Challenges Faced by Aspirants in Katihar s Rajendra Stadium Pollution Crowds and Lack of Facilities बोले कटिहार : रनिंग ट्रैक, पेयजल व शौचालय की हो व्यवस्था, बढ़े पुलिस गश्त, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार : रनिंग ट्रैक, पेयजल व शौचालय की हो व्यवस्था, बढ़े पुलिस गश्त

कटिहार के राजेंद्र स्टेडियम में सेना और पुलिस भर्ती की तैयारी करने वाले युवाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां की गंदगी, प्रदूषण और भीड़ के कारण अभ्यर्थियों को अभ्यास करने में कठिनाई...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरThu, 3 April 2025 10:37 PM
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बोले कटिहार : रनिंग ट्रैक, पेयजल व शौचालय की हो व्यवस्था, बढ़े पुलिस गश्त

कटिहार का राजेंद्र स्टेडियम, डीएस कॉलेज मैदान, लेबर ऑफिस मैदान सेना और सिपाही भर्ती की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों का एक प्रमुख केंद्र है। शहर के इस बड़े मैदान को राजनीतिक रैलियों, कार्यक्रमों और विभिन्न समारोहों के लिए बार-बार बंद कर दिया जाता है। विभिन्न आयोजनों के कारण यहां जगह-जगह कूड़ा-कचरा फैला रहता है। इससे यहां अभ्यास करने वाले युवाओं को परेशानी होती है। ऊबड़-खाबड़ ग्राउंड, प्रदूषण और गंदगी के बीच अभ्यर्थी अभ्यास करने को मजबूर हैं। कटिहार में लगभग चार-पांच ट्रेनिंग अकादमी हैं जहां न्यूनतम राशि लेकर दारोगा, होमगार्ड, इंस्पेक्टर, अग्निवीर, फौज की तैयारी करवाई जाती है। हर अकादमी में 50 से 70 बच्चे शारीरिक परीक्षा के लिए ट्रेनिंग करते है। पूरे मैदान में दौड़, ऊंची कूद, लंबी कूद जैसी गतिविधियां होती हैं। अभ्यास कर रहे अभ्यर्थियों ने बताया कि बढ़िया रनिंग ट्रैक मिले तो अभ्यर्थियों को सहूलियत होगी।

15 सौ लड़के और लड़कियां प्रतिदिन प्रैक्टिस करते हैं शहर में

01 मैदान सिर्फ राजेंद्र स्टेडियम पर आश्रित हैं पूरे जिले के अभ्यर्थी

02 सौ से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा पास कर चुके हैं पिछले कुछ वर्षों में

शहर के मैदान सुबह और शाम की सैर और तफरीह करने वालों की जगह तो हैं ही, यह बेहतर भविष्य का सपना संजोए युवाओं की भी जगह है। कटिहार के मैदानों जैसे राजेंद्र स्टेडियम, डीएम कॉलेज, हवाई अड्डा फील्ड, लेबर फील्ड डहेरिया जैसी जगहों पर हर दिन करीब एक हजार युवा बेहतर करियर का सपना लेकर पसीना बहाते हैं। बिहार पुलिस, एसएससी जीडी, आरपीएफ एसआई, आरपीएफ कांस्टेबल, बिहार होमगार्ड की तैयारी के लिए कभी वे दौड़ करते दिखते हैं तो कभी ऊंची और लंबी कूद करते हुए। इनमें लड़कियां भी होती हैं।

सैकड़ों युवा करना चाहते हैं देश की सेवा :

