Bhojpur Admin Activates Measures After Two Cases of Encephalitis मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम, पहचान व प्रबंधन को ले रणनीति तैयार, Ara Hindi News - Hindustan
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मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम, पहचान व प्रबंधन को ले रणनीति तैयार

-भोजपुर में मस्तिष्क ज्वर के दो मामले सामने आने के बाद प्रशासन सक्रिय, प्रखंड स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक जल्द कराने का डीडीसी ने दिया निर्देश

Newswrap हिन्दुस्तान, आराFri, 11 April 2025 08:41 PM
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मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम, पहचान व प्रबंधन को ले रणनीति तैयार

-भोजपुर में मस्तिष्क ज्वर के दो मामले सामने आने के बाद प्रशासन सक्रिय -प्रखंड स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक जल्द कराने का डीडीसी ने दिया निर्देश आरा, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। कलेक्ट्रेट सभागार में शुक्रवार को वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत बैठक की गई। अध्यक्षता डीडीसी डॉ अनुपमा सिंह ने की। बैठक का उद्देश्य मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम, समय पर पहचान व समुचित प्रबंधन के लिए स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ विभिन्न विभागों के अधिकारियों में समन्वय स्थापित करना व रणनीति तैयार करना था। मौके पर डीडीसी की ओर से निर्देशित किया गया कि सभी प्रखंडों में जल्द प्रखंड स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक कराई जाए। साथ ही सुअरबाड़ा और महादलित टोले के एक किलोमीटर की परिधि में विशेष सतर्कता बरतते हुए वहां साफ-सफाई, फॉगिंग और 15 वर्ष तक के अप्रतिरक्षित बच्चों का टीकाकरण कराया जाए। जिला परिवहन पदाधिकारी को मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना के लाभुकों के माध्यम से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया। डीईओ को निर्देश दिया गया कि प्राथमिक विद्यालयों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए और अभिभावकों को भी इस संबंध में जागरूक किया जाए। अब तक भोजपुर में मस्तिष्क ज्वर के दो मामले सामने आए हैं। मौके पर सिविल सर्जन, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकरी, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, डीपीएम जीविका, जिला स्वास्थ्य प्रबंधक व अन्य संबंधित पदाधिकारी मौजूद रहे। मस्तिष्क ज्वर एक से 15 साल के बच्चों को करता है प्रभावित मस्तिष्क ज्वर एक गंभीर बीमारी है, जो प्राय: एक से 15 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रभावित करती है। इसके मुख्य लक्षणों में तेज बुखार के साथ चमकी, सिरदर्द, भ्रम, बेहोशी जैसी मानसिक स्थितियों में बदलाव शामिल हैं। यह बीमारी वायरल संक्रमण जैसे जापानी इंसेफलाइटिस, खसरा, मम्प्स, चेचक, कुपोषण, अधपकी लीची का सेवन व सुअरबाड़ा या जलपक्षियों के निकट रहने वाले बच्चों में अधिक पाई जाती है। बिहार में यह रोग वर्षभर सक्रिय रहता है। लेकिन, अप्रैल से नवंबर के बीच इसके मामले अधिक संख्या में सामने आते हैं और इससे संबंधित मृत्यु दर 20-30% तक पाई गई है। रोग से बचाव हेतु तीन महत्वपूर्ण बात सुझाई गई। पहली, बच्चों को रात में भरपेट भोजन कराएं। दूसरी, रात में सोते समय और सुबह उठते ही उनकी स्थिति जांचें कि कहीं बेहोशी या चमकी तो नहीं। तीसरी, किसी भी लक्षण की स्थिति में तुरंत 102 एम्बुलेंस या अन्य उपलब्ध वाहन से नजदीकी अस्पताल पहुंचाएं।

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