बोले कटिहार : प्रशिक्षण व सरकारी मदद मिले तो बढ़ेगा डेयरी का व्यवसाय
पशुपालन में कई किसान रोजगार के रूप में जुड़े हैं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। महंगाई के चलते चारा और चिकित्सा लागत बढ़ गई है, जिससे दूध उत्पादन प्रभावित हो रहा है। जिले में...
पशुपालन किसानों की परंपरा रही है। धीरे-धीरे कई किसानों ने इसे रोजगार के रूप में भी अपनाना शुरू किया। अब जिले के हजारों किसान पशुपालन और डेयरी के माध्यम से धनार्जन भी कर रहे हैं। इन सबके बावजूद डेयरी फार्म संचालकों और गाय-भैंस पालकों को कई चुनौतियों से जूझना होता है। पशुओं के रखरखाव पर लागत बढ़ी है। कई बार रोगों और संक्रमण से बचाना मुश्किल हो जाता है। इससे दूध उत्पादन प्रभावित होता है। जिले में तीन लाख के करीब छोटे-बड़े पशुपालक हैं। ये गाय, भैंस, बकरी और सूअर पालते हैं। लगभग दो लाख लीटर दूध का प्रतिदिन उत्पादन करते हैं। संवाद के दौरान इन्होंने अपनी समस्या बताई।
02 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है प्रतिदिन जिले भर में
08 लाख 30 हजार संख्या है जिले में मवेशियों की विभाग के अनुसार
50 से 75 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलती है पशुपालन पर
दुग्ध उत्पादन और डेयरी व्यवसाय न केवल देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है, बल्कि रोजगार का भी प्रमुख स्रोत है। इस क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं। बढ़ती महंगाई के समय में डेयरी फार्म से जुड़े व्यवसाई मुश्किलों से घिरते जा रहे हैं। पहले जब दूध का कारोबार स्थिर था तब व्यापारी इसे लाभकारी और सम्मानजनक पेशा मानते थे। मेहनत से दूध-डेयरी का व्यापार शुरू करने वाले व्यापारी अब नुकसान की मार झेल रहे हैं। महंगाई के कारण दूध का उत्पादन और वितरण महंगा हो गया है। गाय और भैंसों के लिए चारा, दवाइयां और उनकी देखभाल का खर्च बढ़ गया है। पशु चारे की कीमत पहले से चार गुनी ज्यादा हो गई है। बढ़ती लागत के कारण व्यापारियों के लिए पशुपालन करना और दूध का उत्पादन जारी रखना मुश्किल हो गया है। दूध की बिक्री से उतना लाभ नहीं कमा पा रहे हैं, जितना पहले होता था। दूध की कीमत में बढ़ोतरी होने से लोग दूध की खपत कम करने लगे हैं। बढ़ती महंगाई और लागत का दबाव व्यापारियों पर बढ़ता जा रहा है, जिससे व्यापार चलाना कठिन हो गया है। कटिहार पशुपालन विभाग के अनुसार जिले में मवेशियों की संख्या 8 लाख 30 हजार के करीब दर्ज की गई थी। यहां गायों की कुल संख्या लगभग 7 लाख 26 हजार 543 है। जबकि यहां भैंसों की संख्या 96 हजार 268 है। बकरी की संख्या 5 लाख 88 हजार 72 है।
पशु चारा का महंगा होने से बड़ी मुश्किलें :
डेयरी फार्म से जुड़े व्यापारी हरिकिशोर कुमार ने बताया कि पहले पशु चारे की कीमत 800 रुपये प्रति क्विंटल थी, लेकिन अब वही चारा महंगा होकर 1200 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। इस मूल्यवृद्धि ने छोटे व्यापारियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। दूध उत्पादन में होने वाला खर्च कई गुना तक बढ़ गया है। फॉर्म संचालक अमल देव राय बताते हैं कि कई बार सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की कोशिश की, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली। पूंजी के अभाव में हम अपने पशुओं की देखभाल सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं। इससे हमारा व्यापार घाटे में जा रहा है। कई बार दूध उत्पादन से जुड़े व्यापारी सरकारी दफ्तर गए, लेकिन उन्हें योजनाओं का लाभ नहीं मिला। डेयरी किसानों को पशुओं के स्वास्थ्य