यहां शारीरिक प्रशिक्षण के लिए नियमित आने वाली प्रिया, अनुपमा, रीना कुमारी, ज्योति कुमारी, शिप्रा पटेल, बुलबुल कुमारी, रितु, ऋशा, मधु, काजल, सोनू कहती हैं कि उनका सपना बिहार पुलिस में दारोगा बनने की है। इसके लिए लिखित परीक्षा की तैयारी तो कर ही रही हैं, बल्कि शारीरिक प्रशिक्षण के लिए राजेंद्र स्टेडियम आती हैं। इसी तरह अजीत उरांव, ओमप्रकाश महतो, सुरेंद्र उरांव, नीरज लकड़ा, रोशन कुमार, मनीष कुमार, चंदन कुमार पासवान, अमित कुमार, कुमार अविनाश, मनीष कुमार यादव, राजकुमार, करण कुमार मंडल, अमर कुमार कटिहार जिले के अन्य ब्लॉक मनिहारी, बारसोई, कोढा, समेली, बरारी, अमदाबाद जैसे जगहों से आकर ट्रेनर सूरज लकड़ा और कोच नीरज लकड़ा, सुरेंद्र उरांव के सहयोग से शारीरिक परीक्षा की तैयारी करते हैं। कटिहार के राजेंद्र स्टेडियम और डीएम कॉलेज मैदान में लगभग तीन-चार ट्रेनिंग अकादमी संचालित हैं। यहां कटिहार जिलों के अभ्यर्थी तो आते ही हैं, पड़ोसी जिलों के भी अभ्यर्थी दिख जाते हैं। यहां से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी सफल भी होते हैं, जिससे तैयारी के लिए आने वाले अभ्यर्थी प्रेरित होते हैं। कटिहार डिफेंस अकादमी के कोच सूरज लकड़ा बताते है कि वैकेंसी आने पर यहां उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 2 हजार तक इनकी संख्या पहुंच जाती हैं।

ड्राइविंग सीखने वालों से होती है दिक्कत :

डीएस कॉलेज मैदान और लेबर ऑफिस मैदान डहेरिया में लोग सुबह-सुबह ताजी हवा में सांस लेने और सेहत बनाने के लिए मैदान में पहुंचते हैं। इस दौरान यहां कुछ लोग ड्राइविंग सीखने के लिए भी पहुंचते हैं। इससे सैर करने वाले और शारीरिक परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को परेशानी होती है। ड्राइविंग सीखने वाले मैदान में इधर-उधर गाड़ी चलाते दिखते हैं। इससे न केवल चलने वालों को डर लगता है, बल्कि दुर्घटना का खतरा भी बढ़ गया है। मैदान में नियमित रूप से आने वाले लोगों का कहना है कि पहले यहां शांति और सुकून मिलता था, लेकिन अब हर तरफ शोर और डर का माहौल है। बच्चों के खेलने की जगह भी कम हो गई है। प्रशासन से कई बार शिकायत के बावजूद, स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। हमलोगों की मांग है कि मैदान में वाहनों के प्रवेश को नियंत्रित किया जाए और ड्राइविंग सीखने वालों के लिए कोई अलग जगह निर्धारित की जाए।

लोगों की भीड़ से होती है परेशानी :

राजेंद्र स्टेडियम मैदान शहर के केंद्र में होने के कारण यहां हमेशा लोगों की भीड़ जमी रहती है। इससे शारीरिक प्रशिक्षण लेने आए अभ्यर्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। भीड़ की वजह से उन्हें खुलकर प्रैक्टिस करने की जगह नहीं मिल पाती है। वहीं मैदान परिसर में उड़ती धूल-धक्कड़ और पसरी गंदगी उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। सेना भर्ती की तैयारी कर रहे कुमार अविनाश बताते हैं कि मैदान में बिखरे गिट्टी, कील और शीशे के टुकड़े के कारण अक्सर हमलोग चोटिल होते रहते हैं। मैदान की नियमित साफ-सफाई नहीं होने से परिसर में गंदगी पसरी रहती है। मैदान के आसपास घनी आबादी और वाहनों की आवाजाही से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। धूल के कारण खांसी, आंखों में जलन और सांस फूलने जैसी बीमारियों से हम लोग अक्सर परेशान रहते हैं। कई छात्र प्रदूषण के कारण मैदान में ज्यादा देर तक नहीं टीक पाते हैं और बीच में ही अपना अभ्यास छोड़ देते हैं।

असामाजिक तत्वों के कारण होता है माहौल खराब

छात्र मनीष, करण, अमर ने बताया कि यहां अब पुलिस-भर्ती सहित अन्य परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं की संख्या बढ़ गई है। इस कारण जगह कम पड़ने लगी है। हम लोगों की मोहल्ले में मैदान नहीं है, इसलिए स्टेडियम या अन्य बड़े मैदान में अभ्यास करने आते हैं। पर यहां की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। पहले यहां शांति थी, लेकिन अब कचरा, बदबू और असामाजिक तत्वों की मौजूदगी ने माहौल खराब कर दिया है। इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि हम बिना रुकावट और सहजता से अभ्यास कर सकें।

शिकायतें

1. मैदान परिसर में गिट्टी और कंकड़ होने से प्रैक्टिस करने के दौरान अभ्यर्थी अक्सर चोटिल हो जाते हैं।

