खुले में शौच, पेयजल व जलजमाव का संकट, आवास योजना का भी लाभ नहीं
वार्ड 45 की 80 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है लेकिन उन्हें नगर निगम से कोई सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं और जलजमाव की समस्या से जूझ रहे हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं...
नगर निगम के नव अधिगृहीत क्षेत्र में शुमार वार्ड 45 की 80 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है। यहां के लोगों को पीड़ा है कि उन्हें टैक्स तो नगर निगम का देना पड़ रहा है लेकिन सुविधाओं को नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है। लोगों का कहना है कि मोहल्ले के लोग खुले में शौच जाने को विवश हैं। सड़कों पर स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है। इस कारण रात में अंधेरा पसरा रहता है। लोगों को पेयजल और जलजमाव के संकट से जूझना होता है। इन मोहल्लों के लोगों की पीड़ा है कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना समेत किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता है। मोहल्ले के रूपन कुमार, शिवपूजन राम, पन्नालाल कुमार आदि ने बताया कि यह मोहल्ला एनएच-727 से सटा है। इसके वावजूद यह विकास से कोसों दूर है। लोगों का कहना है कि यहां के अधिकतर लोग रोजगार की कमी के कारण दूसरे प्रदेशों में नौकरी करते हैं। वार्ड पार्षद मदन प्रसाद गुप्ता की मानें तो वार्ड में संसाधनों की घोर कमी है। तमाम विकास कार्य अधूरे पड़े हैं। वार्ड के विकास के लिए जितनी राशि मिलनी चाहिए, नहीं मिल रही है। इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए अतिरिक्त आवंटन की जरूरत है लेकिन कुछ होता नहीं दिख रहा है।
मोहल्ले की सोना देवी, जोखनी देवी व सियापति देवी का कहना है कि वार्ड-45 में सरकारी बस स्टैंड बनाया जाए, जहां से सिटी बस संचालित हों। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उद्योग धंधे लगाये जाए। 40 फीसदी आबादी झुग्गी-झोपड़ी में रहती है। उन्हें प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना का लाभ मिलना चाहिए। रूपन कुमार, शिवपूजन राम, पन्नालाल कुमार, सत्यनारायण राम, मोतीलाल शाह ने बताया कि कहने के लिए हम लोग शहरी हैं लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ नहीं है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक घरों में जल नल की सुविधा नहीं मिली है। स्ट्रीट लाइट की सुविधा नहीं है। जलनिकासी की सुविधा नहीं होने के कारण तीन महीने तक अधिकांश क्षेत्र जलजमाव से घिरा रहता है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने को रास्ता नहीं था। इसका निर्माण पार्षद ने स्वयं के पैसे से कराया है। इस क्षेत्र के विकास के लिए अतिरिक्त राशि की जरूरत है। लोगों के जीविकोपार्जन का साधन खेती और मजदूरी है। लोगों ने कहा कि मेडिकल कॉलेज से सटे क्षेत्र को पंचायतों में रहने दिया गया, जहां 80 फीसदी लोग संपन्न हैं लेकिन झोपड़ी में रहनेवालों को निगम में शामिल कर दिया गया। भू-माफिया जबरन जमीन लिखवाकर प्लाटिंग कर रहे हैं। इससे हमारी खेती की जमीन छिनती जा रही है। सरकार ने 360 दलित परिवारों को 1991 में पर्चा दिया था। उस जमीन को भी कचरा डंपिंग प्वाइंट वनाने के लिए चिह्नित किया गया है। यह नाइंसाफी है। रिहाइशी इलाके में कचरा डंपिंग प्वाइंट बनाए जाने से हमारी जमीन छिन जाएगी। गंदगी से संक्रमण का डर है। लोग बीमार हो सकते हैं। क्षेत्र की सड़कें बेहद खराब हैं। बारिश के दिनों में लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है। यदि शहरी क्षेत्र में हमें शामिल किया गया है तो सुविधा भी उसी अनुरूप होनी चाहिए। इसके लिए अलग से बजट तैयार करना चाहिए।
प्रस्तुति: श्रीकांत तिवारी/ शत्रुघ्न शर्मा
इलाके में भू-माफिया सक्रिय, हड़पना चाहते हैं जमीन
