बोले हरिद्वार : त्रिमूर्तिनगर में तीन माह से आधी रात में पानी के लिए जाग रहे लोग
हरिद्वार के त्रिमूर्तिनगर में पिछले तीन महीनों से लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। यहां की 4500 की आबादी को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, और पानी की आपूर्ति रात 12 बजे शुरू होकर सुबह 4 बजे तक ही होती...
हरिद्वार के त्रिमूर्तिनगर में रहने वाले लोग पिछले तीन महीनों से पेयजल की समस्या से परेशान हैं। यहां की छह से अधिक कॉलोनियां में रहने वाली करीब 4500 की आबादी को पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। इतनी बड़ी आबादी के लिए वार्ड में एक भी ट्यूबवेल नहीं है। विभाग द्वारा दूसरे क्षेत्र के ट्यूबवेल से पानी की सप्लाई की जाती है। लोगों का आरोप है कि रात को 12 बजे पानी आता है और सुबह चार बजे से पहले पेयजल की आपूर्ति बंद हो जाती है। उन्होंने कई बार जल संस्थान के अफसरों से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रस्तुत है सचिन कुमार की रिपोर्ट...
वार्ड 44 त्रिमूर्तिनगर में काजी कॉलोनी, हलवाई गली, पुरबिया गली, राम रहीम कॉलोनी और बाबर कॉलोनी जैसी कई कॉलोनियां बसी हैं। इनमें करीब 4500 की आबादी निवास करती है। पहले यहां सड़क किनारे बने ट्यूबवेल से पेयजल की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन पांच साल पहले ट्यूबवेल के पानी में रेत आने के कारण जल संस्थान ने ट्यूबवेल को ठीक करने के बजाय उसे बंद कर दिया। फिर पांडेवाला के ट्यूबवेल से पेयजल की आपूर्ति होने लगी। स्थानीय लोगों ने बताया कि दूसरे ट्यूबवेल से उनके घरों में लो प्रेशर के साथ पानी आता था। लेकिन पिछले तीन महीनों से तो पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है।
लोगों का कहा कि पानी की आपूर्ति रात 12 बजे शुरू होती है और सुबह चार बजते ही बंद हो जाती है। इतनी बड़ी आबादी में एक भी सरकारी हैंडपंप नहीं है। जिन घरों में हैंडपंप नहीं है उन लोगों को दूसरे मोहल्ले में जाना पड़ता है। महिलाओं, स्कूली बच्चों और सुबह कामकाज पर जाने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। लोगों ने बताया कि पहले काजी कॉलोनी में जल संस्थान द्वारा लगाए गए ट्यूबवेल से पेयजल की आपूर्ति की जाती थी। लेकिन करीब 5 साल पहले ट्यूबवेल से रेत आने लगा। जल संस्थान के अधिकारियों ने उस पर सीमेंट की सड़क बिछाकर बंद कर दिया था। इसके बाद पांडेवाला के ट्यूबवेल से पेयजल की लाइन को जोड़ दिया। पांडेवाला के ट्यूबवेल की क्षमता कम है। उन्होंने कई बार जल संस्थान के अधिकारियों को शिकायत की लेकिन न तो ट्यूबवेल को ठीक कराया जा रहा है और न ही पेयजल की आपूर्ति का स्थाई समाधान किया जा रहा है। इतना ही नहीं सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
त्रिमूर्तिनगर वार्ड में तीन महीने से बनी है पानी की किल्लत
हरिद्वार के वार्ड 44 त्रिमूतिनगर में पानी की समस्या काफी पुरानी है। यहां काजी कॉलोनी, हलवाई गली, पुरबिया गली, राम रहीम कॉलोनी और बाबर कॉलोनी जैसी कई कॉलोनियां में करीब 4500 की आबादी निवास करती है। इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों ने बताया कि वैसे तो वह पिछले 5 सालों से पीने के पानी की आपूर्ति न होने से परेशानी झेल रहे हैं लेकिन पिछले तीन महीनों से तो घरों में ना के बराबर ही पानी आता है। जिससे उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी उठानी पड़ रही है। तीन महीने से वह लगातार अधिकारियों से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायत का कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है।
सुझाव
1. सबसे पहले बंद पड़े ट्यूबवेल की मरम्मत करानी चाहिए ताकि लोगों को पर्याप्त पेयजल की आपूर्ति मिल सके।
2. वार्ड 44 त्रिमूतिनगर के लोगों के लिए अलग मिनी ट्यूबवेल बनाई जाए ताकि भविष्य में पेयजल संकट न हो।
