रोहिणी नक्षत्र में 25 मई से धान का बिचड़ा डालना शुरु किए किसान
(पेज चार की लीड खबर) (पेज चार की लीड खबर) रोहिणी नक्षत्र में 25 मई से धान का बिचड़ा डालना शुरु किए किसान इंद्रपुरी बराज से सोन

(पेज चार की लीड खबर) रोहिणी नक्षत्र में 25 मई से धान का बिचड़ा डालना शुरु किए किसान इंद्रपुरी बराज से सोन उच्च स्तरीय नहर में अभी नहीं छोड़ा गया है पानी, किसान निजी संसाधन से खेतों में भर रहे हैं पानी जिले के किसान खेतों की जुताई करने के बाद डालेंगे धान का बिचड़ा बोले किसान, रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा डालने से अच्छी होती है उपज भभुआ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। कैमूर के किसान रोहिणी नक्षत्र में 25 मई यानि रविवार से धान का बिचड़ा डालना शुरू किए। हालांकि अभी तक इंद्रपुरी बराज से सोन उच्च स्तरीय नहर या यूपी के मूसाखांड़ बांध से कर्मनाशा नहर में पानी नहीं छोड़ा गया है।
साधन संपन्न किसान निजी समरसेबल, बोरिंग या मोटर से खेतों में उगे खर-पतवार या कृषि उवशेष को सड़ा-गलाकर जुताई करने के लिए पानी भर रहे हैं, ताकि वह उसमें धान का बिचड़ा डाल सके। इस वर्ष कैमूर के किसान 1.41 लाख हेक्टेयर में धान की रोपनी करेंगे। इसके लिए करीब 14 हजार हेक्टेयर में धान का बिचड़ा डालेंगे। 25मई रविवार को दो बजकर 24मिनट से रोहिणी नक्षत्र में सूर्य संचार कर रहे हैं,जो आगामी आठ जून को 1 बजकर 51मिनट तक रोहिणी नक्षत्र में सूर्य रहेगे। पतेलवां़ गांव के बधार में स्थित खेत में बोरिंग से पानी भर रहे किसान रामवृक्ष कुमार ने कहा कि धरती को जितनी तपनी चाहिए, नहीं तप सकी है। इसलिए फसल के सभी दुश्मन कीट नहीं मरे होंगे। लेकिन, रोहिणी नक्षत्र नजदीक है, तो मजबूरी है खेत में पानी भरकर उसकी जुताई करना। क्योंकि रोहिणी नक्षत्र में बिचड़ा डालने से समय पर तैयार हो जाएगा, जिससे रोपनी भी समय पर हो जाएगी। पूछने पर ददरा के किसान रामानन्द दुबे ने बताया कि रोपनी करने तक अपने संसाधन से पानी का इंतजाम करने की सोंच रहे हैं। अगर नहर में पानी आ गया तो उसी के पानी से रोपनी करेंगे। लेकिन, नहर में पानी भी 25 मई के बाद ही आने की संभावना है। किसानों ने बताया कि बिचड़ा डालने से पहले खेतों की सिंचाई कर उसकी जुताई कर दिए जाने से खर-पतवार सड़-गलकर खाद बन जाते हैं, जिससे उपज वृद्धि में सहायता मिलती है। ऐसा नहीं करने पर धान का बिचड़ा डालने के बाद उसमें खरपतवार उग जाते हैं, जिससे धान के पौधे कमजोर व पतला होते हैं। रोपनी के दौरान उसे उखाड़ने में भी दिक्कत होती है। किसानों ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र में धान के उपचारित बीज का प्रबंध किया जा रहा है। कुछ किसान अपने ही खेत में उपजे धान को बीज के रूप में करने के लिए रखे हुए हैं। पानी की उपलब्धता पर निर्भर होगी खेती किसान धर्मराज सिंह व धर्मेंद्र मौर्या ने बताया कि धान की खेती पानी की उपलब्धता पर निर्भर रहती है। हालांकि उनके खेत नहर क्षेत्र से जुड़े हैं। अगर समय से नहरों से पर्याप्त पानी मिलता रहे या बारिश होती रहे, तो कैमूर के