बोले हरिद्वार : पुराने औद्योगिक क्षेत्र में नाले साफ नहीं होने से दिक्कत
हरिद्वार के पुराने औद्योगिक क्षेत्र में पिछले दो वर्षों से नालों की सफाई नहीं हुई है, जिससे गंदगी और जलभराव की समस्या गंभीर हो गई है। स्थानीय उद्यमियों और निवासियों ने नगर निगम पर आरोप लगाया है कि...
हरिद्वार के पुराने औद्योगिक क्षेत्र में दो सालों से नालों की सफाई का कार्य नहीं हुआ है। जिसके चलते करीब चालीस हजार की आबादी गंदगी से परेशान है। उद्यमियों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि टैक्स देने के बावजूद भी निगम प्रशासन द्वारा न तो यहां घरों और फैक्ट्रियों से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन किया जाता है और न ही नालों से कूड़ा उठाया जाता है। औद्योगिक क्षेत्र के नाले कूड़े और गंदगी से भरे हुए हैं। दो साल से नालों की सफाई नहीं हुई है, जिसके चलते गंभीर बीमारियां फैलने का डर बना रहता है। ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने के कारण हल्की सी बारिश में जलभराव हो जाता है। फैक्ट्रियों और घरों तक में पानी भर जाता है। हरिद्वार से सचिन कुमार की रिपोर्ट...
पुराना औद्योगिक क्षेत्र हरिद्वार का सबसे पुराना औद्योगिक क्षेत्र है। यहां करीब 210 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में बीस हजार श्रमिक काम करते हैं। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र से सटी इंद्राबस्ती, लोधामंडी, शिवबस्ती और निर्मला छावनी जैसी कई कॉलोनियां हैं जिनमें करीब 20 हजार की आबादी निवास करती है, जो नालों की गंदगी से परेशान है। उद्यमियों ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र की गलियों में बने नालों की साफ सफाई नहीं कराई जाती। जबकि वो सरकार को कॉमर्शियल टैक्स देते हैं। इतना टैक्स देने के बावजूद भी उन्हें गंदगी से परेशानी झेलनी पड़ती है।
नगर निगम की ओर से फैक्ट्रियों के बाहर बने नालों की साफ सफाई नहीं कराई जाती। इसके साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में डोर टू डोर कूड़ा उठाने का काम नहीं होता है, जबकि पूरे हरिद्वार में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था है। आरोप लगाया कि हल्की सी बारिश होने के बाद नालों से पानी बाहर आ जाता है, जो सड़कों पर भरने उनके घरों के साथ ही उनकी फैक्ट्रियों में भर जाता है। बरसात में औद्योगिक क्षेत्र के लोगों के साथ यहां रहने वाली आबादी की परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि पुराना औद्योगिक क्षेत्र पहाड़ी से सटा हुआ है। बारिश में पहाड़ों से पानी बहकर सीधा औद्योगिक क्षेत्र में घुसता है। औद्योगिक क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। नालों में गंदगी जमा है इसलिए सारा पानी पहले सड़क पर भरता है और फिर उनकी फैक्ट्रियों में घुस जाता है। इससे न सिर्फ उनका कामकाज प्रभावित होता है बल्कि गंदगी से भी परेशानी झेलनी पड़ती है।
उद्यमियों ने बताया कि जब सालों से नालों की साफ सफाई नहीं कराई गई तो दो साल पहले उन्होंने खुद के पैसों से नालों की साफ सफाई कराई। लाखों रुपये लगाकर पहाड़ों से आने वाले पानी की निकासी के लिए अलग से नाला खुदवाया। वो नाला भी बंद हो गया है। इसके साथ ही औद्योगिक क्षेत्र और उसके आसपास की सभी कॉलोनियों में नालों में गंदगी भरी पड़ी हुई है। कहीं नालों में मिट्टी और कूड़ा भरा है तो कहीं गंदा पानी जमा हो गया है। नालों में मक्खी और मच्छरों से गंभीर बीमारियां फैलने का डर बना रहता है। उन्होंने आरोप लगाया कि हरिद्वार के सबसे पुराने औद्योगिक क्षेत्र जहां हजारों लोगों को रोजगार मिला है। यहां के उद्यमी आम लोगों से ज्यादा टैक्स देते हैं लेकिन फिर भी उनकी अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कई बार शासन प्रशासन से नालों की साफ सफाई कराने की गुहार लगाई लेकिन नालों से साफ सफाई नहीं कराई गई। औद्योगिक क्षेत्र से सती कॉलोनियों में भी बुरा हाल है। वहां भी नालों में गंदगी जमा है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन नहीं किया जाता है। रोजाना उन्हें गंदगी से परेशानी उठानी पड़ती है। बारिश के दौरान इन कॉलोनियों में भी जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है। कई बार शिकायत करने के बावजूद नालों की सफाई नहीं कराई जा रही है। उद्यमियों और स्थानीय लोगों की मांग है कि इस बार बरसात से पहले सभी नालों की साफ सफाई कराई जाए। नालों में गंदगी जमा न हो, इसके लिए डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का कार्य भी शुरू किया जाए।
