40% सैलरी बढ़ने के बावजूद हालात बदतर, सोशल मीडिया पर लड़के की कहानी वायरल
- शख्स ने पुणे से बेंगलुरू शिफ्ट होकर 40 प्रतिशत सैलरी बढ़ाने का सपना देखा था, लेकिन एक साल बाद ही उसने महसूस किया कि शहर बदलने से मिलने वाली सैलरी में भी आराम नहीं है।

कभी सैलरी बढ़ने से खुश होकर शहर बदलने का निर्णय लिया, लेकिन बेंगलुरू की महंगाई ने एक कर्मचारी को अपनी फैसले पर पछताने पर मजबूर कर दिया। शख्स ने पुणे से बेंगलुरू शिफ्ट होकर 40 प्रतिशत सैलरी बढ़ाने का सपना देखा था, लेकिन एक साल बाद ही उसने महसूस किया कि शहर बदलने से मिलने वाली सैलरी में भी आराम नहीं है। लड़के की इस कहानी को उसके दोस्त ने अपने लिंक्डइन पोस्ट में शेयर किया है, जो अब वायरल हो गया है।
पोस्ट के मुताबिक, उस कर्मचारी की पुणे में सालाना कमाई 18 लाख रुपये थी, लेकिन बेंगलुरू में उसे 25 लाख रुपये की सैलरी का ऑफर मिला। एक साल बाद, उसने अपने दोस्त से फोन पर अपने दुख का इजहार किया। उसने कहा, "मुझे ये शहर नहीं बदलना चाहिए था, पुणे बहुत बेहतर था, बेंगलुरू में 25 लाख रुपये कुछ नहीं लगता।" दोस्त ने हैरान होकर जवाब दिया, "तुम क्या कह रहे हो? 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी तो एक अच्छा इंक्रीमेंट है, तुम्हें तो ज्यादा बचत करनी चाहिए। वापस क्यों आना चाहते हो?"
पुणे का वड़ा पाव याद आता है
कर्मचारी ने बताया कि बेंगलुरू के खर्चों ने उसकी सैलरी की बढ़ोतरी को कहीं का नहीं छोड़ा। "यह बेंगलुरू के लिए कुछ भी नहीं है," उसने कहा। "यहां के रेंट बहुत महंगे हैं। मकान मालिक तीन-चार महीने का डिपॉजिट मांगते हैं। ट्रैफिक बहुत बुरा है और कम्यूटिंग में बहुत खर्चा होता है।" उसने यह भी कहा कि वह पुणे के 15 रुपये के वड़ा पाव को याद करता है। कम से कम वहां जीवन और बचत ठीक थी।" पोस्ट के अंत में उसके दोस्त ने सवाल पूछा, “आप क्या पसंद करेंगे - एक मेट्रो शहर या एक टियर-2 शहर?”
पोस्ट पर लोगों के कमेंट्स
लिंक्डइन पोस्ट ने यूजर्स को अपनी निजी अनुभव साझा करने के लिए प्रेरित किया। एक यूजर ने लिखा, "मैं पूरी तरह से इस बात से सहमत हूं! मैंने आठ साल पुणे में बिताए और वहां के संतुलित जीवन का बहुत आनंद लिया। शानदार मौसम, सस्ती जिंदगी और एक आरामदायक माहौल। दो साल पहले बेंगलुरू शिफ्ट होने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यहां क्या फर्क है। ट्रैफिक, ऊंचे रेंट्स और महंगी जिंदगी सैलरी बढ़ोतरी को खा जाते हैं। पुणे अभी भी घर जैसा लगता है, और सच कहूं तो मुझे वहां का सादा और सस्ता जीवन बहुत याद आता है। ज्यादा पैसा हमेशा बेहतर जीवन का मतलब नहीं होता।"
किसी और ने बेंगलुरू का बचाव करते हुए कहा, "मैं यहां कम कमाता हूं लेकिन खुश हूं। यह सब पैसे का सही प्रबंधन है। भाई, शहर को दोष मत दो।" एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, "हालांकि बेंगलुरू महंगा है, लेकिन 25 लाख रुपये को 'पीनट्स' कहना थोड़ा ज्यादा हो गया। हां, रेंट और डिपॉजिट हाई हैं, और ट्रैफिक वाकई में बुरा है, लेकिन यह एक ऐसा शहर है जो मौके और अनुभवों से भरा हुआ है। लोग बहुत कम सैलरी पर भी आराम से रह लेते हैं। शायद आपके दोस्त को सिर्फ बेहतर बजटिंग की जरूरत है, बजाय कि शहर को दोष देने के।"
मुंबई और बेंगलुरू की तुलना
एक और कमेंट में बेंगलुरू की महंगाई की तुलना मुंबई से की गई: "यह बिल्कुल सही है! मैंने मुंबई में एक जीवन बिता कर अब बेंगलुरू में तीन महीने बिताए हैं और मैं यह दावा कर सकता हूं कि मुंबई के मुकाबले बेंगलुरू की महंगाई कुछ भी नहीं है। रेंट के अलावा, बाकी सब कुछ सस्ता है।"
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