तीन एमबीबीएस डॉक्टर के भरोसे पांच लाख आबादी, एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं
मौसम में बदलाव के कारण रानीगंज रेफरल अस्पताल में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। ओपीडी में प्रतिदिन ढाई सौ से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं, जबकि अस्पताल में केवल तीन एमबीबीएस डॉक्टर हैं। विशेषज्ञ...

मौसम में हुए बदलाव के बाद बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे मरीज शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं रहने से नवजात को इलाज के लिए जाना पड़ता है बाहर
हाल रानीगंज प्रखंड का, अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिलने से गरीब रोगी व उनके परिजन परेशान
रानीगंज रेफ़रल अस्पताल में केवल आठ तरह की जांच की है सुविधा
रानीगंज रेफ़रल अस्पताल में ओपीडी में प्रतिदिन ढाई सौ से अधिक मरीजों का होता है इलाज
करीब 50 मरीजों का इमरजेंसी वार्ड में होता है ट्रीटमेंट
रानीगंज। एक संवाददाता।
मौसम में हुए बदलाव के बाद बढ़ती तपिश के कारण क्षेत्र के लोग बीमार पड़ने लगे है। हाल के कुछ दिनों से रानीगंज रेफ़रल अस्पताल के ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। इधर कुछ दिनों से ओपीडी में ढाई सौ से अधिक लोग इलाज के लिए पहुंच रहे है। जबकि कई पंचायतों में एचडब्ल्यूसी व एपीएससी है। चिकित्सक मौसम के बदलाव व गर्मी के समय सही से खानपान नहीं करने से लोगों के बीमार पड़ने का कारण बता रहे है। रानीगंज रेफ़रल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रोहित कुमार ने बताया कि हाल के दिनों में ओपीसी में मरीजों की संख्या काफी बढ़ी है। हर रोज ढाई सौ से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे है। इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों में सर्दी, खांसी, बुखार, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, मलेरिया, आदि के बीमारी से पीड़ित है। अभी जरूरत के लगभग सभी दवाइयां मौजूद है।
तीन एमबीबीएस डॉक्टर के भरोसे चार लाख की आबादी:
रानीगंज रेफ़रल अस्पताल में हर दिन में ओपीडी में ढाई सौ से अधिक मरीजों का इलाज किया जाता है। वहीं करीब पचास मरीज इमरजेंसी में हर रोज घटना व दुर्घटना सहित अन्य रोगों से पीड़ित लोग इलाज के लिए पहुंचते है। पूरे प्रखंड के सभी एपीएससी, एचडब्ल्यूसी को मिलाकर हर महीने लगभग 20 से 25 हजार लोगों का इलाज किया जाता है। इतने मरीजों के इलाज के लिए रानीगंज प्रखंड क्षेत्र के लगभग पांच लाख की आबादी में केवल तीन एमबीबीएस डॉक्टर है। इतनी बड़ी आबादी में 10 आयुष डॉक्टर है। जबकि केवल रानीगंज रेफ़रल अस्पताल में दस एमबीबीएस डॉक्टर की आवश्यकता है। इन चिकित्सकों में इनमें एक भी किसी रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। रानीगंज में न हड्डी, न शिशु, न स्त्री, न गला, नाक व कान, आदि कोई रोग के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं रहने के कारण यहां की एक बड़ी आबादी को बेहतर इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं रहने के कारण नवजात शिशुओं के इलाज के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता है।
रानीगंज में एक रेफ़रल, पांच एपीएससी व आठ एचडब्लूसी:
रानीगंज में विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावे अन्य विभागों के डॉक्टरों की भी घोर कमी है। रानीगंज के लगभग एपीएससी मोटे तौर पर एएनएम के भरोसे ही चल रहा है। रानीगंज रेफ़रल अस्पताल में तीन एमबीबीएस डॉक्टर है। एमबीबीएस चिकित्सकों में रानीगंज रेफ़रल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रोहित कुमार, डॉ बीएन साह, डॉ रूबी कुमारी है। रेफरल प्रभारी डॉ रोहित कुमार ऑफिसियल कार्यों में व्यस्त रहने को मजबूर हैं। केवल तीन एमबीबीएस डॉक्टरों के भरोसे रानीगंज के 30 पंचायत व एक नगर पंचायत की करीब पांच तीन की आबादी निर्भर है। रानीगंज क्षेत्र में पांच अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। इनमें बेलसरा, बसेटी, मिर्जापुर, गितवास, और परसाहाट है। वहीं हेल्थ ऐंड वेल्थ सेंटर में कमलपुर, बिशनपुर, बड़हरा, राघोपुर, हिंगना, रामपुर, और परसाहाट हांसा आदि हैं।
बोले रानीगंज रेफरल प्रभारी:
रानीगंज रेफ़रल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रोहित कुमार ने बताया कि रानीगंज रेफ़रल अस्पताल में आम जरूरत की लगभग 230 तरह की दवाइयां मौजूद है। इनमें जरूरी एंटीबायोटिक, पैरासिटामोल, दर्द की दवा, खुजली, रैबीज, सर्पदंश की इंजेक्शन, निमोनिया, आदि की दवाइयां उपलब्ध है। जबकि रानीगंज में सरकारी स्तर पर अल्ट्रासाउंड की कोई सुविधा नहीं है। हालांकि रानीगंज रेफ़रल अस्पताल में एक्सरे की सुविधा उपलब्ध है। जबकि टीवी, ट्रुलर, एचआईवी, ब्लड शुगर, डेंगू, सीवीसी, हिमोग्लोबिन, एचबीएस, कालाजार आदि की जांच की जाती है।
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