Increase in TB Patients in Kaimur New Skin Test Introduced कैमूर में साल दर साल बढ़ रही है यक्ष्मा रोगियों की संख्या, Bhabua Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsBhabua NewsIncrease in TB Patients in Kaimur New Skin Test Introduced

कैमूर में साल दर साल बढ़ रही है यक्ष्मा रोगियों की संख्या

कैमूर में जनवरी और फरवरी में 450 यक्ष्मा मरीज चिन्हित किए गए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 139 भभुआ से हैं। स्वास्थ्य विभाग ने नए सी-वाई स्किन टेस्ट की शुरुआत की है, जिससे मरीजों की संख्या कम होने की उम्मीद...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआMon, 24 March 2025 10:01 PM
share Share
Follow Us on
कैमूर में साल दर साल बढ़ रही है यक्ष्मा रोगियों की संख्या

जनवरी व फरवरी माह में चिन्हित 450 यक्ष्मा रोगियों में सबसे ज्यादा 139 भभुआ व सबसे कम 12 रामपुर प्रखंड के हैं इस वर्ष 30 जनवरी से सदर अस्पताल में शुरू किया गया सी-वाई स्किन टेस्ट सी-वाई स्किन टेस्ट शुरू होने से चिन्हित मरोजों के इलाज से कम होगी संख्या किस वर्ष कितने मरीज चिन्हित वर्ष मरीज 2025 450 2024 2431 2023 2085 2022 1778 2021 1681 भभुआ, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। कैमूर में साल दर साल यक्ष्मा मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। वर्ष 2025 के सिर्फ जनवरी व फरवरी माह में 450 टीबी मरीज चिन्हित किए गए। इनमें सबसे ज्यादा 139 भभुआ और सबसे कम 12 रामपुर प्रखंड के मरीज हैं। वर्ष 2021 में यक्ष्मा मरीजों की संख्या 1681 थी, लेकिन वर्ष 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 1778 पर पहुंच गई। जबकि वर्ष 2023 में 2085 और वर्ष 2024 में 2431 यक्ष्मा मरीज चिन्हित किए गए। हालांक पूर्व के वर्षों में चिन्हित टीबी मरीज इलाज के बाद स्वस्थ हुए हैं। वर्ष 2024 में चिन्हित कुछ मरीजों और इस वर्ष मिले मरीजों का स्वास्थ्य विभाग द्वारा इलाज किया जा रहा है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. आरके चौधरी ने बताया कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण टीबी रोग होता है। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उन्हें टीबी होने का खतरा अधिक रहता है। मधुमेह, एड्स जैसी अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को भी टीबी होने का खतरा अधिक होता है। पूछने पर उन्होंने बताया कि पौष्टिक आहार नहीं लेने व धूल-धुआं के बीच काम करनेवाले व्यक्तियों को भी यक्ष्मा रोग होने की आशंका बनी रहती है। नियमित दवा खाने व पौष्टिक आहार लेने से टीबी रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। सदर अस्पताल में इस वर्ष के 30 जनवरी से सी-वाई स्किन टेस्ट शुरू किया गया है। अब तक 170 लोगों की जांच में 9 पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने उम्मीद जताई है कि इस टेस्ट से टीबी रोगियों की संख्या में कमी आ सकती है। इस टेस्ट के शुरू होने से उन व्यक्तियों को लाभ होगा, जो यक्षमा मरीजों के संपर्क में रहते हैं। ट्रूनेट मशीन की जांच से ऐसे कुछ व्यक्तियों की पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं आ पाती है। ग्यारह केंद्रों पर बलगम होती है जांच भभुआ। जिले के सदर अस्पताल स्थित जिला यक्ष्मा केन्द्र, भगवानपुर, चैनपुर, चांद, अधौरा, रामपुर, कुदरा, नुआंव, दुर्गावती, मोहनियां, रामगढ़ के सीएचसी, पीएचसी, रेफरल व अनुमंडल अस्पताल के अलावा चेहरिया व खरिगांवा एपीएचसी में स्थापित माइक्रोस्कोपिक यक्ष्मा केन्द्र में मरीजों की बलगम जांच की जाती है। इन केंद्रों से मरीजों को दवाएं भी मिलती है। बलगम व एक्स-रे जांच कर टीबी मरीज चिन्हित किए जाते हैं। जिला यक्ष्मा केन्द्र में ट्रूनेट मशीन से यक्ष्मा मरीजों के सैंपल की जांच की जाती है। हि.प्र. पौष्टिक आहार के लिए मिलती है राशि भभुआ। निक्षय पोषण योजना से यक्ष्मा मरीजों को पौष्टिक आहार खाने के लिए प्रतिमाह 1000 रुपए सरकार देती है। यह राशि छह माह तक नियमित मिलती रहती है। इन्हें छह माह तक नियमित दवा खाने के लिए मुफ्त में दी जाती है। बताया गया है कि दवा के साथ पौष्टिक आहार लेने से रोग पर जल्द काबू पाया जा सकता है। दवा खाने में कोई चूक नहीं हो सकता खास ध्यान रखना पड़ता है। निर्धारित दिनों से कम समय तक दवा खाने से दुबारा टीबी रोग होने की संभावना बनी रहती है। हि.प्र. टीबी के लक्षण लंबे समय तक खांसी रहने, खांसी के साथ बलगम या खून आने, सीने में दर्द होने, बुखार आने, थकान और कमजोरी महसूस करने, भूख न लगने और वजन घटने के लक्षण जब शरीर में दिखे या महसूस करें, तो बिना देर किए चिकित्सक से मिले और उक्त लक्षण की जानकारी देकर उनकी सलाह पर जांच कराएं। टीबी का इलाज व बचाव टीबी का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से संभव है। जितनी जल्दी हो इलाज शुरू कराना चाहिए। इलाज के लिए सरकार द्वारा कैमूर में कई केंद्र बनाए गए हैं, जहां मुफ्त जांच के बाद दवाएं दी जाती हैं। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना चाहिए। स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है। अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना जरूरी है। टीबी के लक्षणों के बारे में जागरूक रहें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कोट जिले में बलगम की जांच के लिए 11 केंद्र बनाए गए हैं। चिन्हित मरीजों को दवा देने के साथ एक हजार रुपया हर माह पौष्टि आहार खाने के लिए दिया जाता है। अब ट्रूनेट मशीन के अलावा सी-वाई स्किन टेस्ट भी शुरू कर दिया गया है। इससे मरीज चिन्हित होंगे और इलाज के बाद स्वस्थ्य होंगे, तो रोगियों की संख्या में कमी आएगी। डॉ. आरके चौधरी, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी फोटो- 24 मार्च भभुआ- 3 कैप्शन- सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला यक्षमा केंद्र में सोमवार को जांच कराने के लिए सैंपल देने आए मरीज।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।