बोले कटिहार : ट्रॉमा सेंटर और आईसीयू में इलाज की शीघ्र हो व्यवस्था
कटिहार जिला अस्पताल, जो 50 साल से अधिक समय से सेवा दे रहा है, ने हाल ही में 200 बेड के नए भवन का उद्घाटन किया है। हालांकि, आईसीयू और ट्रॉमा सेंटर की सुविधाओं की कमी बनी हुई है। रोगियों और परिजनों ने...
पूर्णिया जिले से अलग होकर 2 अक्टूबर 1973 को कटिहार जिला बना था। सदर अस्पताल भी उसी समय अस्तित्व में आया। जिले में सदर अस्पताल के साथ-साथ 16 प्रखंडों में पीएचसी, सीएचसी एवं अनुमंडल स्तरीय अस्पताल की सुविधा है। सदर अस्पताल में चिकित्सा सुविधा में लगातार इजाफा हुआ है। 50 साल पूरे होने पर जिला वासियों को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से सदर अस्पताल परिसर में 35 करोड़ 14 लाख की लागत से अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त 200 बेड का दो नया तीन मंजिला भवन बनाया गया है। भवन के शुभारंभ के बाद कई नई सेवाएं यहां शुरू की गईं। फिर भी कई कमियां रह गईं। सदर अस्पताल में मरीजों और उनके परिजन ने अपनी परेशानी बताई। 24 घंटे मिल रही है इमरजेंसी सेवा जिले के सदर अस्पताल में
50 साल से अधिक समय से चल रहा है जिले का सदर अस्पताल
02 सौ बेड युक्त नये भवन में चल रही है इमरजेंसी और ओपीडी सेवा
कटिहार पहले पूर्णिया जिला का हिस्सा हुआ करता था। कटिहार का सदर अस्पताल जिले के गठन के समय से ही सेवा दे रहा है। आज यहां बड़ी संख्या में रोगी इलाज को पहुंचते हैं। प्रत्येक दिन सदर अस्पताल, मेडिकल कॉलेज एवं अन्य निजी अस्पताल अथवा नर्सिंग होम में 10 हजार से अधिक रोगी इलाज कराने के लिए आते हैं। सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी दो हजार से अधिक की संख्या रोगी और परिजन रोज आते हैं। इसलिए सदर अस्पताल रोड, काली बाड़ी और अस्पताल के पीछे बिनोदपुर रोड का पूरा क्षेत्र चिकित्सा क्षेत्र का हब माना जाता है।
24 घंटे मिल रही है इमरजेंसी सेवा से खुश दिखे परिजन :
यहां की इमरजेंसी चिकित्सा एक जिला अस्पताल के साथ-साथ 16 प्रखंडों में अनुमंडल, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में मिलती है। यहां पुराने जमाने का पुराना इमरजेंसी सेवा का भवन आज भी दिखता है। चिकित्सा सेवा में यहां लगातार इजाफा होता गया। इस समय से धीरे धीरे चिकित्सा सेवा में बदलाव और फिर कई नई सेवाएं शुरू की गई। सदर अस्पताल में रोगी कल्याण समिति के सदस्यों के सक्रियता और सहयोग के साथ रोगी के हित में कई उचित निर्णय लिए गए। इससे कई नई सेवा शुरू की गई। परिजन हृतिक राज ने बताया कि यहां पहले इमरजेंसी की सेवा आउटडोर के समय बंद रहती थी लेकिन समिति के सदस्यों और आम लोगों ने इसे सामूहिक रूप से प्रयास किया। इसी के बाद प्रशासनिक सहयोग से यह सुविधा 24 घंटे चलने लगी। यही नहीं यहां इंडोर सेवा में लगभग सौ से ज्यादा की संख्या में रोगी भर्ती रहते थे। भोजन नहीं मिलता था। रोगी कल्याण समिति के सदस्यों ने जिला प्रशासन से रोगी के लिए दाल, भात, चोखा शुरू करने की मांग की। जिला प्रशासन के सहयोग से इसकी भी सुविधा शुरू कर दी गई। धीरे-धीरे भोजन की सेवा अब मेन्यू में शामिल हो गई। यह सुविधा अभी जीविका के माध्यम से बेहतर ढंग से मिल रही है।
नियमित नहीं है आईसीयू, नहीं है ट्रॉमा सेंटर की सुविधा :
