बोले जमुई : कॉलेज का नया भवन जल्द बने, खेलने की सुविधा मिले
1965 में स्थापित झाझा कॉलेज, अब देव सुंदरी मेमोरियल महाविद्यालय, 60 वर्षों के बाद भी कई समस्याओं का सामना कर रहा है। छात्रों के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी, जैसे कि छात्रावास, प्रयोगशाला उपकरण, और...

1960 के दशक में झाझा के बच्चों के शैक्षिक विकास को लेकर कारोबारियों महावीर लाल जैन, रघुनाथ लाल मोदी व अन्य ने आर्थिक सहायता से 1965 में झाझा कॉलेज झाझा की स्थापना की जा सकी थी। यह आज देव सुंदरी मेमोरियल महाविद्यालय झाझा (डीएसएम कॉलेज झाझा) है। उसी के अगले वर्ष 1966 में झाझा के तत्कालीन अंचल अधिकारी सीएन झा एवं झाझा के चंद लोगों के सहयोग से हथिया पंचायत के सुंदरीटांड़ में 14 एकड़ भूमि की व्यवस्था की गई थी। वर्ष 1966 में उपलब्ध भूमि एवं भवन के आधार पर सरकार से तत्कालीन भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा इस महाविद्यालय को प्रस्वीकृति प्राप्त हुई थी।
महाविद्यालय का 1982 में सरकारीकरण हुआ था। लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी आज कॉलेज कई समस्याओं से जूझ रहा है। कॉलेज में कमरा, लैब उपकरणों, खेल मैदान आदि की कमी है। संवाद के दौरान कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने समस्या बताई। 14 एकड़ भू-भाग में फैला है डीएसएम कॉलेज 19 सौ 82 में कॉलेज का हुआ था सरकारीकरण 19 सौ 65 में हुई थी झाझा कॉलेज की स्थापना पुराने भागलपुर विश्वविद्यालय एवं वर्तमान में मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर के इस महाविद्यालय में झाझा नगर क्षेत्र एवं आसपास की कुल चार प्रखंडों एवं पांच थाना क्षेत्रों के हजारों विद्यार्थियों ने पढ़ाई की। स्नातक स्तर की शिक्षा प्रदान करने वाला एक मात्र सरकारी डिग्री महाविद्यालय को अपनी 14 एकड़ भूमि उपलब्ध होने के बावजूद भवन निर्माण न होने पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह महाविद्यालय एक छोटे से भवन में संचालित होता आ रहा है। छात्र हित में अगर महाविद्यालय में बीकॉम, व्यावसायिक विषयों (वोकेशनल कोर्स), स्नातकोत्तर आदि की शिक्षा प्रारंभ होती है तो यहां के विद्यार्थियों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। कॉलेज की खाली पड़ी 14 एकड़ भूमि पर भवन निर्माण कार्य के लिए विगत वित्तीय वर्ष में देव सुंदरी मेमोरियल महाविद्यालय झाझा को पीएम उषा अर्थात प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान निधि से पांच करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे। लेकिन इसका उपयोग नहीं हो सका। 60 वर्षों में भी छात्र-छात्राओं के लिए नहीं बन सका छात्रावास : झाझा कॉलेज झाझा की स्थापना के 60 वर्ष बाद महाविद्यालय के प्रति अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का सकारात्मक रुख नहीं रहा। इस महाविद्यालय की अपनी 14 एकड़ भूमि पर भवन निर्माण प्रारंभ नहीं हो सका और ना छात्रावासों का ही निर्माण हो सका। छात्राओं ने कहा कि सरकार की व्यवस्था के तहत रैंडमली जिन नामांकन स्थलों का चयन किया जाता है, उससे सरकार को जरूर चाहिए कि आप छात्रावास की व्यवस्था करें। झाझा में अथवा जिले के विभिन्न सरकारी एवं