जंगलों के हौज में पानी कम, मैदानी भाग में आ रहे जानवर
भीषण गर्मी के कारण कैमूर के जंगलों में जलस्रोत सूख गए हैं, जिससे लंगूर, बंदर, हिरण, नीलगाय जैसे जंगली जानवर गांवों की ओर पानी की तलाश में भटक रहे हैं। पानी की कमी से पशुपालक भी अपने मवेशियों के साथ...

लंगूर, बंदर, जंगली बिल्ली, खरगोश, हिरण, लोमड़ी, तेंदुआ, चीतल, सियार, सूअर, नीलगाय, सांभर दिख रहे जलस्रोत के आसपास पानी की तलाश में गांवों व जलस्रोतों के आसपास भटक रहे जंगली जानवर ओखरगाड़ा, श्रवण, लोहरा, धरती माई, तेल्हाड़ कुंड के पास रह रहे जानवर भभुआ, भगवानपुर, चैनपुर, चांद तक के गांवों में जानवर पहुंच जा रहे हैं 33 प्रतिशत भू-भाग में फैला है वन क्षेत्र (पड़ताल/पेज चार की लीड खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। भीषण गर्मी से कैमूर के जंगलों के हौज में पानी कम हो गया है। अधौरा से निकली पहाड़ी नदियां सुवरा, कर्मनाशा, दुर्गावती भी सूख गई हैं। चेकडैम, पोखरा में भी पानी नहीं है।
ऐसे में जंगली जानवर पानी की तलाश में पहाड़ी क्षेत्र के गावों व मैदानी भाग की ओर आने लगे हैं। लंगूर व बंदर ओखरगाड़ा, श्रवणदाग, लोहरा, धरती माई, तेल्हाड़ चुआं, तेल्हाड़ कुंड के आसपास जमा रह रहे हैं। जंगली बिल्ली, खरगोश, हिरण, लोमड़ी, चीतल, सियार, नीलगाय, सांभर भी आ रहे हैं। नीलगाय व सांभर तो खेतों तक में पहुंच जा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, जिले के 33 प्रतिशत भू-भाग यानी 89086 हेक्टेयर भूमि में वन क्षेत्र है। रामुपर प्रखंड में 3620 हेक्टेयर, भगवानपुर प्रखंड में 9497 हेक्टेयर, चैनपुर प्रखंड में 11025 हेक्टेयर तथा अधौरा प्रखंड की 64946 हेक्टेयर भू-भाग में जंगल स्थापित है। इन जंगलों में विभिन्न प्रकार के छोटे-बड़े जानवर निवास करते हैं। इस जंगल में 20 वाटर हौज जंगली जानवरों के पानी पीने के लिए खुदवाया गया है। लेकिन, भीषण गर्मी में वह सूख गए हैं। इसलिए जंगली जानवर पानी की तलाश में गांवों की ओर आने लगे हैं। तीन वर्ष पहले जंगली जानवरों का सर्वे किया गया था। इस दौरान 900 वर्ग किमी कोर जोन और 900 वर्ग किमी बफर जोन के जानवरों को गिनती की गई थी। कैमूर अभयारण्य क्षेत्र में 100 से अधिक विभिन्न प्रजाति के छोटे-बड़े जंगली जानवर हैं। इन जंगलों में मांसाहारी व शाकाहारी जानवर रहते हैं। जलप्रपात के आसपास भूख-प्यास से परेशान बंदर व लंगूर अब वहां आनेवाले लोगों से खाने-पीने की चीजें झपट ले रहे हैं। तेल्हाड़ कुंड के पास से लौटे भभुआ के अमरेंद्र सिंह ने बताया कि कुंड में काफी कम पानी है। बाइक से दो साथी गए थे। हाथ में पॉलीथिन देखते हुए लंगूर का झुंड छीन लिया। डर से भागना पड़ा। पहाड़ी क्षेत्र में 13 फुट खिसका पानी पहाड़ी क्षेत्र में करीब 13 फुट भू-गर्भ जलस्तर खिसक गया है। इस कारण वनवासियों को पानी का इंतजाम करने में दिक्कत हो रही है। अधौरा के प्रखंड प्रमुख विपिन कुमार ने बताया कि 200-300 फुट बोरिंग करानेवालों के समरसेबल बंद हो गया है। उन्होंने 500 फुट बोरिंग कराई है। ग्रामीणों को पानी उपलब्ध कराने के लिए वह रोजाना अपना समरसेबल चालू करते हैं। ग्रामीण नुर्शीद आलम ने बताया कि ग्रामीण चुआं, कुआं व पीएचईडी के टैंकर के पानी से काम चला रहे हैं। पानी की कमी से पलायन करते हैं पशुपालक पानी व चारा की कमी के कारण ही पहाड़ी क्षेत्र के पशुपालक हर वर्ष होली पर्व मनाकर मवेशियों को लेकर मैदानी भाग की ओर चले आते हैं। दीघार के भोला यादव बताते हैं कि गर्मी शुरू होते ही यहां के पशुपालक अपने मवेशियों के साथ कुदरा, दुर्गावती, रामपुर, चेनारी आदि इलाके में चले जाते हैं। वह तब अधौरा लौटेंगे, जब बारिश होने लगेगी। जुलाई माह में उनके लौटने की संभावना है। वह जहां हैं, वहीं पर दूध-दही बेचकर पैसों का इंतजाम कर परिजनों के खर्च के लिए भिजवाते हैं। अभी मैदानी हिस्सों की नहर में पानी आ गया है। टैंकर के पानी से प्यास बुझा रहे वनवासी ग्रामीण सुशील कुमार बागे व राणा प्रताप सिंह ने बताया कि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा विभिन्न दफ्तरों व सार्वजनिक जगहों पर टैंकर का पानी पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीण टैंकर से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। पीएचईडी द्वारा अधौरा के अंचल व प्रखंड कार्यालय परिसर, सीआरपीएफ कैंप परिसर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, पुलिस थाना परिसर, बस स्टैंड में टैंकर लगाया जा रहा है। कोट जंगल क्षेत्र को चार जोन में बांटकर 20 वाटर हौज बनाए गए हैं। उसमें रोजाना टैंकर से पानी भरने का काम किया जा रहा है, ताकि जंगली जानवरों को पीने के लिए पानी की कमी नहीं हो सके। चंचल प्रकाशम, डीएफओ, कैमूर फोटो- 16 जून भभुआ- 3 कैप्शन- भभुआ प्रखंड के रतवार मौजा में स्थित स्कूल से पूरब सोमवार को पेड़ की छाया में बैठे नीलगाय का झुंड।
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