सदर अस्पताल में ही मॉडर्न लेबर रूम, डायलिसिस सेवा, मदर केयर यूनिट, एसएनसीयू की सेवा, पोषण पुनर्वास केन्द्र आदि वृहत रूप में शुरू की गई। इनके साथ-साथ इंडोर और आउटडोर की सेवा रोगी को नियमित रूप से मिल रही है। सर्जरी के क्षेत्र में आंख के ऑपरेशन से लेकर अन्य सेवा मिलने लगी। यहां आईसीयू की सुविधा भी सुनिश्चित हुई मगर नियमित रूप से चालू नहीं हो सकी। कभी कभी जरूरतमंद को इसकी सुविधा का लाभ भी मिला, मगर यह लगातार चालू नहीं रह सका। स्टाफ और टेक्नीशियन की कमी की वजह से सुचारू रूप से चलने में काफी दिक्कतें आ रही है।
सदर अस्पताल में सुविधाओं का अब भी है इंतजार :
सदर अस्पताल में पूर्व की तरह कई सुविधा मिल रही है। इस दौरान कई अधिकारी बदल गए लेकिन गंभीर रोगी के लिए सुविधा सुनिश्चित नहीं हो सकी है। सुविधा के नाम पर सिर्फ लेप्रोस्कॉपी के जरिए ऑपरेशन की सुविधा नियमित हुई। इंडोस्कोपी जांच की सुविधा रोगी को मिलने लगी। मगर नई बिल्डिंग बनने के उपरांत जिस प्रकार से लोगों की उम्मीद जगी थी कि अब आईसीयू और ट्रॉमा सेंटर की सुविधा चालू होगी, वह सपना बनकर गया है। जबकि यहां का सदर अस्पताल से जरूरतमंद रोगी की उम्मीद बढ़ती जा रही है। सुविधा नहीं होने से बाहर जाने की नौबत आ जाती है।
लोगों ने बताया कि सदर अस्पताल में आईसीयू की सुविधा होने के बाद भी यह सुविधा लोगों को नहीं मिल पा रही है। जबकि आईसीयू में वेंटीलेटर समेत सभी जरूरी उपकरण लगे हुए हैं। जिले के लोगों की मांग है कि इस अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर जल्द बनाया जाए और इसे सुचारू रूप से चलाया भी जाए। जिला का पूरा क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है। इससे सड़क हादसे के प्रत्येक दिन लोग शिकार होते हैं। हेड इंज्युरी से भी जुड़े मामले आते हैं। यहां निराशा हाथ लगती है। इस तरह के गंभीर रोगी या तो रेफर कर दिए जाते है या फिर बाहर से ही लौटकर अन्यत्र चले जाते हैं। लोगों की मानें तो नए अस्पताल, बिल्डिंग के बने दो वर्षों से ऊपर हो गया है मगर सुविधा नदारद है। लोगों ने कहा कि सदर अस्पताल में पूरी तरह से अभी सभी रोग के विभाग की सुविधा शुरू नहीं हो सकी है। आंख का ऑपरेशन होता था। मगर नए भवन के बाद सुविधा बढ़ने के बजाय घट गई है। अभी भी गंभीर ऑपरेशन की सुविधा नहीं मिल रही है। इससे रोगी को सिर्फ आउटडोर की सुविधा से संतोष करना पड़ रहा है। दांत और कान नाक गला रोगी को सिर्फ आउटडोर की सुविधा है। आउटडोर सेवा भी पूरी तरह सुलभ नहीं है।
पारा मेडिकल स्टूडेंट करते हैं इमरजेंसी वार्ड में इलाज :
नर्सिंग के लिए सदर अस्पताल और एमसीएच में करीब 54 नर्स तैनात हैं। बावजूद नर्सिंग और ड्रेसिंग का काम पारा मेडिकल ट्रेनिंग सेंटर, एएनएम और जीएनएम ट्रेनिंग सेंटर के ट्रेनी छात्र कर रहे हैं। यहीं कारण है इंजेक्शन देने में गलती होती है। रोगी परेशान होते हैं। मनीष कुमार ने बताया कि सड़क हादसे में चोटिल परिजन का इलाज सदर अस्पताल में हो रहा था। ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने तीन इंजेक्शन और कुछ दवाइयां लिखीं। इमरजेंसी में तैनात जीएनएम को जवाबदेही थी कि ठीक से इंजेक्शन दिया जाए। मगर मौजूद पीएमआई छात्र ने युवक को इंजेक्शन दे दिया। इंजेक्शन देते ही हाथ से खून बहने लगा। उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। इस दौरान मौजूद कुछ लोगों ने युवक की मदद की। जबकि इंजेक्शन देने का काम सदर अस्पताल में ऑन ड्यूटी तैनात एक कर्मी का था, जो इमरजेंसी में नहीं था। वहीं काउंटर पर बैठी नर्स उठी तक नहीं। शिकायत करने पर तैनात चिकित्सक और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने उल्टा गुस्सा दिखाया। इंजेक्शन देने के बाद छात्र इमरजेंसी से फरार हो गया।