3. इतनी बड़ी आबादी के लिए अलग से ओवरहेड टैंक बनाया जाना चाहिए।
4. अधिकारियों को मौके पर निरीक्षण करके तत्काल लोगों की समस्या जननी चाहिए।
5. मिनी ट्यूबवेल और ओवरहेड टैंक बनाने से पहले नई पेयजल लाइन बिछानी चाहिए।
शिकायतें
1. रातभर जागना मजबूरी बन गई है। पानी केवल रात 12 बजे से सुबह 4 बजे तक आता है, दिन में पानी की किल्लत बनी रहती है।
2. पांच साल पहले बंद हुआ ट्यूबवेल अब तक चालू नहीं कराया गया, जिससे पूरा वार् दूसरे वार्ड के ट्यूबवेल पर निर्भर है।
3. जिन घरों में पानी आता भी है, वहां प्रेशर इतना कम होता है कि टंकी भरना नामुमकिन हो जाता है।
4. कॉलोनियों में एक भी सरकारी हैंडपंप नहीं है, जिससे लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है।
5. कई बार जल संस्थान और सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की, लेकिन समाधान नहीं निकला है।
रातभर जागकर पानी भरना बना मजबूरी
त्रिमूर्तिनगर के वार्ड 44 में रहने वाले लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि पानी की सप्लाई रात 12 बजे शुरू होती है और सुबह 4 बजे बंद हो जाती है। मजबूरी में लोग रातभर जागकर पानी भरते हैं। जिनके पास टैंक नहीं है, उन्हें बाल्टियों में ही पानी इकट्ठा करना पड़ता है। इससे महिलाओं को तो परेशानी उठानी पड़ती है, वहीं कामकाज पर जाने वाले लोग भी परेशान हैं। दिन में काम करके थके हारे घर आते हैं। घर आकर आराम नहीं मिलता बल्कि पानी की टेंशन लगी रहती है। यदि किसी दिन रात को पानी भरकर नहीं रखते तो अगले दिन बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खाना बनाने और नहाने से लेकर कपड़े धोने तक में महिलाएं परेशान होती हैं। विभाग गैर जिम्मेदार बना हुआ है जो लोगों की परेशानी को समझ नहीं रहा है।
पत्र और सीएम हेल्पलाइन भी बेअसर
पांच सालों से क्षेत्र में लो प्रेशर की समस्या बनी हुई थी लेकिन पिछले तीन महीनों से तो बिल्कुल भी पानी नहीं आता है। तीन महीने से केवल रात को ही पानी आता है। जिससे लोगों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार जल संस्थान के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। यहां तक कि परेशान होकर उन्होंने सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं किया गया है। वैसे तो सरकार ने जल जीवन मिशन, हर घर नल जैसे तमाम योजनाएं चलाई हैं, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से इन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में सरकार की छवि भी खराब होती है। उनकी मांग है कि पेयजल की समस्या का तत्काल समाधान किया जाए और भविष्य में उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न उठानी पड़े इसलिए पेयजल की समस्या का स्थाई समाधान ही करना चाहिए।
ट्यूबवेल को दबाकर उसके ऊ पर बना दी सड़क
स्लानीय लोगों ने आरोप लगाया कि काजी कॉलोनी में पहले एक ट्यूबवेल था, जिससे लोगों को पर्याप्त पानी मिलता था। पांच साल पहले उसमें रेत आने लगी तो जल संस्थान ने उसे सुधारने की बजाय बंद कर दिया और पांडेवाला के ट्यूबवेल से पेयजल की लाइन जोड़ दी। पुराने ट्यूबवेल के ऊपर सीमेंट की सड़क बना दी गई है। वहां पता नहीं चलता है कि यहां कोई ट्यूबवेल थी। अब इस इलाके के लोग पांडेवाला ट्यूबवेल पर निर्भर हैं, जो पर्याप्त पानी देने में असमर्थ है। सभी लोगों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है। उनकी मांग है कि पुराने ट्यूबवेल की मरम्मत कराई जाए या फिर नया ट्यूबवेल बनाया जाए।
इतनी बड़ी आबादी में सरकारी हैंडपंप भी नहीं
