मौंडी थर्सडे पर धोए और पोंछे गए प्रभु के बारह चेलों के पैर
बेतिया में महागिरिजाघर के प्रांगण में पवित्र गुरुवार के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। ईसाई पुरोहितों ने 12 चेलों के पैरों को धोकर पोंछा। प्रभु यीशु के उपदेशों को दोहराया गया और रोटी तथा दाखरस ग्रहण...
बेतिया, हमारे संवाददाता। महागिरिजाघर के प्रांगण में शाम साढ़े पांच बजे से पवित्र गुरुवार अर्थात ‘मौंडी थर्सडे के अवसर पर अलग अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस दौरान ईसाई पुरोहितों द्वारा 12 चेलों का पैर धोकर पोंछे गए। प्रभु ईसा मसीह से जुड़ी सभी बातों को दोहराया गया। रोटी और दाखरस ग्रहण किया गया। संगीत मंडली के सदस्यों ने प्रभु द्वारा बतायी गयी बातों को संगीत के माध्यम से गाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। देर रात तक अलग अलग टोली में लोगों ने आराधना की। पाप स्वीकार भी किया गया। इस दौरान पूरा माहौल भक्तिमय हो गया था। यह पुण्य सप्ताह का पांचवा दिन है। मौंडी का शाब्दिक अर्थ आज्ञा माना जाता है। मान्यता है कि गुरुवार को ईसा मसीह अपने 12 चेलों के साथ अंतिम बार रात्रि भोजन अर्थात ‘लास्ट सपर करते हैं। भोजन करने से पहले प्रभु यीशु अपने सभी चेलों के पैरों को धोते हैं। शिष्यों द्वारा रोके जाने पर उन्होंने कहा कि मानव पुत्र सेवा कराने के लिए नहीं बल्कि सेवा करने के लिए आया है। मैं तुम लोगों का गुरु होकर भी पैर धो रहा हूं सेवा कर रहा हूं, वैसे ही तुम अपने भाइयों का पैर धोना और सेवा करना। इसके बाद उन्होंने सभी चेलों को आज्ञा दिया कि जिस प्रकार मैंने तुम्हें प्यार किया है तुम हमेशा दूसरे को प्यार करना। इसके पश्चात प्रभु अपने चेलों के साथ भोजन की। भोजन में उन्होंने रोटी और अंगूर का रस लिया और कहा कि तुम सब इस को और खाओ। यह मेरा शरीर और रक्त है। तुम मेरी स्मृति में यह किया करो। शिष्यों के साथ पांच पुरोहित रहे उपस्थित: उपस्थित ईसाई समाज के लोगों में से 12 लोगों को चुना गया जिसे इस दिन ईसा मसीह के 12 शिष्यों के रूप में समझा जाता है। गुरुवार के मिस्सा के मुख्य याचक केआर स्कूल के रेक्टर फादर थॉमस वीलीकुलम व अन्य याचक पल्ली पुरोहित फादर हेनरी, फादर फ्रांसिस, फादर विपिन और फादर रॉबर्ट के साथ 12 शिष्य महागिरजाघर में प्रवेश किया। गुरुवार के दिन सभी पाठ एवं सुसमाचार में प्रभु ईसा मसीह से जुड़ी सभी बातों को दोहराया गया। फादर थॉमस द्वारा उपदेश दिया गया। अलग अलग दलों में हुई आराधना : इसके पश्चात इन 12 शिष्यों के पैरों को फादर थॉमस एवं सभी याचकों के द्वारा धोए व पोंछे गए। बाद में उनके पैरों को चूमा भी गया। निशा बलिदान में रोटी दखरस को आशीष प्रदान की गई एवं लोगों के बीच बांटा गया। इस मौके पर संगीत मंडली के सदस्यों ने प्रभु द्वारा की गई बातों को संगीत के माध्यम से गाकर मिस्सा को और भी भक्तिम बना दिया। मैंने प्रभु और गुरु होकर भी धोए पैर तुम्हारे.. सेवक बनो मेरे साथियों यीशु ने हमें सिखाया है प्रेमी बनो तुम आद गीत गाए गए। निशा के अंत में पवित्र संक्रामेंत को मुख्य याचक हाथों में लेकर गिरजाघर का एक चक्कर लगाकर चर्च के एक किनारे पवित्र बेदी के बगल में बने एक बारी में रख दिया गया। इसके बाद 12 बजे रात तक विभिन्न समुहों जैसे क्रुसवीर, ईवीएस, यूथ, वानहुक एवं होली क्रॉस धर्म बहनों, महिला संघ एवं अन्य समूह द्वारा प्रार्थना की गई एवं अपने पापों पर पछतावा भी किया गया।
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