बिजली गुल होने पर नहीं मिलती एक्स-रे की सुविधा:
सदर अस्पताल में देर रात इमरजेंसी में एक्सरे की सुविधा नहीं मिलती है। दिन में भी जब बिजली रहती है तो सुविधा मिलती है। अगर बिजली नहीं रही तो फिर मरीजों को वापस लौटना पड़ता है। यह एक दिन की समस्या नहीं है। आए दिन मरीजों के साथ यही होता है। एक्सरे चला रहे निजी एजेंसी वाले अपनी मनमर्जी से एक्सरे की सुविधा मरीजों को दे रहे है। इसको लेकर अस्पताल प्रशासन भी मौन है। पीपीपी मोड पर चल रहे एक्सरे की कार्यप्रणाली से अस्पताल प्रशासन भी नाराज है। इसको मौखिक तौर पर कई बार हिदायत दी जा चुकी है। मगर एजेंसी संचालक मनमर्जी से एक्सरे का काम चला रहे हैं। अस्पताल प्रबंधक चंदन कुमार सिंह ने बताया कि एक्सरे की सुविधा सातों दिन 24 घंटे की है। इसके पास तीन टेक्नीशियन है। इसके बाद भी अगर मरीजों को परेशानी है तो इससे स्पष्टीकरण पूछा जाएगा।
शिकायतें
1. गंभीर रोगियों के इलाज की सुविधा नहीं है। अधिक गंभीर या सिर में चोट के शिकार मरीजों को रेफर करना पड़ जाता है।
2. ट्रामा सेंटर शोभा की वस्तु बना है जबकि एनएच पर अक्सर हादसे होते रहते हैं।
3. आईसीयू की सुविधा नहीं है। इस वजह से मरीजों को रेफर करते हैं। मरीज निजी क्लीनिक जाते हैं।
4. सभी तरह की जांच की सुविधा भी ठीक से नहीं मिलती।
5. ऑपरेशन की सुविधा पहले से कमजोर हो गई है। आंखों का भी ऑपरेशन नहीं होता।
सुझाव
1. शीघ्र ट्रॉमा सेंटर चालू किया जाए। ताकि सड़क दुर्घटना के पीड़ित या सिर में चोट से पीड़ित मरीजों को तुरंत इलाज मिले, उनकी जान बचाई जा सके।
2. आईसीयू की सुविधा भी ठीक की जाए ताकि गंभीर मरीजों को तत्काल राहत मिल सके।
3. हर तरह के ऑपरेशन की सुविधा हो, लोगों को निजी अस्पताल नहीं जाना पड़े।
4. सभी तरह की जांच की सुविधा सहज बने, लोगों को बाहर जांच के लिए नहीं जाना पड़े।
5. गंभीर रोगियों के लिए खास सुविधा हो, ताकि उनकी जान बचाई जा सके।
सुनें हमारी पीड़ा
सदर अस्पताल में आईसीयू की सुविधा है लेकिन टेक्नीशियन के अभाव से सुचारू रूप से नहीं चलता है। जल्द से जल्द ट्रामा सेंटर की शुरुआत करनी चाहिए ।
हृतिक राज
नए अस्पताल बिल्डिंग के शुरू हुए दो वर्ष से अधिक का समय होने को है। मगर गंभीर रोगी के लिए यहां चिकित्सकीय सुविधा अभी भी नदारद है।
बिट्टू कुमार
सदर अस्पताल की सुविधा नहीं होने के कारण रोगी को रेफर करने की जरूरत पड़ती है। इसका फायदा निजी क्लीनिक वाले उठाते हैं। डॉक्टर की पर्याप्त व्यवस्था होने से असहाय रोगी का इलाज समय पर हो पाएगा।
रोहित प्रसाद
कटिहार जिला राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है। सड़क हादसे बड़ी संख्या में होते हैं। हेड इंज्यूरी से जुड़े मामले को देखते हुए ट्रामा सेंटर का भी निर्माण किया जाए। जिससे गंभीर रोगी का इलाज हो पाएगा।
रंजन कुमार
