बोले गढ़वाल : पुनाड़ गांव की नहर टूटी, सिंचाई कैसे होगी
रुद्रप्रयाग के पुनाड़ गांव के किसान खराब सिंचाई नहरों और पानी की कमी के कारण खेती छोड़ने पर मजबूर हैं। स्थानीय प्रशासन की उपेक्षा से परेशान किसान बारिश पर निर्भर रहने को विवश हैं। पेयजल और सड़क...
रुद्रप्रयाग को भले कभी पुनाड़गांव के नाम से ही पुकारा जाता था, लेकिन लहलहाती खेती के लिये मशहूर रहे पुनाड़गांव में आज किसान आजीविका के मुख्य साधन खेतीबाड़ी से मुंह मोड़ने को मजबूर हो गए हैं। दरअसल इसके पीछे की असल वजह है क्षतिग्रस्त और सूखी सिंचाई नहर। सिंचाई नहर वर्षों से क्षतिग्रस्त होने के साथ ही उसमें पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं होने से भी अब स्थानीय किसानों को खेतीबाड़ी छोड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। विभागी अधिकारियों की उपेक्षा से लोग परेशान हैं। रुद्रप्रयाग से बद्री नौटियाल की रिपोर्ट...
देश को खाद्यान्न उपलब्ध कराने वाले किसान को अन्नदाता भी कहा जाता है लेकिन जब वो ही अन्नदाता किसान सरकारी मशीनरी की उपेक्षा और लापरवाही से परेशान होने लगे तो स्वाभाविक है कि वो खेतीबाड़ी से अपना मुंह मोड़ने को मजबूर होगा ही। दरअसल इसका उदाहरण देखने को मिल रहा है लगभग 1500 की आबादी वाले और नगरपालिका के वार्ड 6 का महत्वपूर्ण हिस्सा पुनाड़ गांव में। इस क्षेत्र के लगभग पांच हेक्टेयर भूमि में खेती ही स्थानीय निवासियों की आर्थिकी का मजबूत आधार रही है और अधिकांशत: लोग आज भी खेती किसानी से जुड़े हुए हैं लेकिन गांव में कृषिक्षेत्र की दशकों से समृद्ध विरासत और कारण रही ऐतिहासिक नहर की स्थिति आज बेहद खस्ताहाल है। क्षेत्र में लहलहाती खेती की वजह रही सिंचाई नहर कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त तो है ही, इसके साथ नहर में सिंचाई के लिये पानी नहीं मिलने की वजह से किसान बेहद परेशान भी हैं।
बारिश पर ही निर्भर रहने की मजबूरी अब किसानों के लिये आम बात हो गई है। लम्बे समय से सिंचाई नहर को ठीक कर और उसमें पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने की सिंचाई विभाग और प्रशासन से भी लिखित और मौखिक रूप से अपील कर चुके परेशान किसानों को जहां अब अपनी समस्या का हल होते नहीं दिख रहा है वहीं अब वो खेती को छोड़ने पर विवश हो गए हैं। कुछ लोग तो मजबूरी में खेतीबाड़ी छोड़ भी चुके हैं बावजूद इसके सरकारी मशीनरी इस ओर संवेदनशील होने को तय्यार ही नहीं है। ऐसा नहीं है कि केवल इस प्रमुख समस्या को छोड़ अन्य समस्याएं क्षेत्रवासियों के सामने नहीं हैं बल्कि नगर के मुख्य हिस्से से पुनाड़गांव पहुंचने वाले दोतरफा रास्ते की स्थिति भी बेहद खराब बनी हुई है।
वर्षों पूर्व क्षेत्र में पहुंचने के लिए सड़क तो बनी, लेकिन उसका फायदा आजतक लोगों को नहीं मिल सका है, क्योंकि न उसका चौड़ीकरण हुआ और न उसका डामरीकरण। इस कारण केवल दोपहिया वाहनों के लिए प्रयोग में आ रहे इस रास्ते पर दोपहिया वाहनों की आवाजाही भी बेहद जोखिमपूर्ण बनी है। पैदल मार्गों की स्थिति भी बेहद खस्ताहाल बनी है और ऊपर से पेयजल लाइनों का मकड़जाल और भी मुसीबतभरा है। क्षेत्र में स्ट्रीटलाइट्स की बेहद कमी तो है ही, साथ ही नालियों के नहीं होने से रास्तों में ही फैलते पानी से वो फिसलनभरे हो गए हैं। गर्मियों की शुरूआत होते ही पेयजल संकट भी आम बात है, जिस कारण इंसानों के साथ पशुओं का पालन भी मुश्किल हो जाता है। सार्वजनिक शौचालय और पेयजल सुविधा नहीं होने से भी लोगों को परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