और पोषण के लिए सरकारी सहायता देने का प्रावधान है। पशु टीकाकरण, बीमारियों से बचाव और बेहतर आहार की योजनाएं हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों को इस तरह की मदद नहीं मिल पा रही है। कई किसानों को इन योजनाओं की जानकारी भी नहीं है। प्रशासन जमीनी स्तर तक इनकी मदद करे ताकि ये योजनाएं कागज तक सीमित न रहे। डेयरी फॉर्म संचालकों की स्थिति में सुधार के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सरकार, समाज और निजी क्षेत्र का सहयोग हो। उन्हें उचित मूल्य, बेहतर तकनीकी मदद, चिकित्सा देखभाल और समृद्ध बाजार तक पहुंच मिलनी चाहिए, ताकि उनका जीवन बेहतर हो सके। मवेशियों के लिए भी बीमा की सुरक्षा हो।
कैंप लगाकर योजनाओं की मिले जानकारी :
स्थानीय विभागों की ओर से डेयरी फार्म के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। न तो इसके बारे में कोई जागरूकता कैंप आयोजित किया जाता है और न ही छोटे-बड़े दूध व्यापारियों को सरकारी योजनाओं का सही लाभ मिलने की जानकारी दी जाती है। परिणामस्वरूप दूध उत्पादक व्यापारी लगातार बढ़ती महंगाई, चारे के महंगे दाम, और अन्य खर्चों का बोझ सहते हुए नुकसान की मार झेल रहे हैं। दुग्ध व्यवसायी किशोरी चंद्र दास ने बताया कि बिना सरकारी मदद के यह व्यवसाय अब बेहद मुश्किल हो गया है। कई छोटे व्यापारी अपना रोजगार बंद कर चुके हैं और दूसरे राज्यों में काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। अगर स्थानीय विभाग और सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ दिया जाए तो यह व्यवसाय फिर से समृद्ध हो सकता है और इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल सकता है।
सरकार की योजनाओं का मिले लाभ :
फॉर्म संचालक संजीव कुमार बताते हैं कि पशुपालन को बढ़ावा मिले तो गांवों में बेरोजगारी का एक समाधान मिल पाएगा। ना तो अनुदानित दर पर पशुओं के इलाज के लिए दवा मिलती है और नहीं अनुदानित दर पर पौष्टिक आहार। अधिकांश पशुपालकों ने कहा कि उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। उनके दूध के मूल्यांकन का कोई मानक नहीं जहां उनकी मेहनताना और खर्च का सम्मान पूर्वक भरपाई हो सके। सरकार समय-समय पर वैक्सीनेशन एवं दवा का वितरण करती है। हाल में एक वैक्सीनेशन पूरा हुआ है। सरकार के निर्देशानुसार सभी तरह की चिकित्सा चालू है। किसानों के लिए जिस तरह किसान क्रेडिट कार्ड मिलता है उसी तरह पशुपालकों के लिए भी सरकार ने पशुपालक क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था की है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन किए जाते हैं और इसके बाद आवेदक को संबंधित बैंक भेज दिया जाता है। कुछ लोगों को इसका लाभ मिला भी है। हमें सस्ते लोन की सुविधा मिले। दूध का स्टॉक करने के लिए रेफ्रिजरेटर चाहिए। चारे पर सब्सिडी मिलनी चाहिए और पशुओं का स्वास्थ्य बीमा होना चाहिए। सस्ता लोन मिले। प्रशिक्षण और वित्तीय मदद मिले तो उत्पादन बढ़ने के साथ ही किसानों और डेयरी फार्म संचालकों दोनों को मदद मिलती है।
हर गांव में हों पशु चिकित्सक तो पशुपालकों को होगी सुविधा :
पशुओं की सेहत सीधे दूध की गुणवत्ता और उत्पादन को प्रभावित करती है। नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, मुफ्त टीकाकरण और पोषण संबंधी सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए। प्रत्येक गांव में एक पशु चिकित्सक की नियुक्ति होनी चाहिए और मोबाइल हेल्थ सेंटर की व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालक ने बताया कि दूध को सुरक्षित और तेजी से लाने-ले जाने के लिए उचित वाहन आवश्यक है। अधिकतर दूध बेचने वाले अपनी साइकिल या पुराने दोपहिया वाहनों पर निर्भर रहते हैं, जिससे कई बार दूध खराब हो जाता है। सरकार को सब्सिडी पर मिनी वाहन या ठंडा करने की सुविधा वाले ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराने चाहिए। दूध बेचने वाले अधिकतर लोग गरीब तबके से आते हैं। वे कच्चे मकानों में रहते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
