जिले में परवान नहीं चढ़ पा रही पीएम जनौषधि योजना
मरीज करीब 35 प्रतिशत महंगी दवा खरीदने को हो रहे मजबूर सरकारी अस्पतालों में जनौषधि

भागलपुर, वरीय संवाददाता। केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले बेहद सस्ती दवा उपलब्ध कराने की योजना जिले में परवान नहीं चढ़ पा रही है। जिला स्वास्थ्य विभाग निजी दवा कारोबारियों के लिए अस्पताल परिसर में पलक पांवड़े बिछाए हुए है। जबकि प्रधानमंत्री जनौषधि की दुकान खोलने के लिए स्वास्थ्य विभाग अस्पताल परिसर में जमीन उपलब्ध करा रखा है। वहीं ड्रग विभाग ने ऐसी दुकानें खोलने के लिए आवेदन देने के एक सप्ताह में लाइसेंस देने का डेडलाइन बना रखा है। इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री जनौषधि योजना जिले के सरकारी अस्पतालों में मयस्सर नहीं हो पा रही है। जिससे अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को करीब 35 प्रतिशत महंगी दवा खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
जिले के हरेक प्रखंड अस्पताल में खुलनी है प्रधानमंत्री जनौषधि की दुकान
जिले के हरेक प्रखंड अस्पताल यानी 17 अस्पतालों में प्रधानमंत्री जनौषधि की दुकान खुलनी है। इस समय सिर्फ जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा संचालित प्रखंड अस्पताल के तहत लोकनायक जयप्रकाश नारायण (सदर अस्पताल), अनुमंडलीय अस्पताल कहलगांव, अनुमंडलीय अस्पताल नवगछिया समेत जिले के पांच अस्पतालों में ही प्रधानमंत्री जनौषधि योजना की दुकानें (जेनेरिक दवा की दुकान) ही खुल सकी हैं। जबकि 11 (एक रेफरल अस्पताल, आठ सीएचसी व तीन सीएचसी) प्रखंड अस्पतालों में अब तक प्रधानमंत्री जनौषधि के तहत जेनेरिक दवा की दुकान तक नहीं बन सकी है।
अस्पताल परिसर में जमीन चिह्नित, लोग आ ही नहीं रहे दुकान खोलने
इस बाबत जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम मणिभूषण झा बताते हैं कि जिले के हरेक प्रखंड अस्पतालों में जेनेरिक दवा की दुकानें खोलने के लिए जमीन चिह्नित की जा चुकी है। हरेक अस्पताल में 100 वर्ग फीट में पीएम जनौषधि के तहत दवा की दुकानें खुलनी हैं। इस जमीन पर जो भी पीएम जनौषधि की दुकान खोलना चाहेगा, उसे दुकान बनवाने के बाद लाइसेंस व योजना का अधिकृत प्राधिकार हासिल करना होगा। लेकिन लोग इस तरह की दुकान खोलने के लिए आ ही नहीं रहे तो क्या किया जा सकता है।
रोजाना सात हजार मरीजों का इलाज अस्पतालों में
जिले के 17 सरकारी अस्पतालों में रोजाना छह से सात हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। इन अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को कुल लिखी गई दवा के प्रकार में से करीब 35 से 40 प्रतिशत दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है। ऐसे में जनौषधि की दुकान न होने के कारण निजी दवा की दुकानों से जेनेरिक की तुलना में 90 प्रतिशत तक अधिक महंगी दवा खरीदनी पड़ रही है। ऐसे में निजी दवा की दुकानों पर सरकारी अस्पताल के मरीज औसतन नौ लाख रुपये की दवा खरीद रहे हैं। इस मसले पर सिविल सर्जन डॉ. अशोक प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री जनौषधि की दुकान प्रखंड अस्पतालों में खोलने का प्रयास किया जाएगा।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।