्रीट लाइट लगाना जरूरी है। - आनंद मणि
यहां पर बिजली के तार घरों के ऊपर से होकर गुजर रहे हैं, इससे घरों की छतों पर जाना लोगों के लिए असुरक्षित है। क्षेत्र में ऐसे कई घर हैं। इन सभी तारों को हटाया जाना चाहिए। - जगदीश प्रसाद रतूड़ी
यह केवल 800 मीटर सड़क है, जिसका निर्माण होना है वन विभाग अनुमति दे तो यह काम कुछ महीनों में पूरा हो जाएगा। इसके साथ ही जहां पर सड़क है वहां पर कोई भी पेड़ नहीं है। -रामस्वरूप रतूड़ी
इस कच्चे रास्ते पर बरसात के समय पानी भर जाता है। जिससे पूरी सड़क पर कीचड़ होता है। इससे घराट वाला से पट्टियोवाला में पढ़ने आने वाले बच्चों को परेशानी होती है। -यशपाल सिंह रावत
बरसात में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान होता है। पैदल जाने पर भी कीचड़ से कपड़े खराब हो जाते हैं। कीचड़ के कारण कई दिन तक बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते। - पीतंबर दत्त रतूड़ी
जंगल वाला इलाका होने की वजह से यहां पर असामाजिक तत्वों का आना जाना बहुत रहता है। वह लोग यहां जंगलों में बैठ कर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। -सुशील खंडूड़ी
असामाजिक गतिविधियों के बढ़ने से यहां की महिलाएं अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। यहां पर पुलिस की ओर से गश्त लगाई जानी चाहिए। - हरि सिंह नेगी
इस रास्ते के अलावा लोगों के पास जो दूसरा रास्ता है वह सात-आठ किलोमीटर लंबा है। इससे लोगों को एक जगह से दूसरी जगह घूमकर जाना पड़ेगा। - इकरार
हरभजवाला के बच्चों की आंगनबाड़ी पट्टियोवाला में है। इस रास्ते के नहीं बनने से लोगों को आने जाने में परेशानी होती रहेंगी। इसलिए यह रास्ता बनना चाहिए। -राम प्रसाद
बरसात के समय बदहाल रास्ते की वजह से यहां पर स्कूटर तक नहीं जा पाता है। लोगों के जूते-चप्पल कीचड़ में सन जाते हैं। सड़क का निर्माण जरूरी है। -अरुणा रावत
घरों के ऊपर और खेतों के बीच से जाने वाली बिजली की लाइनों को सड़क से जाना चाहिए। इनको हटाकर सड़क किनारे लाया जाना चाहिए। - कविता रतूड़ी
चोइला में पीछे जंगल की तरफ से जो पानी आता है वह लोगों के लिए नुकसान दायक है। हम लोग पुश्ते के निर्माण के लिए कई बार शिकायत कर चुके हैं। -प्रियंका रतूड़ी
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