वार्ड के लोगों का कहना है कि हमारे यहां जो भी सरकारी जमीन है। उसका उपयोग विकास कार्यों में किया जाए। ताकि हमें रोजी रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन नहीं करना पड़े। उद्योग धंधे खुलने से रोजगार का सृजन होगा। यहां के लोगों को मजदूरी के लिए दूसरी जगह नहीं जाना पड़ेगा। संगीता देवी, बासमती देवी, सोना देवी ने बताया कि जो क्षेत्र पहले से विकसित था। उसको नगर निगम में शामिल नहीं किया गया। केवल भू माफिया के इशारे पर हमारी खेती की जमीन हड़पने के लिए शहरी क्षेत्र में हमें शामिल कर दिया गया है। ताकि हमारी जमीन को कम दामों में खरीद कर अच्छा मुनाफा कमा सके। शहरी क्षेत्र में शामिल होने के बाद से यहां भूमाफिया की सक्रियता बढ़ गई है। प्रत्येक जमीन के टुकड़े को भूमाफिया हथियाने का प्रयास कर रहे हैं। कई बार असामाजिक तत्व जमीन बेचने के लिए दबाव बनाते हैं। इससे लोगों में दहशत का माहौल है। डर के मारे लोग पुलिस से भी शिकायत नहीं कर पाते हैं। कारण कि पुलिस एफआईआर दर्ज कर भूल जाएगी। नाली गली, पीसीसी, स्ट्रीट लाइट, चहारदीवारी, आदि के निर्माण के लिए आवंटन की आवश्यकता है। ताकि हमारे क्षेत्र का तेजी से विकास हो सके। हालांकि नगर निगम द्वारा जो राशि उपलब्ध कराई जाती है। इसका बेहतर ढंग से उपयोग हुआ है। लेकिन अभी भी और कुछ करने की जरूरत है। ताकि हमें भी शहरी जैसा माहौल मिल सके।
नगर निगम के कचरा प्रोसेसिंग यूनिट और डंपिंग प्लांट को मिलाकर 17 एकड़ जमीन की जरूरत है। इसको लेकर जगह का निरीक्षण किया गया था। इस मामले में यदि किसी परचाधारी की जमीन निकलती है तो मामला सीओ के स्तर पर देखा जाएगा। अभी मामला फाइनल नहीं हुआ है। इसके बावजूद कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। यह सही नहीं है।
-विनोद कुमार, नगर आयुक्त,नगर निगम
लैया टोला, शेखावना दक्षिण टोला, शेखावना मठ टोला, खैरी टोला और मुसहरी नया दलित बस्ती के मध्य में कचरा डंपिंग प्वाइंट हम कभी नहीं बनने देंगे। क्योंकि यह रिहायशी इलाका है। इससे संक्रमण फैलने की आशंका रहेगी। सरकारी जमीन पर सरकारी बस अड्डा बनना चाहिए। जहां से सिटी बस संचालित किया जाना चाहिए। क्षेत्र के विकास के लिए अतिरिक्त आवंटन की मांग की गई है।
-मदन प्रसाद गुप्ता,वार्ड पार्षद क्षेत्र संख्या 45
सुझाव
1. नव अधिग्रहीत क्षेत्र के वार्ड 45 में सरकारी बस स्टैंड का निर्माण कराया जाए ताकि रोजगार मिल सके।
2. यहां से सिटी बसों का संचालन किया जाए। वार्ड में हर घर नल, स्ट्रीट लाइट, नाली-गली, पीसीसी के लिए आवंटन मिले।
3. खाली सरकारी जमीन पर उद्योग धंधे लगाया जाए। यहां की 80 फीसदी आबादी खेती और मजदूरी पर निर्भर है।
4. जलनिकासी नहीं होने से जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। बरसात के 3 महीने में जलजमाव से फसलें बर्बाद हो जाती हैं।
5. खेती की जमीन को भूमाफिया द्वारा खरीदने पर रोक लगायी जाय। पुलिस प्रशासन हमारी मदद करे।
शिकायतें
1. नव अधिग्रहित क्षेत्र की 80 फीसदी आबादी खेती और मजदूरी पर निर्भर है। फिर भी इसे निगम में शामिल कर लिया गया।
2. वार्ड में 60 फीसदी से ज्यादा लोगों को पक्का मकान नहीं है। झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं लेकिन शहर का टैक्स देना पड़ता है।
3. तीन वर्षों में स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है। घरों में नल-जल की व्यवस्था नहीं है। जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।
4. सरकारी जमीन पर विकास कार्यों की बजाय नगर निगम कचरा डंपिंग प्वाइंट बना रहा है। इससे बीमारी का खतरा है।
5. क्षेत्र में रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है। जीवन-यापन के लिए लोगों को दूसरे राज्यों में पलायन करना पड़ता है।
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