Delhi UP tourists coming to Uttarakhand Government loot parking rates Haridwar Mussoorie Nainital surprise you दिल्ली-यूपी से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों से ‘सरकारी लूट’, हरिद्वार, मसूरी-नैनीताल के पार्किंग रेट करेंगे हैरान, Uttarakhand Hindi News - Hindustan
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दिल्ली-यूपी से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों से ‘सरकारी लूट’, हरिद्वार, मसूरी-नैनीताल के पार्किंग रेट करेंगे हैरान

  • हैरानी की बात यह है कि पार्किंग का यह महंगा शुल्क खुद नगर निकाय या प्राधिकरणों ने ही तय किया है। सरकारी अथॉरिटी अपनी आय बढ़ाने के चक्कर में पर्यटन प्रदेश की छवि धूमिल करने पर आमादा हैं।

Himanshu Kumar Lall हिन्दुस्तान, देहरादून, हिन्दुस्तान टीम।Wed, 9 April 2025 11:35 AM
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दिल्ली-यूपी से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों से ‘सरकारी लूट’, हरिद्वार, मसूरी-नैनीताल के पार्किंग रेट करेंगे हैरान

उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों और स्थानीय लोगों को वाहन पार्किंग के नाम पर भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। 30-50 रुपये नहीं, एक-दो घंटे की पार्किंग के लिए भी 100 से 500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं।

हैरानी की बात यह है कि पार्किंग का यह महंगा शुल्क खुद नगर निकाय या प्राधिकरणों ने ही तय किया है। सरकारी अथॉरिटी अपनी आय बढ़ाने के चक्कर में पर्यटन प्रदेश की छवि धूमिल करने पर आमादा हैं।

हाल ही में नैनीताल नगर पालिका पार्किंग की 500 रुपये की पर्ची सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। लोग उत्तराखंड में महंगे पार्किंग शुल्क पर सवाल उठा रहे हैं। ‘हिन्दुस्तान’ ने सोमवार को प्रमुख पर्यटन स्थलों में पार्किंग शुल्क की पड़ताल की।

मसूरी : प्राइवेट पार्किंग के मनमाने रेट

प्राइवेट पार्किंग स्थल मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। सर्वाधिक कीमत पिक्चर पैलेस प्राइवेट पार्किंग की है। यहां कार का 24 घंटे की पार्किंग का 700 रुपये है। बेकरीहॉल प्राइवेट पार्किंग में कार के 200 रुपये और टेंपो ट्रेवलर के 400 रुपये लिए जा रहे हैं।

नगर पालिका की किंक्रेग पार्किंग में 12 घंटे के 200 और 24 घंटे के 400 रुपये कार के लिए जा रहे हैं। टाउन हॉल सरकारी पार्किंग में कुछ राहत जरूरी है। यहां कम समय के लिए भी पार्किंग की दरें निर्धारित हैं।

यहां एक घंटे का 50 रुपये, छह घंटे का 100 और उससे अधिक पर 200 रुपये शुल्क है। यहां पार्किंग की क्षमता 75 वाहनों की है। नगर पालिका मसूरी के अधिशासी अधिकारी तनवीर मारवा ने बताया कि मसूरी नगर पालिका द्वारा पार्किंग की दरें तय हैं। वही शुल्क लिया जाता है।

नैनीताल : 500 रुपये पार्किंग की पर्ची वायरल

नैनीताल में पार्किंग के नाम पर पर्यटकों से नगर पालिका भी जमकर कमाई कर रहा है। यहां नगर पालिका की मल्लीताल पार्किंग की 500 रुपये की पर्ची सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। नगर पालिका ईओ द्वितीय विनोद जीना ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर पार्किंग शुल्क निर्धारित किया गया है।

पार्किंग के टेंडर नहीं हुए हैं नगर पालिका द्वारा इसे संचालित किया जा रहा है। नैनीताल में डीएसए पार्किंग की क्षमता 250 वाहन, बीडी पांडे पार्किंग की 20 वाहन, अंडा मार्केट की 30 वाहन, बार पत्थर की 15 वाहन, मेट्रोपोल की 275 वाहन, अशोक पार्किंग की 70 वाहन क्षमता है। पार्किंग शुल्क प्रतिदिन के हिसाब से लिया जा रहा है।

मुनाफे के लिए जनता की जेब काट रहे विभाग

नगर निगम, नगर पालिका या विकास प्राधिकरण ऊंची दरों पर टेंडर जारी कर अपनी तो कमाई कर रहे हैं और इसका खामियाजा लोगों को महंगी पार्किंग के नाम पर भुगतना पड़ रहा है। सरकार की तरफ से पार्किंग की दरों के संबंध में स्पष्ट गाइडलाइन न होने के कारण हर सरकारी अथॉरिटी अपने हिसाब से शुल्क लगा रही हैं। हरिद्वार में 10 करोड़ से 25 करोड़ तक एक साल के लिए पार्किंग ठेके आवंटित हो रहे हैं। ऐसे में लागत निकालने के लिए पार्किंग की दरें ज्यादा रखी जा रही हैं।

ऋषिकेश : 30 के बजाय थमा रहे 100 की पर्ची

त्रिवेणीघाट सरकारी पार्किंग में वैसे तो प्रतिघंटे 30 रुपये कार का पार्किंग शुल्क तय है, लेकिन आरोप है कि प्रतिघंटे के बजाय यहां अधिकतम शुल्क 100 रुपये लिया जा रहा है। चंबा से देहरादून आ रहे दिनेश प्रसाद ने बताया कि उन्हें त्रिवेणीघाट में गंगा जल भरना था।

उन्होंने महज 15-20 मिनट के लिए वहां कार खड़ी की। कहने के बावजूद पार्किंग कर्मचारी ने उन्हें 30 के बजाय 100 रुपये की पर्ची थमाई। 20 मिनट की पार्किंग के उनसे 100 रुपये लिए गए। नगर निगम के कर अधीक्षक अनिल कुमार पंत का कहना है कि त्रिवेणीघाट पर टेंडर के माध्यम से निजी एजेंसी को पार्किंग दी गई है।

निर्धारित शुल्क 30 रुपये प्रतिघंटा है। अधिकतम शुल्क 100 रुपये है। 100 रुपये तब लिए जाते हैं, जब वाहन कई घंटों तक पार्किंग में रहे। नियम विरुद्ध वसूली पर कार्रवाई होगी।

स्थानीय लोग भी प्रभावित

महंगी पार्किंग से स्थानीय लोगों भी प्रभावित हैं। स्थानीय लोग कम समय यानी आधा घंटे-एक घंटे के लिए पार्किंग पर वाहन खड़े करते हैं, लेकिन उनसे भी पूरे दिन का चार्ज या अधिकतम चार्ज लिया जाता है। ऐसे में लोग पार्किंग के बजाय सड़क किनारे वाहन खड़ा कर देते हैं। इससे ट्रैफिक बाधित होता है। एक-दो घंटे का पार्किंग शुल्क कम रखने की मांग उठाई है।

राज्य की छवि हो रही धूमिल

पर्यटक या तीर्थयात्री महंगे पार्किंग शुल्क की शिकायत भले ही विभागों के पास न करते हों, लेकिन सोशल मीडिया पर सवाल उठाने से पीछे नहीं हटते। पार्किंग की पर्ची शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा कि एक तरफ सरकार लोगों से अपील करती है कि वह घूमने आएं और दूसरी तरफ दूसरी तरफ पहले महंगा टोल लेती है, फिर महंगी पार्किंग फीस वसूली जा रही है।

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