पुनाड़ गांव के लोग पेयजल संकट से जूझ रहे
पुनाड़ क्षेत्र में पेयजल संकट ने भी लोगों को परेशान किया हुआ है। सामान्य दिनों में भी पेयजल किल्लत से जूझते क्षेत्रवासियों के लिए तो गर्मियों का मौसम जैसे उनपर आफत बनकर टूट पड़ता है। कहने को तो पुनाड़गांव में पूरे नगर में पीने के पानी की आपूर्ति के लिये दो बड़े पेयजल टैंक बनाये गए हैं लेकिन चिराग तले अंधेरे की कहावत यहां तब चरितार्थ होती दिखाई देती है जब इसी क्षेत्र के लोगों को पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति तक नहीं हो पा रही है। ऐसे में मौजूद पेयजल टैंक उन्हें मुंह चिढ़ाते हुए नजर आते हैं। पेयजल संकट की स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की मजबूरी में लोगों को पैदल चलकर आबादीक्षेत्र के ठीक नीचे बहते पुनाड़ गदेरे से पीने का पानी ढोना पड़ता है। पुनाड़वासी इस बात से ही चिंतित नहीं हैं कि उन्हें पीने का पानी ही पर्याप्त तौर पर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है बल्कि उनकी चिंता इस बात से भी है कि इस कारण वो अपने पशुओं को भी पानी नहीं पिला पा रहे हैं।
सुझाव
1. वर्षों से क्षतिग्रस्त सिंचाई नहर को ठीक कर उसमें पर्याप्त पानी छोड़ा जाए जिससे दिक्कतें न हों।
2. गुलाबराय से पुनाड़ तक आधीअधूरी सड़क का चौड़ीकरण व डामरीकरण कर उसे चौपहिया वाहनों के लायक बनाया जाय।
3. गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण करवाया जाय जिससे रास्तों पर दलदल न हो।
4. पुनाड़ गांव में पैदल रास्तों को ठीक किया जाय और पर्याप्त मात्रा में पेयजल आपूर्ति की जाए।
5. क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय के साथ पेयजल सुविधा उपलब्ध हो। पर्याप्त संख्या में स्ट्रीटलाइट लगाई जाएं
शिकायतें
1. क्षतिग्रस्त सिंचाई नहर को ठीक नहीं किया जा सका और न उसमें पर्याप्त पानी की सप्लाई है।
2. गुलाबराय से पुनाड़ तक वर्षों पूर्व बनी सड़क का चौड़ीकरण और डामरीकरण नहीं होने से चौपहिया वाहनों की आवाजाही नहीं।
3. गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों की व्यवस्था नहीं होने से गंदा पानी रास्तों पर बहकर हादसों की आशंका बढ़ा रहा है।
4. पुनाड़गांव में पैदल रास्तों की भी बेहद बुरी स्थिति है। पेयजल संकट के कारण पुनाड़ गदेरे से लाना पड़ता है पीने का पानी।
5. क्षेत्र में न सार्वजनिक शौचालय हैं और न पेयजल सुविधा।
पानी के अभाव में किसान खेती छोड़ने के लिए हो रहे मजबूर
