बोले हल्द्वानी : खाद्यान्न बांटने वाले राशन विक्रेताओं के लिए सुविधाओं का टोटा
हल्द्वानी के राशन विक्रेताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राशन वितरण के लिए उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा है और कई योजनाओं की बकाया राशि लंबित है। बिना प्रशिक्षण के ई-पॉश मशीनों का वितरण...
हल्द्वानी। हल्द्वानी के राशन विक्रेताओं को लंबे समय से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों के सामने कई बार मांग उठाने के बाद भी समाधान नहीं हो पा रहा है। राशन विक्रेताओं का कहना है कि कोरोना काल की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के लाभांश और भाड़े की सात महीने की राशि समेत 2018 से अब तक की विभिन्न योजनाओं की लंबित धनराशि का भुगतान नहीं हुआ है। अक्तूबर 2024 से अब तक की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना, आंगनबाड़ी और एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड योजना का भुगतान भी नहीं मिल पाया है। जिन गोदामों में डोर स्टेप डिलीवरी की सुविधा नहीं है, वहां जनवरी 2024 से भाड़ा लंबित है।
धर्मकांटे नहीं होने से राशन सही तौलकर नहीं दिया जा रहा, जिससे विक्रेताओं को प्रति क्विंटल पांच से सात किलो तक राशन कम मिल रहा है। वर्षों से मानदेय की मांग भी अनसुनी बनी हुई है। ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में बिना प्रशिक्षण दिए ई-पीओएस मशीनों से वितरण का आदेश दे दिया गया है, जिससे वितरण प्रणाली बाधित हो रही है और कार्ड धारक नाराजगी जता रहे हैं। बोले हल्द्वानी की टीम जब राशन विक्रेताओं के बीच पहुंची तो उन्होंने खुलकर अपनी समस्याएं बताईं और सुझाव भी दिए। शहर के करीब 280 राशन विक्रेताओं की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। विक्रेताओं का कहना है कि वे लगातार खाद्य सुरक्षा योजनाओं के तहत राशन वितरण का कार्य कर रहे हैं, इसके बावजूद उन्हें नियमित भुगतान नहीं दिया जा रहा। इसके साथ ही राशन के बारदाने की गुणवत्ता खराब होने की शिकायतें भी लंबे समय से की जा रही हैं, लेकिन इसमें कोई सुधार नहीं किया जा रहा है। विक्रेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि गोदामों से राशन बिना तौले भेजा जाता है, जिससे वितरण में अनियमितता होती है। वे लंबे समय से सभी गोदामों में धर्मकांटे लगाए जाने की मांग कर रहे हैं, ताकि राशन की तौल ठीक से हो सके। इसके अलावा विक्रेताओं को अक्तूबर 2024 से अब तक का खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत लाभांश और भाड़े का भुगतान भी नहीं मिला है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जैसे जिलों में विक्रेताओं को बिना किसी प्रशिक्षण के ई-पॉश मशीनें बांट दी गई हैं, जिससे राशन वितरण में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं और उपभोक्ता भी परेशान हो रहे हैं। विक्रेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। लाभांश पर कर रहे कार्य, नहीं मिल रहा वेतन: राशन विक्रेताओं की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। विक्रेताओं का कहना है कि खाद्य योजनाओं के तहत राशन वितरण का कार्य करते हैं लेकिन उन्हें इसकी एवज में मात्र लाभांश दिया जाता है। विक्रेताओं का आरोप है कि वेतन की जगह सिर्फ लाभांश का भुगतान किया जाता है और वह भी समय पर नहीं मिलता। विक्रेताओं ने कहा कि वे सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाते हैं, फिर भी उनके साथ अनुबंधित कर्मचारियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। कोरोना काल से लेकर अब तक कई योजनाओं की बकाया धनराशि अब भी नहीं दी गई है। इस कारण विक्रेताओं को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की है कि उनके लिए सरकारी कर्मचारियों की तरह मानदेय सुनिश्चित किया जाए और लाभांश के साथ नियमित वेतन भी दिया जाए। राशन के बारदाने की गुणवत्ता में नहीं होता सुधार : राशन विक्रेताओं ने बार-बार शिकायत करने के बावजूद बारदाने (बोरी) की गुणवत्ता में सुधार नहीं होने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि खराब क्वालिटी के बारदाने जल्दी फट जाते हैं, जिससे राशन बिखर जाता है और वितरण में दिक्कत आती है। विक्रेताओं का आरोप है कि कमज़ोर बोरी के कारण उन्हें उपभोक्ताओं के सामने शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। कई बार राशन की बर्बादी भी हो जाती है, जिसका नुकसान विक्रेताओं को खुद उठाना पड़ता है। उन्होंने विभाग से मांग की है कि बेहतर गुणवत्ता वाले बारदाने की आपूर्ति की जाए, ताकि राशन सुरक्षित तरीके से उपभोक्ताओं तक पहुंच सके। भाड़े का नहीं हुआ भुगतान : राशन विक्रेताओं को खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अक्तूबर 2024 से अब तक के भाड़े और लाभांश का भुगतान नहीं मिला है। विक्रेताओं का कहना है कि वे योजना के तहत समय पर राशन वितरण कर रहे हैं, लेकिन महीनों से भुगतान लंबित पड़ा है। इस कारण उन्हें आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है और निजी खर्च से राशन का परिवहन करना पड़ रहा है। विक्रेताओं ने विभाग से जल्द भुगतान जारी करने की मांग की है, ताकि वितरण व्यवस्था पर असर न पड़े। राशन विक्रेताओं की पांच समस्याएं 1. लाभांश पर कार्य कर रहे हैं वेतन नहीं मिलता। 2. राशन के बारदाने की गुणवत्ता में नहीं होता सुधार। 3. गोदाम से बिना तौले आता है राशन, धर्मकांटे नहीं लगे। 4. खाद्य सुरक्षा योजना के तहत भाड़े का नहीं हुआ भुगतान। 5. बिना ई-पॉश मशीनों का प्रशिक्षण दिए बांट दी मशीनें। विक्रेताओं के पांच सुझाव 1. लाभांश हटाकर वेतन देने की व्यवस्था हो। 2. राशन रखने के लिए पक्के बारदाने का इंतजाम हो। 3. गोदाम से राशन तौलने की व्यवस्था की जाए। 4.खाद्य सुरक्षा योजना के भाड़े का समय पर भुगतान हो। 5. ई-पॉश मशीनों का प्रशिक्षण देकर काम कराया जाए। इनकी सुनिए हम बीते कई वर्षों से सिर्फ लाभांश पर काम कर रहे हैं। आज तक हमें नियमित वेतन नहीं मिला है। सरकार हमारी मेहनत को पहचान नहीं रही। बिना वेतन इतने साल से काम कर रहे हैं। कैलाश जोशी, आरटीओ रोड। नई तकनीक के नाम पर ई-पॉश मशीनें तो दे दी गईं, लेकिन हमें इन्हें चलाने का कोई प्रशिक्षण नहीं मिला। इस वजह से राशन वितरण में लगातार परेशानी हो रही है। पहले प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए था। मीता पांडे, टनकपुर रोड। ई-पॉश मशीन में रागी वितरण का विकल्प नहीं होने से अनाज गोदामों में पड़ा है। उपभोक्ता भी हमसे बार-बार सवाल करते हैं, लेकिन हम कुछ नहीं कर पाते हैं। मो. इदरीश, इंदिरा नगर। राशन के लिए जो बारदाना आता है, उसकी गुणवत्ता इतनी खराब होती है कि बोरे उठाते ही फट जाते हैं, जिससे राशन बर्बाद होता है और उसका नुकसान हमें झेलना पड़ता है। इंदरलाल, इंदिरा नगर। हम छोटे कांटे के