शिकायतें
1. दाना और पशुचारा की कीमत में निरंतर वृद्धि हो रही है। इससे पशुपालन में परेशानी हो रही है और आर्थिक संकट उत्पन्न होता है।
2. गायों और भैंसों की देखभाल के लिए पर्याप्त जानकारी की कमी है। बीमारी और पशु चिकित्सा की देखभाल की पहुंच सीमित है।
3. डेयरी उत्पादों के मूल्य निर्धारण में असमानता होती है। कभी-कभी किसानों को उनके उत्पादों के लिए उचित मूल्य नहीं मिलता है।
4. चारा की उपलब्धता, पशुओं का स्वास्थ्य और दूध उत्पादन मौसम के अनुसार बदलता है, जिससे निरंतरता की समस्या रहती है।
5. दूध उत्पादन से जुड़े व्यापारियों को सरकारी योजनाओं का सही लाभ नहीं मिल रहा है। सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
सुझाव
1. सरकार से वित्तीय सहायता मिले, ब्याजमुक्त ऋण, सब्सिडी पर चारा और पशुओं की देखभाल की व्यवस्था होनी चाहिए।
2. पशुपालन, चारा प्रबंधन और दूध उत्पादन में सुधार के लिए नियमित प्रशिक्षण और नई तकनीक के बारे में जानकारी मिले।
3. पशुओं को रोग से बचाव की जानकारी दी जाए। उचित टीकाकरण और रोग नियंत्रण कार्यक्रम चलाए जाने से मदद मिलेगी।
4. आधुनिक तकनीक का उपयोग कर दूध उत्पादन और प्रक्रिया को बेहतर बनाया जाए।
5. डेयरी फार्म में लगे व्यापारियों के लिए बीमा योजना लागू की जाए।
6. दूध व्यापारियों को सरकारी योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जागरूक किया जाए।
सुनें हमारी बात
देसी गाय को बढ़ावा मिलना चाहिए क्योंकि अब हर जगह देसी दूध का डिमांड काफी ज्यादा बढ़ गई है। हाइब्रिड नस्ल की गाय का दूध सभी घरों में पसंद नहीं होता है।
शहरुल आलम
अगर सरकार सस्ती दर पर चारा दे तो हमें लाभ होगा। महंगे चारे से हमारी लागत बढ़ जाती है। इससे हमारी आय में कमी आती है।
संजीव कुमार
हमारे गांव में दूध संग्रहण केंद्र नहीं है। इससे हमारा दूध खराब हो जाता है। हमें दूध को दूर ले जाकर बेचना पड़ता है, जिससे समय और पैसा दोनों खर्च होते हैं।
संजू देवी
चारा और दाना बहुत महंगा हो गया है। इससे हमारी लागत बढ़ जाती है और मुनाफा कम होता है। सरकार को पशु आहार पर सब्सिडी देनी चाहिए।
अहिल्या देवी
हमें दूध को स्टोर करने के लिए फ्रिज की जरूरत होती है। लेकिन फ्रिज महंगा होने के कारण हम नहीं खरीद पाते। दूध जल्दी खराब हो जाता है जिससे नुकसान होता है।
अमल देव राय
हमें व्यापार बढ़ाने के लिए लोन लेना पड़ता है। लेकिन गारंटी के बिना बैंक हमें लोन नहीं देते। सरकार को कम ब्याज पर बिना गारंटी लोन देना चाहिए। इससे हम ज्यादा पशु खरीद सकेंगे और दूध उत्पादन बढ़ेगा।
रेणु रजक
अगर हमें अनुदानित दर पर वाहन मिले तो फायदा होगा। इससे दूध जल्दी और सुरक्षित बाजार तक पहुंच सकेगा। वर्तमान में परिवहन महंगा होने के कारण लाभ कम होता है।
उर्मिला देवी
हम बिचौलियों के कारण नुकसान में रहते हैं। वे हमारा दूध कम कीमत पर खरीदते हैं और महंगे में बेचते हैं। सरकार को हमें सीधे बाजार से जोड़ना चाहिए।
जुलेखा खातून
बुलाने पर गांव में कोई पशु चिकित्सक नहीं आता। हमारी गाय-भैंस बीमार होकर मर जाती हैं। इलाज के अभाव में हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ता है।
नीलम देवी