2. मैदान के अंदर वाहन चलने से अभ्यर्थियों को परेशानी होती है, दुर्घटना का भी डर बना रहता है।

3. मैदान में बुनियादी सुविधाएं शौचालय और पेयजल तक की व्यवस्था नहीं है।

4. मैदान को आयोजनों के दौरान बंद रखा जाता है, इससे अभ्यर्थियों की प्रैक्टिस छूट जाती है।

5. मैदान में रनिंग ट्रैक नहीं है। सेना भर्ती और अन्य डिफेंस सेवा की तैयारी करने वालों को परेशानी होती है।

सुझाव

1. कटिहार के मैदानों में नियमित साफ-सफाई होनी चाहिए, जिससे परिसर में पड़े गिट्टी-कंकड़ को हटाया जा सके।

2. मैदान के अंदर गाड़ियों के प्रवेश पर पूर्ण रूप से रोक लगाई जाए।

3. मैदान परिसर में शैाचालय और पेयजल की व्यवस्था की जाये, शौचालय की नियमित सफाई हो।

4. मैदान में आयोजनों के दौरान कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाए।

5. जिले के मैदानों में रनिंग ट्रैक बनाना चाहिए।

सुनिए हमारी पीड़ा

दारोगा के लिए तैयारी कर रही हूं। राजेंद्र स्टेडियम मैदान में बीते दो महीने से रोज अभ्यास के लिए आती हूं। मैदान में बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से काफी परेशानी होती है। मैदान परिसर में नि:शुल्क शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। पानी भी घर से लेकर आना पड़ता है।

प्रिया

यहां तैयारी का अच्छा माहौल तो मिल जाता है लेकिन ग्राउंड में साफ-सफाई की कमी है। मैदान परिसर में बिखरे गिट्टी, कांटी, कांच से अक्सर हमलोगों चोटिल हो जाते हैं। मैदान की नियमित सफाई नहीं होने से परसिर में गंदगी पसरी रहती है।

अनुपम

मैदान परिसर में धूल बहुत उड़ती है। इससे हमें प्रैक्टिस के दौरान सांस लेने में परेशानी होती है। आंख में धूल जाने से जलन होती है। यहां सुबह में पानी का छिड़काव नहीं होता है। दोपहर और शाम तक स्थिति वैसी ही रहती है।

ज्योत्स्ना

मैं चार किलोमीटर से रोज मैदान सिपाही भर्ती की तैयारी के लिए आती हूं। ग्राउंड में बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। मैदान में शौचालय तक नहीं बने हैं। काफी दिक्कतें होती है।

रीना कुमारी

राजेंद्र स्टेडियम मैदान के आलावा यहां कोई और सरकारी मैदान नहीं है, जहां शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाता हो। यहां भी पहले की तरह साफ-सफाई नहीं रहती है। लोग यहां खाने-पीने की चीजें फेंक देते हैं, जिससे गंदगी रहती है।

ज्योति कुमारी

मैदान में अक्सर रैली, मेला और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन होते रहता है। विभिन्न समारोहों में मैदान में प्रवेश पर भी रोक लगा दी जाती है। इससे हमलोगों को नियमित अभ्यास करने में परेशानी होती है।

शिप्रा पटेल

मैं शहर में रहकर गृहरक्षक की तैयारी करती हूं। अब हमारी परीक्षा में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में हमें दोगने अभ्यास की जरूरत है। लेकिन मैदान में अधिक भीड़ होने की वजह से परेशानी होती है।

बुलबुल कुमारी

डीएस कॉलेज मैदान और लेबर ऑफिस मैदान में अक्सर वाहन सीखने वाले लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। दौड़ लगाने में परेशानी होती है। लोग वाहन इतनी तेज गति से चलाते हैं कि दुर्घटना होने का भी डर रहता है। धूल भी बहुत उड़ती है। वाहनों के प्रवेश पर रोक लगनी चाहिए।

ऋतु

मैदान में पेयजल और शौचालय की व्यवस्था नहीं है। सफाई नहीं होने से उपयोग के लायक नहीं है। यहां रोज हजारों बच्चे सुबह-शाम तैयारी के लिए आते हैं। मैदान में बुनियादी सुविधा नहीं होने से हमलोगों को बहुत परेशानी होती है। सबसे अधिक लड़कियों को परेशानी होती है।

