भारत गौरव पर्यटन ट्रेन 31 मई को पहुंचेगी आरा
-यात्रियों को दर्शन कराती हुई 12 जून को वापस आरा पहुंचेगी ट्रेन कंफर्ट थर्ड एसी की दो श्रेणी की है सुविधा

-यात्रियों को दर्शन कराती हुई 12 जून को वापस आरा पहुंचेगी ट्रेन -इकॉनमी स्लीपर और कंफर्ट थर्ड एसी की दो श्रेणी की है सुविधा आरा, निज प्रतिनिधि। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कारपोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) देखो अपना देश के तहत भारत गौरव पर्यटन ट्रेन की शुरुआत करने जा रही है। यह ट्रेन 31 मई की सुबह धनबाद से खुलेगी और शाम में आरा पहुंचेगी। इसके तहत सात ज्योतिर्लिंग, द्वारकाधीश मंदिर, शिर्डी साईं बाबा और शनि शिंगणापुर मंदिर का दर्शन कराती हुई 12 जून को वापस आरा में यात्रियों को उतारती हुई धनबाद लौटेगी। इसे ले आरा के स्थानीय एक होटल में आईआरसीटीसी के सीनियर एग्जीक्यूटिव विश्वराज साहा और पूर्वी क्षेत्र के मुख्य पर्यवेक्षक संजीव कुमार ने प्रेस वार्ता की। उन्होंने बताया कि आरा के यात्रियों के लिए विशेष सुविधा दी गई है। ग्रुप बुकिंग में 10 लोग या उससे अधिक का एक साथ टिकट बुक करने पर प्रति यात्री 750 रुपए कम चुकाने होंगे। यह यात्रा 12 रात और 13 दिनों की है। यात्रियों की सुविधा के लिए इकॉनमी स्लीपर और कंफर्ट थर्ड एसी की दो श्रेणी की सुविधा उपलब्ध होगी। इसमें खाने-पीने, रहने और परिवहन की सुविधा मिलेगी। भारत गौरव ट्रेन योजना के तहत रेल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 33 फीसदी सब्सिडी के साथ रियायत प्रदान की गई है। भारत गौरव पर्यटन ट्रेन में थर्ड एसी के चार कोच, स्लीपर के सात कोच, एक पैंट्री कार और एसएलआर के दो कोच शामिल होंगे। इसमें यात्रियों के लिए स्लीपर और थर्ड एसी की 650 सीटें हैं। इसमें से लगभग 200 सीटों पर बुकिंग हो चुकी है। यात्रा के लिए दो श्रेणी बनाये गये हैं। इनमें स्लीपर क्लास की इकॉनमी श्रेणी और थर्ड एसी की कंफर्ट श्रेणी है। भारत गौरव पर्यटन ट्रेन में यात्रियों की सुविधा के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन बुकिंग की सुविधा उपलब्ध है। ---------- भगवान राम व भगवान कृष्ण ने धर्म की स्थापना को अवतार लिया -कोहड़ा गांव में श्री लक्ष्मीनारायण सह श्रीमद् भागवत महायज्ञ उदवंतनगर, संवाद सूत्र। प्रखंड के कोहड़ा गांव में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण सह श्रीमद्भागवत महायज्ञ में प्रवचन करते हुए शिवेश तिवारी ने कहा कि रघुकुल में भगवान राम का प्रकाट्य हुआ था। रघुकुल के प्रतापी राजाओं ने धर्म की रक्षा में अपना सर्वस्व समर्पित किया था। राजा अम्बरीष ने संसार में एकादशी व्रत के महात्म को प्रतिपादित किया था। वहीं हरिश्चंद्र ने अपना सब कुछ गंवा कर भी सत्य को महिमा मंडित किया। रघुकुल शिरोमणि भगवान राम ने धर्म की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया था। रावण के अंत के साथ ही उन्होंने राक्षसी प्रवृत्ति और रावण के दंभ को समाप्त कर धर्म की रक्षा की। वहीं भगवान कृष्ण ने कंस जैसे आततायियों का अंत कर धर्म की पुनः स्थापना की। उन्होंने गीता का उपदेश के रूप में कर्म की वास्तविक परिभाषा दी। आज भी गीता के उपदेश प्रासंगिक हैं। पद्मनाभ स्वामी के सानिध्य में आयोजित सात दिवसीय श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के चौथे दिन यज्ञाहुति दी गई और लोगों ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा किया तथा मनोवांछित फल की कामना की। यज्ञ में कोहड़ा, रघुपुर, भूपौली, सोनपुरा, उदवंतनगर सहित अन्य गांवों से श्रद्धालु यज्ञ देखने पहुंचे। यज्ञ समिति के सदस्यों ने अधिक से अधिक संख्या में यज्ञ स्थल पर पहुंचने का आह्वान किया।
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