भरोसे गोदाम से बिना तौले गोदाम से राशन उठाते हैं क्योंकि वहां धर्मकांटे नहीं हैं। बाद में तौल की गड़बड़ी का जिम्मा हम पर आता है, जो बेहद ही अन्यायपूर्ण है। तारा दत्त पलड़िया, भोर्सा। भाड़े और लाभांश का भुगतान अक्तूबर 2024 से लंबित है। इस तरफ विभाग और शासन का ध्यान नहीं है। इस कारण हमें अपने जेब से खर्च कर उपभोक्ताओं तक राशन पहुंचाना पड़ रहा है। नवीन तिवारी, रामपुर रोड। हम लगातार विभाग से मांग करते आ रहे हैं कि हमें प्रशिक्षण दिया जाए और पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह खत्म न किया जाए, लेकिन हमारी बात को अनसुना किया जा रहा है। रेवाधर ब्रजवासी, देवलचौड़ खाम। डोर स्टेप डिलीवरी की सुविधा नहीं होने की वजह से हमें निजी साधनों से राशन उठाना पड़ता है, जिससे हमारी जेब पर सीधा असर पड़ रहा है। इस ओर ध्यान देना चाहिए। राम सिंह पकोला, बिंदुखत्ता। हर बार तौल में कमी रहती है। गोदामों में धर्मकांटे नहीं हैं और हमें कम राशन मिलता है, जिससे उपभोक्ताओं में हम पर अविश्वास पैदा हो गया है। इसका समाधान होना चाहिए। विरेंद्र सिंह कोरंगा, बिंदुखत्ता। ई-पॉश मशीनों की तकनीकी समस्याओं के कारण उपभोक्ताओं को समय पर राशन नहीं मिल पा रहा है। इससे उनकी नाराजगी हमें झेलनी पड़ रही है। गोविंद बल्लभ गिनवाल, हल्दूचौड़ दौलिया। हमसे कई बार ऐसे काम भी लिए जाते हैं जो हमारे दायरे से बाहर हैं, लेकिन इसके बदले में कोई मानदेय नहीं दिया जाता। हम लगातार शोषण का शिकार हो रहे हैं। मोहन सिंह, बिंदुखत्ता शिवपुरी। मशीनें दी गई हैं लेकिन इनके संचालन की जानकारी नहीं दी गई, जिससे वितरण में रुकावटें आ रही हैं और उपभोक्ता हमें जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मोहन सिंह बिष्ट, गुजियाखत्ता, बिंदुखत्ता। बारदाने की स्थिति इतनी खराब होती है कि कई बार तो राशन उठाने से पहले ही आधा गिर जाता है। हमें खुद नुकसान उठाना पड़ता है। यतीश चंद्र बिनवाल, रूपनगर। राशन की तौल के बिना वितरण से उपभोक्ताओं को पूरा राशन नहीं मिल पाता और वे हम पर गड़बड़ी का आरोप लगाते हैं, जबकि गलती व्यवस्था की है। विशंभर कांडपाल, जज फार्म। हम हर साल मानदेय की मांग करते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। सिर्फ हमारा काम बढ़ाया जाता है, लेकिन सुविधाएं और अधिकार नहीं मिलते। प्रदीप सागर, आंबेडकर नगर बरेली रोड। नई मशीनों के संचालन में आ रही दिक्कतों के चलते उपभोक्ता हमसे नाराज हो जाते हैं, जबकि हमें खुद ही समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। इसका प्रशिक्षण मिलना चाहिए। यशपाल सिंह, हरिपुर नायक। लंबित भुगतानों के चलते हमें उधारी पर राशन वितरण करना पड़ता है। बार-बार विभाग को याद दिलाने के बावजूद कोई हल नहीं निकलता। नरेंद्र कुमार, भगवानपुर। लाभांश का भुगतान नहीं हुआ। हमें बिना प्रशिक्षण के मशीनें थमा दी गईं, जिससे हर रोज वितरण में तकनीकी अड़चनों से जूझना पड़ रहा है। कुंदन शर्मा, डहरिया। राशन वितरण से पहले ही बोरे फट जाते हैं। जब उपभोक्ताओं को टूटी फूटी बोरियों में राशन देना पड़ता है तो उनकी नाराजगी का सामना हमें करना पड़ता है। गंगा देवी, बसानी। हमारी समस्याएं कई बार अधिकारियों को बताई जा चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो आंदोलन ही एकमात्र रास्ता होगा। दरबान सिंह बिष्ट, बिंदुखत्ता शास्त्रीनगर।
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