पुनाड़ गांव में वर्तमान में लगभग पांच हेक्टेयर कृषि भूमि पर किसान खेती करते हैं। लेकिन सिंचाई के अभाव के कारण खेती करना लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। शोपीस बन चुकी सिंचाई नहर के चलते अब किसान कई पीढ़ियों से खेतीबाड़ी के अपने काम से भी मजबूरी में मुंह मोड़ने लगे हैं। कई बार की लिखित और मौखिक शिकायतों के बावजूद सरकारी मशीनरी पर इसका कोई असर नहीं होने से किसान परेशान हैं। खास बात यह है कि क्षेत्र में इन दिनों गेहूं की कटाई हो रही है और इसके बाद धान की फसल उगाने की तैयारी होनी है। हर साल किसानों के सामने धान की पौध उगाने से लेकर रोपाई तक की पूरी प्रक्रिया में पानी का भारी अकाल बना रहता है। पूर्व में खेतों में रोपाई के लिए विशेष दिन निर्धारित किया जाता था लेकिन अब पानी के अभाव में सूख चुकी नहर के कारण ये परम्परा भी अब टूट चुकी है।
पालिका में होने के बावजूद गांव के लिए सड़क तक नहीं बनी
पुनाड़ गांव नगरक्षेत्र से बिल्कुल सटे होने के बावजूद इस क्षेत्र तक पहुंचने के लिये सड़क ही नहीं है। कई सालों पहले गुलाबराय से पुनाड़गांव तक सड़क तो बनाई गई लेकिन वो जनता के पैसों की बर्बादी से ज्यादा कुछ साबित नहीं हो सका। कहने को तो उसे चौपहिया वाहनों के लिए बनाया जाना था लेकिन दरअसल वो एक कच्चे संकरे रास्ते से ज्यादा साबित नहीं हो सकी। बोलनेभर के लिए सड़क का नाम तो उसे दिया गया, लेकिन चौपहिया वाहनों के लिए न उसे चौड़ा किया गया और न उसका आजतक डामरीकरण ही हो पाया है। हां इतना जरूर है कि किसी तरह पुनाड़गांव में दोनों ओर से किसी तरह पहुंचने के लिए कच्चे रास्ते जरूर हैं लेकिन उनपर दोपहिया वाहनों की आवाजाही इस कदर जोखिमपूर्ण है कि कई बार लोग चोटिल भी हो चुके हैं। जानकारी के बावजूद नगर पालिका कुछ नहीं कर रही।
पालिका की उपेक्षा के चलते पुनाड़ गांव में एक शौचालय तक नहीं
पुनाड़ क्षेत्र में रहने वालों पर नगर पालिका प्रशासन की संवेदनहीनता और गैरजिम्मेदारी भी भारी पड़ती दिखाई देती है। पूरे क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय के साथ पेयजल सुविधा भी नदारद है। इन सुविधाओं की गैरमौजूदगी के साथ स्ट्रीटलाइट का न होना भी क्षेत्रवासियों के लिए मुसीबत का कारण बना हुआ है। सार्वजनिक शौचालय और पेयजल सुविधा नहीं होने से जहां लोगों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं तो वहीं स्ट्रीटलाइट नहीं होने के कारण शाम ढलते ही स्थानीय निवासियों को जंगली जानवरों की मौजूदगी में आवाजाही भी जी का जंजाल बनी हुई है। रास्तों के किनारे नालियों के नहीं होने से पानी रास्तों पर फैलकर उन्हें फिसलनयुक्त बनाते हुए दुर्घटनाओं को आमंत्रित करता दिखाई देता है। इतना ही नहीं बल्कि गांव को जोड़ने वाले पैदल रास्तों की हालत भी बेहद खराब हैं।
बोले लोग-
पुनाड़ क्षेत्र में सिंचाई नहर की लोगों को निंतात जरूरत है। विभागीय अधिकारियों से कई बार नहर में पानी की आपूर्ति को लेकर बोल चुके हैं लेकिन विभाग मरम्मत को तैयार नहीं है। -अनंत नौटियाल
खेती पर ही निर्भर पुनाड़ क्षेत्रवासियों को सिंचाई नहर में पानी नहीं होने के कारण रवि और खरीफ की फसल के दौरान बहुत दिक्कतें पेश आती हैं। चौपहिया वाहन सुविधा के लिए आज भी सड़क नहीं है। -महेश डियून्ड़ी
गुलाबराय से पुनाड़ तक वर्षो पूर्व सड़क तो बनाई गई किंतु यह सड़क किसी काम की नहीं है। लगातार मांग करने के बावजूद चौड़ीकरण और डामरीकरण नहीं होने से वाहनों की आवाजाही नहीं हो पा रही है।-दिनेश सेमवाल
