भभुआ-कुदरा पथ में जगह-जगह ब्रेकर से यात्री परेशान
भभुआ में बनाए गए स्पीड ब्रेकर यात्रियों के लिए समस्या बन गए हैं। इससे पीठ और गर्दन में दर्द की समस्या बढ़ रही है, और दुर्घटनाओं का खतरा भी बना हुआ है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ब्रेकर की ऊंचाई...

इस पथ से रोजाना सफर करनेवाले लोगों की हड्डी में होने लगता है दर्द ब्रेकर पर वाहन उछलने से दुर्घटना व पार्टस टूटने का बना रहता है डर (पेज चार की फ्लायर खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। सड़कों पर दुर्घटनाएं रोकने के लिए बनाए गए गति अवरोध (स्पीड ब्रेकर) लोगों के लिए परेशानी का सबब बनने लगे हैं। इससे न सिर्फ यात्रियों की रीढ़ व कमर की हड्डी में जर्क लगने से पीठ दर्द की समस्या बढ़ रही है, बल्कि आए दिन दुर्घटनाओं की भी आशंका बनी रह रही है। ब्रेकर भी इस तरह के बनाए गए हैं कि वह किसी मायने में आरामदायक नहीं हैं।
इसकी ऊंचाई परेशानी का सबब बनने लगी हैं। यह ब्रेकर कमर व गर्दन के दर्द की समस्या बढ़ा रहे हैं। जिले के न सिर्फ भभुआ-कुदरा सड़क बल्कि भभुआ-बेलांव पथ, भभुआ-भगवानपुर पथ में कई जगहों पर ब्रेकर बनाए गए हैं। भभुआ-कुदरा पथ में दस फुट की दूरी में दो जगहों पर एक साथ चार-चार ब्रेकर हैं। कझार घाट के पहले भी कई ब्रेकर बनाए गए हैं। ग्रामीण सतेंद्र कुमार व राजेश सिंह ने कहा कि सड़क किनारे जहां गांव और स्कूल हैं, वहां ब्रेकर बनाए गए हैं, ताकि वाहन की गति धीमी हो और हादसा न सके। कुछ जगहों पर तो बिजली का सीमेंट पोल ही रख दिया जाता है। इससे चालकों को वाहन पार करने में परेशानी हो रही है। यात्री अगर संभलकर नहीं बैठे तो चोट लगने का डर बना रहता है। मालवाहक वाहन चालक शिवजी पासवान, बाइक चालक रेहान अंसारी, मैजिक चालक धर्मेंद्र गोंड ने बताया कि वह इस पथ में रोज आते हैं। इस पथ में सबसे ज्यादा ब्रेकर हैं। वाहन ले जाने में परेशानी होती है। पिछले दिनों ब्रेकर पर बाइक के उछल जाने से उस पर सवार एक शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दूसरी घटना में दो शिक्षक घायल हो गए थे। इस तरह की घटनाएं अक्सर होती हैं। डॉ. सिद्धार्थ राज सिंह ने बताया कि सड़क में ब्रेकर के कारण इन दिनों सर्वाइकल एस्पॉड लाइटिस का खतरा बढ़ गया है। स्पाइनल कॉर्ड की वर्टिब्रा एल थ्री या एल फोर, सी फोर और सी फाइव में दर्द आदि की परेशानियां भी सामने आने लगी हैं। वैसे तो अन्य कारण से भी लोग कंधे, पीठ या कमर के निचले हिस्से में खिंचाव व दर्द से पीड़ित हो रहे हैं। ऐसा होना चाहिए स्पीड ब्रेकर जानकार बताते हैं कि स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर व लंबाई 3.5 मीटर होनी चाहिए और वृताकार क्षेत्र यानी कर्वेचर रेडियस 17 मीटर होना चाहिए। ड्राइवर को सचेत करने के लिए स्पीड ब्रेकर आने से 40 मीटर पहले एक चेतावनी बोर्ड लगा होना चाहिए। स्पीड ब्रेकर का मकसद गाड़ियों की रफ्तार को 20 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचाना है, ताकि सड़क हादसों के खतरे कम किया जा सके। स्कूल, कॉलेज, मंदिर, अस्पताल या अन्य कोई सार्वजनिक स्थान पर ऐसी जानकारी देने वाला बोर्ड जरूरी है। इससे वाहन की स्पीड कम तो होती है, बैकबोन में किसी प्रकार की समस्या नहीं आती है। यह है प्रावधान पथ निर्माण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सड़क में स्पीड ब्रेकर नहीं हम्प बनाने का प्रावधान है। अगर किसी स्थल पर स्पीड ब्रेकर बनाना बहुत ज्यादा जरूरी है तो उसके लिए स्पेशल इस्टीमेट में ऑर्डर लेना होता है। सड़कों में स्थानीय लोगों द्वारा स्पीड ब्रेकर बनाया गया है, जो गलत है। फोटो- 05 मई भभुआ- 4 कैप्शन- भभुआ-कुदरा पथ में बने ब्रेकर से सोमवार की भोर में आते-जाते वाहन।
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