सुझाव
1. नालों की नियमित सफाई और मेंटेनेंस की व्यवस्था की जाए।
2. ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत किया जाए ताकि बारिश का पानी जमा न हो।
3. टैक्स के बदले सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए जवाबदेही तय की जाए।
4. डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था तुरंत शुरू की जाए।
5. अधिकारियों को निरीक्षण कर बरसात से पहले स्थायी समाधान कर क्षेत्र को जलभराव से बचाया जाए।
शिकायतें
1. दो साल से नालों की सफाई नहीं हुई, जिससे जल निकासी पूरी तरह ठप हो गई है।
2. बारिश में फैक्ट्रियों और घरों में पानी भर जाता है, जिससे लाखों का नुकसान होता है।
3. भारी टैक्स देने के बावजूद बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
4. नगर निगम की लापरवाही के कारण उद्यमियों को खुद सफाई करवानी पड़ी।
5. औद्योगिक क्षेत्र से सटी कॉलोनियों में भी गंदगी और बीमारी का खतरा बना हुआ है।
बोले जिम्मेदार
सहायक नगर आयुक्त हरिद्वार रविन्द्र दयाल का कहना है कि पुराने औद्योगिक क्षेत्र में नालों की सफाई का मामला संज्ञान में आया है। बरसात से पहले हरिद्वार के सभी नालों की साफ-सफाई कराई जा रही है। जल्द ही औद्योगिक क्षेत्र के नालों की सफाई कराई जाएगी।
दो साल से सफाई न होने से लगा कूड़े का अंबार
हरिद्वार के पुराने औद्योगिक क्षेत्र में पिछले दो वर्षों से नालों की सफाई नहीं की गई है। नालों में मिट्टी, प्लास्टिक और कूड़ा-कचरा जमा है। इसके अलावा कूड़े के ऊपर घास तक जम गई है। जिससे जल निकासी पूरी तरह बाधित हो चुकी है। कई जगहों पर नाले ओवरफ्लो होकर सड़कों तक पहुंच गए हैं। गंदगी के कारण मक्खी और मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सफाई न होने से डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक बीमारियों का खतरा बना रहता है। निगम प्रशासन को बार-बार शिकायत देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। लोग अब खुद सफाई कराने को मजबूर हैं।
बारिश में फैक्ट्रियों और घरों में भरता है पानी
पुराना औद्योगिक क्षेत्र पहाड़ी से सटा हुआ है, जहां बारिश का पानी सीधे फैक्ट्रियों और घरों में घुस आता है। ड्रेनेज सिस्टम न होने के कारण हल्की बारिश में ही पूरा क्षेत्र जलमग्न हो जाता है। गलियों और सड़कों पर घुटनों तक पानी भर जाता है, जिससे आवाजाही और व्यापार दोनों प्रभावित होते हैं। स्थानीय उद्यमियों का कहना है कि फैक्ट्रियों में मशीनें और सामान तक पानी में डूब जाते हैं, जिससे लाखों रुपये का नुकसान होता है। बारिश के दिनों में उत्पादन ठप हो जाता है और कर्मचारी भी समय पर नहीं पहुंच पाते हैं। इन्हीं परेशानियों के चलते आर्थिक नुकसान तक उठाना पड़ता है। उनकी मांग है कि बरसात से पहले नालों की सफाई का कार्य कराया जाना चाहिए।
टैक्स देने के बाद भी नहीं मिल रही सुविधाएं
पुराना औद्योगिक क्षेत्र हरिद्वार का सबसे पहला औद्योगिक क्षेत्र है। यहां तमाम छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं। जिनमें हजारों श्रमिक कार्य करते हैं। औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी हर साल लाखों रुपये कॉमर्शियल टैक्स के रूप में सरकार को देते हैं, बावजूद सफाई, जल निकासी और कूड़ा प्रबंधन जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। उद्यमियों का आरोप है कि आम नागरिकों की अपेक्षा वे ज्यादा टैक्स भरते हैं, लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें केवल अनदेखी झेलनी पड़ रही है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन जैसी व्यवस्था भी इस क्षेत्र में लागू नहीं हैं। प्रशासन से कई बार गुहार लगाने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। इससे कारोबारी वर्ग में रोष है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन होना ही चाहिए।
उद्यमियों ने अपने खर्च पर कराई थी सफाई