पुनाड़ में लोग सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर रहते हैं, जबकि गर्मियों में धान की रोपाई के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में नहर में पानी नहीं होने से परेशानी होती है। -चक्रधर सेमवाल
क्षेत्र में पौराणिक पैदल मार्गों की स्थिति बदहाल है, जबकि इन्हीं रास्तों से क्षेत्रवासी रोज की आवाजाही करते हैं। रास्तों में कई स्थानों पर पेयजल लाइनों के मकड़जाल से आवागमन में दिक्कतें होती हैं। -अजय सेमवाल
पुनाड़ क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय, पेयजल टंकी और सिंचाई नहर की दिशा में आवश्यक कार्यवाही करने की जरूरत है ताकि यहां के लोगों की इन समस्याओं का समाधान हो सके। -प्रवीन सेमवाल
दोपहिया वाहन पहुंच मार्ग में सुरक्षा के इंतजाम किए जाने चाहिए। जिन स्थानों पर रेलिंग टूट रही हैं वहां लगाई जायें। क्षतिग्रस्त सिंचाई नहर को ठीक कर इसपर पानी उपलब्ध कराया जाय। -राकेश नौटियाल
पुनाड़ क्षेत्र में एक ओर खेतों में लोग सिंचाई से परेशान है वहीं बंदर और जंगली जानवरों की भी आवाजाही बनी रहती है। इस क्षेत्र में नियमित स्ट्रीट लाइटें होनी चाहिए ताकि लोग सुरक्षित रहें। -आशीष नौटियाल
महिलाएं सबसे अधिक समय खेतीबाड़ी में लगी रहती है किंतु सिंचाई की सुविधा न होने से महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पेयजल संकट भी मुश्किलें बढ़ा रहा है। -आशा सेमवाल, अध्यक्ष, महिला मंगल दल, पुनाड़
पुनाड़ नगर का सबसे नजदीकी गांव है किंतु यहां कई समस्याएं हैं। नहर की परेशानी के साथ ही जंगली जानवरों का भय बना है। गर्मी में पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। -रेखा सेमवाल, पूर्व अध्यक्ष, नगर पालिका
सिंचाई नहर में पानी न होने से लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इसके साथ ही पेयजल समस्या दिन प्रतिदिन विकराल रूप ले रही है जिससे आम जनता को तो काफी मुश्किलें हो रही हैं। -अंजू नौटियाल
क्षेत्र को जोड़ने वाले पुराने रास्तों की समय-समय पर मरम्मत की जानी चाहिए। सिंचाई और पेयजल व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में ठोस कार्यवाही करने की जरूरत है। -संतोषी नौटियाल।
बोले जिम्मेदार
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता खुशवंत सिंह चौहान का कहना है कि पुनाड़ क्षेत्र में सिंचाई की समस्या है, इसके समाधान के लिए पूर्व में प्रस्ताव भेजा गया था किंतु धनराशि स्वीकृत नहीं हो सकी। अब दोबारा नाबार्ड में काम के लिए करीब 30 से 35 लाख रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। इसकी स्वीकृति मिलते ही सिंचाई नहर के अधिकांश हिस्से को ठीक किया जाएगा। वहीं रुद्रप्रयाग नगर पालिका अध्यक्ष संतोष रावत का कहना है कि नगर पालिका स्तर से पुनाड़ वार्ड की सभी समस्याओं को हल किया जाएगा। नगर पालिका स्तर से होने वाले कार्यों को लेकर पालिका हर नागरिक की समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रही है। जो भी समस्याएं संज्ञान में लाई जाएंगी उनका निराकरण किया जाएगा।
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