सरकारी मान्यता प्राप्त डिग्री महाविद्यालयों में नामांकन के लिए सूची जारी कर दी जाती है। यह दिल्ली मुंबई जैसा महानगर नहीं कि पैसेंजर ट्रेनों अथवा सरकारी बसों की सुविधा उपलब्ध है। यहां तो आवागमन के साधनों का इतना टोटा है कि छात्र परेशान होकर अपने क्लास एवं महाविद्यालय जाना छोड़कर घर में ही रहकर किसी प्रकार से पढ़ाई जारी रखने को मजबूर हैं। क्षेत्र में गरीबी भी इतनी है कि अभिभावक बच्चों पर बहुत खर्च नहीं कर पाते। पुस्तकालय में प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकें नहीं : कई छात्र-छात्राओं ने बताया कि कॉलेज की पुस्तकालय को और भी समृद्ध करने की जरूरत है। आज भी पुरानी किताबें लाइब्रेरी में उपलब्ध हैं। नई शिक्षा नीति के बाद सिलेबस के अनुसार पुस्तकें पर्याप्त संख्या में नहीं हैं। वहीं छात्राओं ने कंप्यूटर के विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता जताई। कहा कि आज हर काम ऑनलाइन होता है। ऐसे में कंप्यूटर ट्रेनिंग की विशेष तौर पर आवश्यकता होती है। महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं की समस्या का समाधान होना चाहिए। वहीं तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की ओर से महाविद्यालय को लगभग 40 लाख रुपए के खर्च पर लिंगुआ लैब की स्थापना हुई थी परंतु एक निश्चित समय सीमा के बाद वह बेकार की वस्तु बन गई थी। इस लिंगुआ लैब को क्रियाशील किया जाए। धनराज सिंह ने की थी आर्थिक सहायता : स्थापना के सूत्रधार शिक्षकों में तत्कालीन महात्मा गांधी हाई स्कूल के शिक्षक महेश प्रसाद सिंह एवं गणेश झा थे। इनके बाद रमानाथ झा, बैद्यनाथ झा हुए। कुछ वर्षों तक जिस भवन में यह महाविद्यालय चला, वह किराए पर था। उस समय झाझा के चंद कांग्रेसियों एवं सोशलिस्टों श्री बाबू, धनेश्वर माथुरी और धनराज सिंह ने बैठक की। स्वर्गीय धनराज सिंह ने आर्थिक समस्या झेल रहे महाविद्यालय को कई किस्तों में लगभग पांच लाख रुपए का योगदान दिया था। हालांकि महाविद्यालय के सरकारीकरण के दौरान उन्होंने जमुई व आसपास के कुछ अपने लोगों की बहाली की। कॉलेज के सरकारीकरण के पूर्व कर्मचारियों के मुद्दे को लेकर मामला पटना उच्च न्यायालय में पहुंचा था। शिकायत खेलकूद के लिए इंडोर गेम्स का आभाव है। टेबल टेनिस, चेस, बैडमिंटन, कैरम आदि की व्यवस्था नहीं है। व्यावसायिक पाठ्यक्रम तथा स्नातकोत्तर की पढ़ाई की महाविद्यालय में व्यवस्था नहीं है। प्रयोगशाला कक्षा में इंस्ट्रूमेंट पुराने हैं जिससे छात्र-छात्राओं को परेशानी होती है। महाविद्यालय परिसर में पार्किंग एवं गार्ड की व्यवस्था नहीं है। इससे छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के वाहन सुरक्षित नहीं रहते। रसायन शास्त्र, वनस्पति विज्ञान, मनोविज्ञान के शिक्षक नहीं हैं। कई वर्ग कक्षाओं में पंखा नहीं है, श्यामपट्ट नहीं है। सुझाव खेलकूद के लिए इंडोर गेम्स टेबल टेनिस, चेस, बैडमिंटन कैरम आदि की व्यवस्था जल्द की जाए। व्यावसायिक पाठ्यक्रम तथा स्नातकोत्तर की पढ़ाई की महाविद्यालय में व्यवस्था जल्द होनी चाहिए। प्रयोगशाला कक्षा में इंस्ट्रूमेंट पुराने हैं, जिन्हें नए में परिवर्तित किए जाने की जरूरत है। महाविद्यालय परिसर में पार्किंग एवं पार्किंग में गार्ड की