नगर निगम की लापरवाही से तंग आकर दो साल पहले उद्यमियों ने खुद के खर्च पर नालों की सफाई कराई थी। लाखों रुपये खर्च करके पहाड़ी से आने वाले पानी के लिए अलग से नाला भी खुदवाया गया था। कुछ महीने राहत जरूर मिली, लेकिन नियमित सफाई न होने से वह नाला भी अब बंद हो गया है। उद्यमियों का कहना है कि यह उनका काम नहीं है, फिर भी अपनी फैक्ट्रियों और काम को बचाने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ा। उनकी मांग है कि बरसात से पहले स्थायी समाधान किया जाए ताकि इस बार उन्हें परेशानियों का सामना न करना पड़े। इसी तरह की समस्याएं औद्योगिक क्षेत्र की विभिन्न कॉलोनियों में बनी हुई है। हर बरसात में लोग जलभराव की समस्या से परेशान होते हैं।
बोले लोग-
प्रशासन की अनदेखी के चलते हमें खुद ही नालों की सफाई करानी पड़ी थी। दो सालों में फिर से नालों में गंदगी जमा हो गई है। लाखों खर्चने के बाद भी कोई स्थायी समाधान नहीं निकला। -एमआर शर्मा, उद्यमी
नाले की गंदगी से पूरे क्षेत्र में बदबू फैली रहती है। बच्चों का बाहर खेलना मुश्किल हो गया है। कूड़ा उठाने वाले आते नहीं हैं। कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। -अनिकेत, स्थानीय निवासी
गंदे नालों में मच्छरों की भरमार है। बच्चों और बुजुर्गों को बीमारियों का डर बना रहता है। निगम को कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। -गगन, स्थानीय निवासी
हर बरसात में फैक्ट्रियों और औद्योगिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों के घरों के अंदर तक पानी घुस जाता है। बिजली के करंट का भी डर बना रहता है। शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं होती। -ए.के दादू, उद्यमी
सड़क किनारे के नाले पूरी तरह से जाम हैं। उनमें घास तक जम गई हैं। बारिश में सड़कों पर घुटनों तक पानी भर जाता है, जिससे यातायात और काम दोनों प्रभावित होते हैं। -जितेंद्र दास, उद्यमी
पुराने औद्योगिक क्षेत्र में सफाई वाले नहीं आते और न डाेर टू डोर कूड़ा कलेक्शन होता है। खुद के संसाधनों से ही कूड़ा उठाकर साफ किया जाता है। नाले जाम होने से दिक्कत होती है। -सुरेश जैनर, उद्यमी
सरकार को समय पर टैक्स देते हैं, लेकिन सफाई के नाम पर कुछ नहीं हो रहा। नालों की हालत बेहद खराब है। बारिश में फैक्ट्री के अंदर तक पानी भर जाता है जिससे बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है। -नरेश जैनर, उद्यमी
पुराने औद्योगिक क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम जैसा कुछ नहीं है। हल्की बारिश में भी गलियां तालाब बन जाती हैं और फैक्ट्रियों का कामकाज ठप हो जाता है। स्थानीय लोगों के साथ साथ श्रमिक भी परेशान हैं। -राजेश शर्मा, उद्यमी
औद्योगिक क्षेत्र के सभी उद्यमी सरकार को समय पर कॉमर्शियल टैक्स देते हैं, फिर भी नालों की साफ सफाई नहीं होती। लगता है जैसे ये इलाका प्रशासन की प्राथमिकता में ही नहीं है। -सुनील अरोड़ा, उद्यमी
नालों की सफाई न होने से डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बना रहता है। बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशान हैं। गंदगी और बदबू के कारण सड़क पर चलना भी मुश्किल हो गया है। -प्रकाश भट्ट, स्थानीय निवासी
नालों में कूड़ा करकट भरा होने के साथ गंदा पानी जमा हो गया है। बारिश होते ही सारा गंदा पानी सड़कों पर भरता है और फिर फैक्ट्रियों में भी घुस जाता है। बड़ी परेशानी होती है। -बप्पी घोष, उद्यमी
पहले कभी-कभार सफाई कर्मचारी आते थे, अब महीनों से कोई नहीं दिखा। नाले पूरी तरह से गंदगी से पटे पड़े हैं। शासन प्रशासन को हमारी समस्याओं का स्थाई समाधान करना चाहिए। -ब्रह्मपाल, स्थानीय निवासी
कॉलोनियों में गंदगी होने से बीमारियों का खतरा बढ़ा
औद्योगिक क्षेत्र से सटी कॉलोनियों जैसे इंद्रा बस्ती, लोधामंडी, शिवबस्ती और निर्मला छावनी में भी हालात बदतर हैं। नालों में गंदगी जमा है और कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है। लोग अपने घरों के बाहर जमा गंदगी से परेशान हैं। बरसात में जलभराव की समस्या यहां भी गंभीर हो जाती है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। कॉलोनीवासियों का कहना है कि गंदगी वजह से वो सड़क पर टहलने भी नहीं निकलते हैं। लगातार कई सालों से उनकी उपेक्षा की जा रही है। उनकी मांग है कि नालों की सफाई और डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन यहां भी शुरू किया जाए, ताकि उन्हें गंदगी और बीमारी से राहत मिल सके।
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