Preparations for Shravan Mela Begin on Kavariya Path Amidst Local Excitement श्रावणी मेला: 11 माह तक बंजर रहने वाली जमीन अब उगलेगी सोना, Banka Hindi News - Hindustan
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श्रावणी मेला: 11 माह तक बंजर रहने वाली जमीन अब उगलेगी सोना

विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में 47 दिन का समय शेष विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में 47 दिन का समय शेष पिछ्ले साल के मुकाबले जमीन के भाव में हुई वृद्धि

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाSat, 24 May 2025 04:56 AM
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श्रावणी मेला: 11 माह तक बंजर रहने वाली जमीन अब उगलेगी सोना

कटोरिया (बांका), निज प्रतिनिधि। सावन के बाद वीरान पड़ी कांवरिया पथ पर हलचल शुरू हो गई है। महज 47 दिन बाद कांवरिया पथ पर देश-विदेश से आने वाले कांवरियों का रैला फिर देखने को मिलेगा। हालांकि इतने कम समय बचने के बाद भी श्रावणी मेला को लेकर जिला प्रशासन की तैयारी धरातल पर नहीं दिखाई दे रही है। कांवरिया पथ के निरीक्षण का दौर भी शुरू नहीं हुआ है। जबकि स्थानीय लोग मेले की तैयारी में जुट गए हैं। श्रावणी मेले को लेकर कांवरिया पथ से सटे जमीन मालिकों, दुकानदारों सहित अन्य व्यापार करने वालों में खुशी का माहौल है। उन्हें उम्मीद है कि बंजर रहने वाली जमीन भी सावन महीना को लेकर सोना उगलेगी।

मेले के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से प्रतिदिन लाख से डेढ़ लाख लोग कांवरिया पथ से गुजरते हैं। जिसके भरोसे महीने भर कमाई कर क्षेत्रवासी साल भर पूरे परिवार का भरण-पोषण करते हैं। वहीं जमीन को साल में सावन के महीने के लिए भाड़े पर लगाकर जमीन मालिको की भी अच्छी कमाई होती है। साल दर साल जमीन का भाड़ा भी काफी बढ़ रहा है। जमीन मालिक अपने जमीन की कीमत तय कर रहे हैं। वहीं किरायेदार भाड़े में कटौती की बात कह रहे हैं। आसपास के ग्रामीणों की माने तो जमीन के किराया में हर साल इजाफा होता है। पिछले वर्ष से इस बार लगभग हजार रुपए प्रति हाथ इजाफा हुआ है। मेले के दौरान सबसे महंगी जमीन धर्मशालाओं के समीप वाली जमीन का किराया होता है। उसके बाद किसी सेवा शिविर के पास की जमीन का। क्योंकि सबसे ज्यादा कांवरिया शिविर या धर्मशाला में रुकते हैं, जहां निशुल्क ठहरने के साथ साथ मनोरंजन की भी व्यवस्था होती है। जिनका भोजन या फलहार पास वाले दुकानों में होता है। ज्यों-ज्यों श्रावणी मेला नजदीक आ रहा है त्यों-त्यों जमीन की बुकिंग रेस पकड़ रही है। दूर-दराज से आकर मेले में होटल करने वाले और शिविर लगाने वाले भी क्षेत्र में दिखने लगे हैं। बहुत तो अपने पुराने जमीन मालिकों से ही संपर्क कर अपने दुकान के लिए बात पक्की कर चुके हैं। वहीं कुछ अपनी दुकान के लिए नई जमीन तलाश रहे हैं या तलाश चुके हैं और घेराबंदी कर अपनी जगह को सुरक्षित करने की तैयारी में हैं। आसपास के जमीन मालिक श्यामानंद सिंह, पिंटू सिंह, अर्जुन यादव, नारायण यादव, विकास यादव, आदि ने बताया कि इन जमीनों पर कोई फसल नहीं होती है। जिससे कोई आमदनी नहीं होती है। लेकिन श्रावणी मेला में यह बंजर जमीन भी पैसा कमा कर देती है। जिससे हमें तो फायदा होता ही है, साथ ही होटल, दुकान या अन्य कारोबार करने वाले कई परिवारों का पूरे साल भर का भरण पोषण होता है।

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