व्यवस्था की जानी चाहिए। रसायनशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, मनोविज्ञान के शिक्षक की व्यवस्था हो। वर्ग कक्षाओं में पंखे की व्यवस्था हो। सुनें हमारी बात नामांकन के लिए कॉलेजों का रैंडमली चयन किया जाता है। सरकार छात्रावास की व्यवस्था करे। क्षेत्र में गरीबी भी इतनी है कि अभिभावक किराए पर बच्चे या बच्ची को रख कर नहीं पढ़ा सकते। -हरिनंदन प्रजापति खेलकूद के लिए इंडोर गेम्स का आभाव है। खेल का मैदान नहीं है। टेबल टेनिस, चेस, बैडमिंटन कैरम आदि की व्यवस्था बहाल की जाए। -धीरज कुमार सभी कक्षाओं की हालत जर्जर हो चुकी है। बाइक पार्किंग की कोई सुविधा नहीं है, इसलिए परेशानी होती है। -रिशु कुमार व्यावसायिक पाठ्यक्रम तथा स्नातकोत्तर की पढ़ाई की महाविद्यालय में व्यवस्था हो। ताकि बाहर न जाना पड़े। -कुलदीप कुमार छात्रों को चिकित्सा सुविधा देने के लिए यहां स्थायी चिकित्सक बैठें ताकि छात्र-छात्राओं को लाभ मिल सके। -सतीश कुमार सिन्हा इस महाविद्यालय में एनसीसी का कैंप खोला जाए जाए। विज्ञान के छात्रों के लिए विज्ञान प्रयोगशाला में नवीनतम उपकरण दिये जाएं। -नीरज कुमार प्रयोगशाला में इंस्ट्रूमेंट पुराने हैं जिन्हें नए में परिवर्तित किए जाने की जरूरत है। ताकि ठीक से प्रयोग हो सके। -राजेश यदुवंशी महाविद्यालय परिसर में पार्किंग एवं गार्ड की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के वाहन सुरक्षित रहेंगे। -सुजल सिन्हा लाइब्रेरी को भी डिजिटल किए जाने की जरूरत है। प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए मैगजीन के अलावा पुस्तकालय में कंप्यूटर की व्यवस्था हो। रोशनी एवं पेयजल की उचित व्यवस्था हो। -अशिका कुमारी पुस्तकालय एवं कमरा संख्या 16 की छत चूने से पुस्तकें खराब होती हैं, छात्रों को पढ़ने में परेशानी होती है। कॉलेज प्रशासन को इसकी समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। -निक्की कुमारी महाविद्यालय में बीकॉम, व्यावसायिक विषयों (वोकेशनल कोर्स), स्नातकोत्तर आदि की शिक्षा प्रारंभ होती है तो यहां के विद्यार्थियों को बाहर नहीं जाना पड़ेगा। -सानिया परवीन महाविद्यालय को 5 करोड़ प्राप्त हुए परंतु सभी संसाधनों से युक्त डिग्री महाविद्यालय के भवन निर्माण के लिए यह राशि नाकाफी साबित हो रही है। -नेहा माथुरी 1965 ई में झाझा कॉलेज झाझा की स्थापना में दानदाताओं के नामों का बोर्ड प्राचार्य कार्यालय में पुन: लगाया जाए ताकि लोग भविष्य में भी दान देने में नहीं चूकें। -छोटी माथुरी जनप्रतिनिधियों का इस महाविद्यालय के प्रति नकारात्मक रुख रहा है। 60 वर्षों में अपनी भूमि पर भवन निर्माण भी प्रारंभ नहीं हो सका। ना ही छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावासों का ही निर्माण हो सका। -रिया कुमारी पुस्तकालय में वीएसी, एसइसी एवं एईसी की पुस्तकों का अभाव है। विज्ञान के छात्रों के लिए विज्ञान प्रयोगशाला में नवीनतम उपकरणों की कमी है जिससे छात्रों को परेशानी होती है। -प्रीति कुमारी रसायनशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, मनोविज्ञान के शिक्षक नहीं हैं। कई वर्ग कक्षाओं में पंखा नहीं है, श्यामपट्ट नहीं है। फर्स्ट फ्लोर पर वॉशरूम एवं पेयजल की व्यवस्था