किसान धान की अच्छी उपज देते हैं। लेकिन, ज्यादा बारिश भी कभी-कभी खेतीबारी को नुकसान पहुंचाती है। किसान राजधार सिंह ने बताया कि हमलोग पिछले साल रोहिणी नक्षत्र में धान का बिचड़ा डाले थे। लेकिन, जब रोपनी की बारी आई तब न बारिश हुई और न नहर से पर्याप्त पानी मिला। निजी संसाधन से पानी का प्रबंध कर धान की रोपनी करानी पड़ी। डीजल पंप व ट्रैक्टर को कराया दुरुस्त खरीफ फसल की खेती करने के लिए किसानों ने डीजल पंप व ट्रैक्टर के पाट्स-पूर्जे को ठीक करा लिया है, ताकि खेती में कोई दिक्कत न हो। हालांकि कुछ किसान अभी ठीक करा रहे हैं। किसान प्रेम प्रकाश कुशवाहा बताते हैं कि 25 मई से रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा। निजी संसाधन के बल पर वह इसी नक्षत्र में वह हर वर्ष बिचड़ा डालते हैं। बिचड़ा डालने के लिए खेत की जुताई करनी होती है। घर का ट्रैक्टर है। उसके हल-फार व इंजन को ठीक कराए हैं। अगर कृषि विभाग से अनुदानित दर पर बीज मिला तो ठीक, नहीं तो बाजार से उपचारित बीज की खरीदारी कर बिचड़ा डालेंगे। फोटो- 25 मई भभुआ-06 कैप्शन- जिले के मोहनियां प्रखण्ड के पतेलवां गांव के बधार में रविवार को धान का बिचड़ा डालने के लिए बोरिंग से खेत में भरा जा रहा पानी। रोहिणी नक्षत्र शुरू होने के साथ खरीफ खेती में जुटे किसान (पेज चार) अब तक भगवानपुर के किसानों में अनुदानित दर पर नहीं बंटा धान का बीज धान का बिचड़ा डालने के लिए खेत की क्यारी में पानी भरने लगे हैं किसान भगवानपुर, एक संवाददाता। रोहिणी नक्षत्र शुरू होने के साथ ही प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में खरीफ खेती की तैयारी किसानों ने शुरू कर दी है। किसानों द्वारा धान का बिचड़ा डालने के लिए खेतों की निराई-गुड़ाई के साथ-साथ क्यारियों में पानी भरने का काम शुरू कर दिया गया है। किसान रामू कुमार और गणेश प्रजापति ने बताया कि अक्षय तृतीया के बीतने के बाद रोहिणी नक्षत्र अब शुरू हो गया है। खरीफ की खेती के लिए धान का बिचड़ा डालने का यह उपयुक्त समय है। उक्त किसानों ने कहा कि हम तो धान की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन प्रखंड कृषि विभाग अब तक तैयार नहीं हो सका है। अनुदानित दर पर मिलने धान के उत्तम किस्म के बीज का वितरण अब तक शुरू नहीं किया जा सका है। किसानों को बाजार से मंहगे दाम पर धान का बीज खरीदकर डालना पड़ेगा। इसमें हमेशा इस बात से किसानों को आशंका रहती है कि अगर धान का बीज सही ढंग से अंकुरित होकर नहीं जम सका तो खेती पर इसका प्रतिकुल असर पड़ेगा। किसान बासुदेव यादव ने बताया कि कृषि विभाग से धान का बीज नहीं मिलने के कारण उन्हें अपने घर के रखे गए धान के बीज को डालना पड़ रहा है। इसमें कुछ अन्य धान की प्रजातियों के दाने मिलने के कारण उपज कम हो सकती है। इस संबंध में पूछने पर प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने बताया कि कृषि विभाग में धान के कुछ किस्म के बीज आए हैं। दो-चार दिनों में धान के विभिन्न किस्मों के और बीज आने वाले हैं।
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