धान की अच्छी उपज के लिए खेत की करें गहरी जुताई, लगने दें धूप
कुर्साकांटा में किसान गेहूं और मक्का की फसल काटने के बाद धान की रोपनी की तैयारी कर रहे हैं। खेतों की उर्वरा क्षमता बढ़ाने के लिए गहरी जुताई और फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाने की सलाह दी गई है। इससे...

कुर्साकांटा, निज प्रतिनिधि जिले में गेहूं व मक्का की फसल तैयार हो रहे हैं। किसानों की खेत खाली हो रही है। जून के अंतिम दिनों में धान की रोपनी शुरु हो जाएगी। धान भारत की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल में से एक है। ऐसे में किसान मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढ़ाने के लिए अगर कुछ जरुरी उपाय कर लें तो धान में आने वाली लागत को कम कर ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है। कटिहार जिले के मनिहारी के प्रखंड उद्यान पदाधिकारी सुनील झा ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के के ज्यादा इस्तमाल करने से मृदा स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है। मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा कम होती जा रही है। इसके साथ ही पीएच का स्तर भी गड़बड़ा रहा है, लेकिन किसान अगर इन खाली खेतों में कुछ उपाय कर लें तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को चार गुणा तक बढ़ा जा सकता है। इसके लिए किसान फसल काटने के बाद अप्रैल मई के महीने मेंखेत को गहरी तरह से जुताई कर फसल अवशेष को मिट्टी में मिला देना चाहिए। इसके बाद खेत को कुछ दिनों तक सुखने के लिए छोड़ देना चाहिए ताकि सूरज की रोशनी से मिट्टी में उपलब्ध रोगाणु नष्ट हो जाएं। ऐसा करने से ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में इजाफा होगा। गर्मी के दिनों में खेती की गहरी जुताई करना बेहद जरुरी है। गहरी जुताई करने से मिट्टी में मौजूद फंगस, बैक्टीरिया और खरपतवार के बीज नष्ट हो जाते हैं। तेज धूप के सपंर्क में आने से कई कीट भी मर जाते हैं। गर्मियों के मौसम में खेत की गहरी जुताई करने के बाद खेत की सिंचाई बिल्कुल न करें। सिंचाई करने से मिट्टी में पहले से मौजूद खरपतवारों के बीज अंकुरित हो जाते हैं। यही खरपतवार अगली फसलों को नुकसान पहुंचाता हैं। धान के रोपनी के समय इन खेतों को अच्छी तरह जोत कर मिट्टी का भूरभूरा बनाने के साथ समतल करना चाहिए, ताकि धान के फसल के लिए पानी की सही प्रवाह हो सके।
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