कटिहार इलाज के लिए प्रसिद्ध है। दूर-दूर से रोगी आते हैं। मालदा, भालुका, हरिश्चंद्रपुर, दालकोला , रायगंज से सदर अस्पताल कटिहार इलाज कराने रोजी आते हैं इसलिए सदर अस्पताल की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए।
आर्यन कुमार
सदर अस्पताल में आईसीयू की हाईटेक सुविधा है। जरूरी उपकरण लगे हुए हैं। लेकिन यह सुविधा नियमित रूप से शुरू नहीं हो रही है। जरूरत मंद रोगी के लिए बाहर से टीम को बुलाना पड़ता है।
राजा साह
जिले की अंदर अधिकांश सड़कें राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ी हैं। सड़क हादसे में घायल होकर लोग सीधे सदर अस्पताल पहुंचते हैं। हेड इंज्युरी वाले को बाहर जाने के सिवाय दूसरा उपाय नहीं बचता है।
अभिषेक सोनी
यहां दूर-दूर से रोगी अपना उपचार कराने के लिए आते हैं। लेकिन दशकों बाद भी अभी तक आईसीयू में सही से सुविधा बहाल नहीं की गई है। ट्रामा सेंटर की सुविधा जल्द शुरू हो।
रोहित कुमार
सदर अस्पताल में रोगी की उम्मीद पहले से ज्यादा बढ़ गई है। मगर कई सुविधा सुनिश्चित नहीं हो पाई है। आंख का ऑपरेशन भी नहीं हो रहा है ।
धानू कुमार
सदर अस्पताल में इंडोर सेवा और आउटडोर सेवा दोनों पहले की तरह चल रही है। यह सेवा अस्पताल के समय भी संचालित थी। मगर नई बिल्डिंग बनने के बाद सुविधा नहीं बढ़ी।
गुड्डू कुमार
नया अस्पताल बनने के बाद चिकित्सकीय सुविधा बढ़नी चाहिए थी। अभी गंभीर रोगी, हार्ट की परेशानी, ट्रॉमा की परेशानी समेत अन्य कई गंभीर रोगी को उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है ।
मनीष कुमार
सदर अस्पताल में आंख के ऑपरेशन के लिए समय-समय पर शिविर लगता था। लेकिन कई सालों से अब शिविर नहीं लगता है जिससे मोतियाबिंद के रोगियों को इधर-उधर इलाज करना पड़ता है।
हरे राम कुमार
जिले में थैलेसीमिया रोगी के उपचार के लिए हेमोटोलॉजिस्ट की सुविधा सुनिश्चित नहीं हो पाई है। जबकि जिले में लगभग दो सौ के करीब थैलेसीमिया के रोगी है। दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
अंकुश शर्मा
हड्डी की परेशानी वाले रोगी को इंतजार करना पड़ता है। ओपीडी नहीं होने से हड्डी के रोगी को परेशानी हो रही है। हड्डी विभाग में हाईटेक सुविधा के साथ रोगी को चिकित्सकीय सुविधा मिलनी चाहिए।
सोनू कुमार
नए अस्पताल के बनने से रोगी की संख्या दोगुनी-तिगुनी हो गई है। मैं जब भी यहां आता हूं। पेशेंट की खचाखच भीड़ बनी रहती है उस हिसाब से सुविधा नहीं है। सुविधा बढ़ानी चाहिए।
रंजीत शर्मा
अस्पताल परिसर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है। यहां तक की टीबी क्लीनिक के पीछे मेडिकल वेस्ट फेंका नजर आ जाएगा। निष्पादन के लिए सरकार खर्च करती है लेकिन मेडिकल प्रशासन का ध्यान इस और नहीं है।
मनीष कुमार साह
बोले जिम्मेदार
आईसीयू की सुविधा सदर अस्पताल में उपलब्ध है। लेकिन डॉक्टर और टेक्निकल स्टाफ की कमी की वजह से यह सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है। ट्रॉमा पेशेंट का तो कटिहार सदर अस्पताल में इलाज होता है। लेकिन ट्रॉमा सेंटर अभी तक कटिहार में नहीं खुल पाया है। ऐसे विशेष रोगियों को पूर्णिया और भागलपुर रेफर करते हैं। उनके लिए एंबुलेंस की सुविधा प्रदान की जाती है।
-डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह, सिविल सर्जन, कटिहार
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