लोगों ने बताया कि पूरे वार्ड 44 त्रिमूर्तिनगर में एक भी सरकारी हैंडपंप नहीं है। कई घरों में निजी हैंडपंप हैं, लेकिन जिनके पास नहीं हैं, वे दूर-दराज के इलाकों में जाकर पानी लाने को मजबूर हैं। महिलाओं और स्कूली बच्चों को इससे सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने कहा कि यदि सरकारी हैंडपंप भी होते तो उन्हें पानी भरने दूर नहीं जाना पड़ता। फिलहाल लंबी दूरी तय करके पानी भरकर लाना पड़ता है। जल संस्थान लापरवाही बरत रहा है। गर्मी बढ़ने वाली है और यदि पेयजल की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो उनकी परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाएगी। उनकी मांग है कि हैंडपंप के साथ-साथ उनके क्षेत्र में नया ट्यूबवेल स्थापित करना चाहिए।
बोले जिम्मेदार
हरिद्वार में कई क्षेत्रों में पेयजल की समस्या को देखते हुए नए ट्यूबवेल लगाने की प्रक्रिया चल रही है। कई स्थानों पर नए ट्यूबवेल लगाने के लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजे गए हैं। वार्ड 44 त्रिमूर्तिनगर में पानी की समस्या को लेकर प्रस्ताव मिलेगा तो नए ट्यूबवेल लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। निश्चित रूप से जनता को पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा।
-विपिन चौहान, अधिशाषी अभियंता, उत्तराखंड जल संस्थान, हरिद्वार
बोले लोग
रात में जागकर पानी भरना पड़ता है, लेकिन तब भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। बच्चों, चहिलाओं और बुजुर्गों को ज्यादा दिक्कत उठानी पड़ रही है। अफसरों को हमारी परेशानी समझनी चाहिए। -फैसल अंसारी, स्थानीय निवासी
तीन महीने हो गए हैं, पहले दिनभर काम करना पड़ता है और काम करने के बाद रात में पानी के लिए जागना पड़ता है। फिर भी पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। -अयान अंसारी, स्थानीय निवासी
पेयजल की किल्लत से परेशान हैं। टैंकर इत्यादि की कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की गई है। सुबह 4 बजे पानी बंद होने के बाद दूसरे मोहल्ले से पानी लाना पड़ता है। बड़ी मजबूरी है। -इमरान मंसूरी, स्थानीय निवासी
जल संस्थान के अधिकारियों को कई बार पत्र लिखे गए, लेकिन संज्ञान नहीं लिया जाता। इसके बाद सीएम पोर्टल पर भी शिकायत की फिर भी समाधान नहीं हो पा रहा है। -अहसान अंसारी, समाजसेवी
रात में जागकर बाल्टियों में पानी भरना पड़ता है। सुबह काम पर जाने के लिए जल्दी उठना पड़ता है। जिससे नींद पूरी नहीं होती है। पानी की किल्लत से अब कामकाज पर भी असर पड़ने लगा है। -दिलशाद, स्थानीय निवासी
क्षेत्र में हजारों की आबादी निवास करती है। इतनी बड़ी आबादी में कहीं भी सरकारी हैंडपंप नहीं है। प्रशासन उनके लिए हैंडपंप ही लगवा दे तो काफी हद तक उनकी समस्या कम होगी। -फय्याज अब्बासी, स्थानीय निवासी
जिस ट्यूबवेल से पेयजल की आपूर्ति की जाती थी वो पिछले पांच सालों से बंद पड़ा है। ट्यूबवेल के ऊपर सीमेंट की सड़क बनाने से ट्यूबवेल दब गया है। -निसार अहमद, स्थानीय निवासी
पांडेवाला के ट्यूबवेल की क्षमता कम है। पेयजल की आपूर्ति के लिए नया ट्यूबवेल लगाना चाहिए। जिसके बाद ही हमारी समस्या का समाधान हो पाएगा। -शाहिद, स्थानीय निवासी
सर्दियों में तो जैसे-तैसे काम चल गया। लेकिन गर्मियां शुरू होते ही परेशानी बढ़ गई है। ज्यादा गर्मी में पानी की आवश्यकता ज्यादा पड़ेगी। -सुहैल अंसारी, स्थानीय निवासी
पांच सालों से वैकल्पिक व्यवस्था से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। दूसरे ट्यूबवेल से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। पानी की समस्या स्थाई समाधान होना चाहिए। -ताहिर, स्थानीय निवासी
रात को पानी आता है और सुबह होने से पहले ही बंद हो जाता है। लो प्रेशर से पानी छतों पर रखे टैंक में नहीं चढ़ पाता है। पानी का प्रेशर बढ़ाना चाहिए। -शाकिर मंसूरी, स्थानीय निवासी
जब हम लोग पानी का बिल समय पर भरते हैं तो पर्याप्त पानी भी मिलना चाहिए। जल संस्थान के अधिकारियों को मौके पर आकर स्थिति को देखना चाहिए। -नफीस गौड, स्थानीय निवासी
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