उत्तराखंड पुलिस के कांस्टेबल को भी नहीं छोड़ा, जमीन बेचने के नाम पर ठगों के झांसे में आकर गवाए लाखों रुपये
हिमांशु चौहान का कहना है कि उक्त सभी आरोपी एक संगठित ठग गिरोह चला रहे हैं, जिन्होंनेे योजनाबद्ध तरीके से उसके साथ धोखाधड़ी की है। उन्होंने पुलिस से आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई करने तथा उनकी रकम की रिकवरी कराने की मांग की है।

उत्तराखंड पुलिस के कांस्टेबल को भी ठगों ने नहीं छोड़ा है। ठगों के झांसे में आकर कांस्टेबल से लाखों रुपयों की ठगी हो गई है। पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। हरिद्वार में जमीन खरीदने के नाम पर एक पुलिस कांस्टेबल के साथ सात लाख से अधिक की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। कांस्टेबल हिमांशु चौहान ने सिडकुल थाने में तहरीर देकर पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
मोहल्ला नई धीरवाली, ज्वालापुर, निवासी कांस्टेबल हिमांशु चौहान ने बताया कि तेलुराम पुत्र श्री चौहान सिंह निवासी ग्राम ठाई, तहसील रुड़की तथा उसके साथियों मोहम्मद मुस्तकीम, दिलशाद, सन्नी और सखावत अली ने मिलकर ग्राम आनेकी हेत्तमपुर की एक जमीन को तेलूराम की बताकर 31 लाख रुपये में सौदा तय किया।
13 सितंबर 2024 को हिमांशु ने उक्त जमीन का इकरारनामा अपनी पत्नी के नाम तहसील ज्वालापुर में कराया और कुल 7.75 लाख रुपये की पहली कश्ति अदा की। इसमें तीन लाख रुपये चेक से और 4.75 लाख रुपये नकद दिए गए। तीन महीने बाद जब कांस्टेबल ने दस्तावेजों की जांच करवाई तो पता चला कि जमीन तेलुराम के नाम पर है ही नहीं।
हिमांशु चौहान का कहना है कि उक्त सभी आरोपी एक संगठित ठग गिरोह चला रहे हैं, जिन्होंनेे योजनाबद्ध तरीके से उसके साथ धोखाधड़ी की है। उन्होंने पुलिस से आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई करने तथा उनकी रकम की रिकवरी कराने की मांग की है।
प्लॉट बेचने के नाम पर 34 लाख की धोखाधड़ी
हरिद्वार के बीएचईएल रानीपुर निवासी एक व्यक्ति से 34 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। यह धोखाधड़ी शिवलोक आवासीय योजना के तहत प्लॉट की फर्जी बक्रिी से जुड़ी है। पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पीड़ित विजयपाल ने कोर्ट को प्रार्थना पत्र देकर बताया कि दिसंबर 2023 में खड़क सिंह, विजयपाल सिंह, आशा देवी और कुसुमलता ने फर्जी वक्रियपत्र दिखाकर उसे प्लॉट बेच दिया था। लेकिन नगर निगम में नामांतरण की प्रक्रिया के दौरान खुलासा हुआ कि प्लॉट पहले ही 1988 में हरद्विार विकास प्राधिकरण द्वारा हंसराज सिंह यादव को आवंटित हो चुका था।
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