हमारे पास पशुओं का बीमा नहीं है। अगर गाय या भैंस मर जाए तो हमें बहुत नुकसान होता है। बीमा की सुविधा मिलने से हमारा जोखिम कम होगा।
सैयद सलीम
गाय और भैंस के लिए सरकारी स्तर पर कोई चारा की व्यवस्था नहीं होती जिसके कारण ठंड के समय में दुधारू गाय एवं भैंस की परेशानी बढ़ जाती है।
मंजू देवी
दुग्ध खरीदगी के लिए समितियां बनाई गई हैं। उसी तरह से उपले बनाने एवं गोबर से हाईटेक धूप बत्ती बनाने का संयंत्र उपलब्ध करा दिया जाए तो पशुपालकों के इनकम का एक और जरिया तैयार हो जाएगा।
जयदेव राय
युवाओं को समय-समय पर पशुपालन के टिप्स और ट्रेनिंग के लिए व्यवस्था होती रही तो युवाओं का झुकाव पशुपालन और दुग्ध उत्पादन की तरफ होगा।
जूलर रहमान
पशुओं के इलाज से लेकर चारा तक की व्यवस्था के लिए आर्थिक मदद मिले तो पशुपालक आगे बढ़ेंगे।
किशोरी चंद्र दास
सरकारी पशुशाला नहीं है। आधा दर्जन देसी गाय हैं। मार्केट में सब्जी 40 से 50 रुपए हो जाती है लेकिन दूध की कीमत 40 रुपए लीटर ही रहता है।
प्रकाश घोष
ठंड में गाय की देखभाल के लिए आधुनिक व्यवस्था नहीं है इससे पशुपालकों को परेशानी होती है। गरीबों के घर पशुशाला नहीं उनकी गाय परेशान रहती है।
हरिकिशोर कुमार
बोले जिम्मेदार
जिले के पशुपालकों और डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए सरकार द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। जिससे पशुपालकों को लाभ मिल सके। इसमें पशुपालकों को दुधारू पशुओं की खरीदारी के लिए 50 प्रतिशत से 75 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। साथ ही पशुओं का बीमा भी किया जाता हैं। समय समय पर पशुओं को बीमारियों से बचने के लिए टीके भी लगाए जाते हैं। बीमार पशु के लिए टॉल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर मुफ्त ऑन डोर सर्विस से बीमार पशु का इलाज करवा सकते हैं। आगे भी पशुपालकों की समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाए जाएंगे। अगर किसी पशु पालक को कोई समस्या हो तो वह कार्यालय अवधि में आकर सपंर्क कर सकते हैं।
- ओम प्रकाश गुप्ता, जिला गव्य विकास पदाधिकारी, कटिहार
बोले कटिहार असर
नए कक्ष में शिफ्ट की गई कॉलेज की प्रयोगशाला
कटिहार। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बाले कटिहार संवाद के तहत 5 मार्च को महिला कॉलेज की छात्राओं की समस्या को लेकर 'साइंस और कॉमर्स की पढ़ाई हो शुरू, भरें शिक्षकों के पद, प्रैक्टिकल की हो व्यवस्था' को लेकर खबर छापी थी। खबर प्रकाशन के बाद कॉलेज प्रशासन ने इसपर संज्ञान लिया है। कॉलेज की प्राचार्य दीपाली मंडल ने प्रैक्टिकल रूम को नए कक्ष में शिफ्ट कर दिया। पूर्णिया यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर विवेकानंद सिंह ने साइंस की पढ़ाई को लेकर आश्वासन दिया कि बहुत जल्द साइंस विषयों की पढ़ाई शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है और शिक्षकों के खाली पद भी जल्द भरे जाएंगे। इस खबर को लेकर महिला कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं और अभिभावकों में खुशी की लहर है। एमजेएम महिला कॉलेज के कई छात्राओं और एवीबीपी से जुड़े छात्र नेता विक्रांत कुमार सिंह, बृहस्पति कुमारी प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, अनुष्का कुमारी नगर सह मंत्री, राजकुमारी नगर कला मंच प्रमुख, सानिया कुमारी नगर कला मंच सह प्रमुख, कल्पना कुमारी नगर छात्रा प्रमुख, प्रिया कुमारी नगर छात्रा सह प्रमुख ने हिन्दुस्तान अखबार के बोले कटिहार मुहिम के प्रति आभार व्यक्त किया ।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।