हो, गर्ल्स कॉमन रूम में छात्राओं के बैठने की व्यवस्था हो। -अनुराग कुमार बोले जिम्मेदार सितंबर 2022 में यहां प्रचार्य के रूप में पदस्थापन हुआ। सील साइंस ब्लॉक खोला गया। खेलकूद को बढ़ावा दिया। दो छात्राओं ने खेल में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीता। महाविद्यालय में स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना हई। महाविद्यालय में सेनिटरी पैड वेंडिंग एवं भस्मक मशीन की व्यवस्था कराई है। 15 करोड़ की मांग की गई थी। लगातार प्रयास के बाद 5 करोड़ रुपये महाविद्यालय के विकास के लिए सैंक्शन किए गए। निर्माण कार्य के लिए मिट्टी की जांच हो चुकी है। महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए तथा एससी-एसटी छात्र के लिए छात्रावास हेतु सरकार को लिखा है। व्यावसायिक शिक्षा व स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए भी प्रयासरत हैं। नैक से मान्यता के लिए प्रक्रिया जारी है। महाविद्यालय के लिंगुवा लैब में ताला पड़ा था जिसे क्रियाशील करवाया। चार हजार छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। महाविद्यालय में वर्ष 2023 से ई लाइब्रेरी की शुरुआत हो गई है। इसमें लगभग ढ़ाई हजार छात्र पंजीकृत हैं। -प्रो. डॉ. अजफर शमशी, प्राचार्य सह मुंगेर विश्वविद्यालय के संपदा अधिकारी बोले जिम्मेदार पीएम श्री योजना के तहत जो 5 करोड़ रुपए राशि मिली है, उसका उपयोग खाली पड़ी 14 एकड़ भूमि पर होना चाहिए। महाविद्यालय का एक्सटेंशन कार्य उसी भूमि पर होना चाहिए। यह तो अभी प्रथम किस्त है। इसमें अभी और राशि मिलेगी और महाविद्यालय का विकास इससे सुनिश्चित किया जा सकेगा। मेरा प्रयास हमेशा रहा है कि हमारे विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा केंद्रों का विकास उत्तरोत्तर होता रहे। -दामोदर रावत, झाझा विधायक सह पूर्व मंत्री बोले जमुई फॉलोअप शहर में पार्क का अभाव, सड़क पर करते हैं मॉर्निंग वॉक जमुई। शहर के लोगों की सुबह बिना सैर के ही निकल जाती है। शहर में अब तक नगर परिषद द्वारा एक भी पार्क नहीं बनाया गया है। कई बार योजनाएं बनीं लेकिन अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक तो होना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए एक पार्क की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। मजबूरी में कुछ लोग सड़कों पर तो कुछ आसपास के विद्यालयों के मैदानों में सैर-सपाटे के लिए चले जाते हैं। जो लोग सड़कों पर टहलने निकलते हैं, उन्हें हादसों का डर सताता रहता है। पूर्व में कुछेक ऐसी सड़क दुर्घटनाएं हुई भी हैं, जिसमें लोग घायल हो गए। नगर परिषद ने बोधवन तालाब को विकसित करने की योजना बनाई लेकिन अभी तक इसपर काम शुरू नहीं हो सका। लेकिन योजना केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गई। शहर में पार्क बनाए जाने का मुद्दा नगर परिषद से लेकर अधिकारियों व नेताओं के समक्ष कई बार उठा, पर आज तक कुछ नहीं हुआ। स्टेडियम, केकेएम कॉलेज, एकलव्य कॉलेज आदि में लोग सुबह के समय सैर करने पहुंचते हैं। सड़क किनारे वाहनों से उड़ने वाली धूल मिट्टी व प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।
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