ऋषा

बेहतर रिजल्ट के लिए अभ्यास जरूरी है। अगर बड़े ट्रेनिंग संस्थान जैसे हमलोगों को भी यहीं अच्छी सुविधाएं मिले तो हम बेहतर प्रर्दशन कर पाएंगे। सरकार को कटिहार के मैदानों में ही हमलोगों के लिए सारे उपकरण उपलब्ध कराने चाहिए। ताकि हम बेहतर रिजल्ट दे सकें।

मधु

किराया के मकान में रहकर दारोगा भर्ती परीक्षा की तैयारी करती हूं। आज हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। वर्तमान में उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा है और सीटों की कम। ऐसे में बेहतर रिजल्ट के लिए हर रोज अभ्यास करना जरूरी है। मैदान को रैली आदि कार्यक्रम पर बंद नहीं रखना चाहिए।

काजल

आज प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई है कि लोग कुछ नंबर से पीछे रह जाते हैं। ऐसे में हमें बेहतर रिजल्ट के लिए रोजाना प्रैक्टिस करना बेहद जरूरी है। मैदान के बंद के दौरान हमारे लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।

सोनू

राजेंद्र स्टेडियम मैदान जैसे अन्य मैदानों का भी निर्माण होना चाहिए। आज पटना में अनेक स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स हैं। लेकिन वहां मेंबरशिप लेनी पड़ती है। वैसे ही कटिहार में भी पटना के तर्ज पर फील्ड का निर्माण हो । इससे सभी को फायदा होगा।

सूरज लकड़ा, ट्रेनर

राजेंद्र स्टेडियम मैदान में दिनभर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। कई बार लड़कियों के साथ मनचले छेड़खानी भी कर चुके हैं। फिर भी यहां बेहतर सुरक्षा के लिए पुलिस या गार्ड की तैनाती नहीं की गई है।

अजीत उरांव

राजेंद्र स्टेडियम में रनिंग ट्रैक नहीं है, जहां हमलोग दौड़ सकें। हमलोगों को जैसे-तैसे ग्राउंड में ही दौड़ लगानी पड़ती है।

ओम प्रकाश महतो

यहां बच्चे क्रिकेट और फुटबॉल भी खेलते हैं। कई बार प्रैक्टिस के दौरान हमें गेंद से चोट लग जाती है। जिसके कारण हमलोगों को अधिक सतर्कता के साथ रहना पड़ता है। मैदान में खेल के लिए अलग से जगह चिह्नित होनी चाहिए।

सुरेन्द्र उरांव, कोच

पहले यहां शारीरिक प्रशिक्षण लेने वालों की संख्या कम थी, लेकिन कई सारे अकादमी खुल गए हैं। खेल का भी प्रशिक्षण प्राप्त करने बच्चे आने लगे हैं। जिस कारण हमलोगों को अभ्यास करने में परेशानी होती है।

नीरज लकड़ा, कोच

लेागों का कहना है कि हमलोगों के अभ्यास करने से यहां धूल उड़ती है। लेकिन हमारे पास कोई अन्य जगह नहीं है जहां हम अभ्यास कर सकें। अन्य शहरों में जाकर प्रशिक्षण लेने की हमारी क्षमता नहीं है।

रोशन कुमार

मैदान परिसर में गिट्टी और कंकड़ होने से प्रैक्टिस करने के दौरान अभ्यर्थी अक्सर चोटिल हो जाते हैं। मैदान के अंदर वाहन चलने से अभ्यर्थियों को परेशानी होती है, दुर्घटना का भी डर बना रहता है

मनीष कुमार

मैदान में रनिंग ट्रैक नहीं है। जिससे सेना भर्ती और अन्य डिफेंस की तैयारी करने वालों को परेशानी होती है। रनिंग ट्रैक मिल जाने से हम लोगों को काफी आसानी होगी।

चंदन कुमार पासवान

बोले जिम्मेदार

पुलिस या सेना अभ्यर्थी को फिजिकल की तैयारी करने के लिए किसी भी फील्ड में कोई पाबंदी नहीं है। जहां उनको सहूलियत हो किसी भी फील्ड में तैयारी कर सकते हैं। 160 से ज्यादा खेल मैदान का निर्माण पूरे जिले की पंचायतों में कराया जा रहा है जिसमें रनिंग ट्रैक भी होगी। पुलिस और सेना या अन्य खेल की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को इसमें काफी सहूलियत होगी ।

-अमित कुमार, डीडीसी, कटिहार

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