बोले मुंगेर : होम्योपैथिक कॉलेज में फिर से शुरू हो पढ़ाई तो लौटेगा गौरव
मुंगेर जिले में होम्योपैथी चिकित्सा का व्यापक प्रभाव है, जहां प्रतिदिन लगभग 4000 मरीज उपचार के लिए आते हैं। हालांकि, शराबबंदी कानून के कारण होम्योपैथिक दवाओं की कीमतों में 200 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई...
मुंगेर जिले में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का व्यापक प्रभाव रहा है। प्रतिदिन लगभग 4000 मरीज होम्योपैथिक चिकित्सकों से इलाज के लिए संपर्क करते हैं। प्रतिदिन लगभग 2.5 लाख रुपये की दवा का कारोबार होता है। जिले में 1500 से अधिक पंजीकृत होम्योपैथ चिकित्सक कार्यरत हैं। इसके बावजूद यह चिकित्सा पद्धति अनेक चुनौतियों से जूझ रही है। होम्योपैथिक चिकित्सकों की स्थिति को लेकर मुंगेर स्थित होम्योपैथिक कॉलेज में चिकित्सकों के साथ संवाद किया गया। उन्होंने अपनी समस्याओं पर खुलकर चर्चा की।
15 सौ से अधिक होम्योपैथिक चिकित्सक हैं जिले के विभिन्न प्रखंडों में
04 हजार मरीज रोज कराते हैं जिले में होम्योपैथिक चिकित्सा से इलाज
02 लाख 50 हजार रुपये का जिले में प्रतिदिन होता है दवा का कारोबार
होम्योपैथी चिकित्सकों ने संवाद के दौरान कहा कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। फिर भी बिहार सरकार की नीतिगत गलतियों के कारण यह प्रणाली हाशिए पर पहुंचती जा रही है। वर्ष 2016 में लागू शराबबंदी कानून के तहत होम्योपैथिक दवाओं को भी अल्कोहल युक्त मानते हुए नियंत्रित किया गया। इस कानून के कारण होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति पर जबरदस्त दुष्प्रभाव पड़ा है। शराब और दवा में फर्क है। होम्योपैथिक दवाओं को शराब की श्रेणी में लाकर कानून में बांधना पूरी तरह से गलत है। जीवन रक्षक होम्योपैथिक दावों को दवा के रूप में ही रहने देना चाहिए।
शराबबंदी कानून का पड़ा जबर्दस्त दुष्प्रभाव :
चिकित्सकों ने बताया कि शराबबंदी कानून के तहत नियंत्रण के कारण दवाओं की कीमत में 200 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई। पहले जहां चिकित्सक 450 एमएल की मात्रा में दवाएं मंगवाते थे, अब वही दवाएं 30 एमएल में आती हैं, जो बेहद महंगी पड़ती हैं। इससे न केवल मरीजों का खर्च बढ़ा है, बल्कि इस चिकित्सा पद्धति में भारतीय खर्च के कारण मरीजों की भी कमी होती जा रही है। ऐसे में, चिकित्सकों की प्रैक्टिस भी प्रभावित हुई है। इस स्थिति में अनेक होम्योपैथ चिकित्सक वैकल्पिक व्यवसाय अपनाने को मजबूर हो गए हैं। 30 मिली की दवा से हम चिकित्सकों एवं हमारे मरीज को इलाज करने तथा इलाज करने में काफी खर्च आता है। जबकि, यह अत्यंत ही सस्ती एवं प्रभावकारी पद्धति है। ऐसे में सरकार को होम्योपैथिक दवाओं को शराबबंदी कानून के नियंत्रण से बाहर करते हुए हमें 450 एमएल की होम्योपैथी दवा रखने का अनुमति देनी चाहिए।
चालू हो मुंगेर के होम्योपैथिक कॉलेज :
उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में बहाल होम्योपैथ डॉक्टरों को अंग्रेजी दवा लिखने के लिए विवश किया जाता है, जिससे न केवल चिकित्सा पद्धति बल्कि चिकित्सक भी अपमानित महसूस करते हैं। यही नहीं राज्य सरकार द्वारा निकाली गई बहाली प्रक्रिया में भी विलंब और उम्र सीमा की विसंगतियां समस्या बनी हुई हैं। उन्होंने बताया कि, मुंगेर में वर्ष 1964 में स्थापित 'दी टेंपल ऑफ हैनीमैन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल' वर्षों से बंद पड़ा है। यह संस्थान मुंगेर की ऐतिहासिक धरोहर रहा है, जिसकी पुनर्स्थापना की आवश्यकता है। सरकार यदि नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए संघर्ष कर सकती है, तो पुराने प्रतिष्ठित संस्थान को पुनः चालू करना और भी आसान है।
फर्जी चिकित्सकों पर कसें नकेल :
उन्होंने संवाद में फर्जी चिकित्सकों की बढ़ती संख्या पर भी अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि, दिनभर दूसरे काम करने वाले और शाम में झोलाछाप डॉक्टर बन जाने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मरीजों को भी ऐसे चिकित्सकों से सावधान रहना चाहिए। संवाद कार्यक्रम में मौजूद चिकित्सकों ने जिले के अन्य होम्योपैथिक चिकित्सकों से भी आग्रह किया कि, वे अपनी ही चिकित्सा पद्धति से इलाज करें और मरीजों को भ्रमित न करें। इन्होंने बिहार सरकार से मांग की है कि वह होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को संरक्षण दे, पुराने कॉलेज को पुनर्जीवित कर सरकारी दर्जा दे और उच्चस्तरीय प्रोफेसरों की नियुक्ति कर आधुनिक पठन-पाठन की व्यवस्था करे। इससे न केवल चिकित्सा व्यवस्था सशक्त होगी, बल्कि मुंगेर की गरिमा भी पुनः स्थापित हो सकेगी।
शिकायत
1. बिहार सरकार की शराबबंदी नीति के तहत होम्योपैथिक दवाओं को अल्कोहल युक्त मानते हुए नियंत्रित कर दिया गया है, जिससे उनकी कीमतों में 200 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई है।
2. पहले 450 एमएल में मिलने वाली दवाएं अब 30 एमएल में आती हैं, जिससे चिकित्सकों और मरीजों दोनों को आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।
3. सरकारी अस्पतालों में कार्यरत होम्योपैथ चिकित्सकों को एलोपैथिक दवाएं लिखने को कहा जाता है, जिससे उनकी चिकित्सा पद्धति का अपमान होता है।
4. मुंगेर स्थित वर्ष- 1964 में स्थापित 'दी टेंपल ऑफ हैनीमैन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल' वर्षों से बंद है, जिससे क्षेत्र की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था बाधित है।
5. झोलाछाप और अपात्र व्यक्ति होम्योपैथ डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज कर रहे हैं, जिससे असली चिकित्सकों की प्रतिष्ठा को नुकसान हो रहा है।
सुझाव
1. होम्योपैथिक दवाओं को शराब की श्रेणी से हटाकर इन्हें सामान्य जीवन रक्षक दवा के रूप में मान्यता दी जाए।
2. चिकित्सकों को पुनः 450 एमएल की दवा रखने और उपयोग करने की अनुमति दी जाए ताकि इलाज सस्ता और सुलभ हो सके।
3. पुराने प्रतिष्ठित कॉलेज को दोबारा चालू कर, उसे सरकारी दर्जा देकर वहां पढ़ाई और चिकित्सा सेवाएं पुनः आरंभ की जाएं।
4. सरकार द्वारा फर्जी और अपात्र चिकित्सकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और जनता को उनसे सावधान रहने के लिए जागरूक किया जाए।
5. सरकारी अस्पतालों में कार्यरत होम्योपैथ डॉक्टरों को उनकी पद्धति में ही काम करने दिया जाए और होम्योपैथिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
सुनें हमारी बात
होम्योपैथी में मरीजों की कमी की वजह से होम्योपैथी चिकित्सक दूसरा व्यवसाय करने को मजबूर हो रहे हैं।
- डॉ माधव प्रसाद सिंह
पहले सभी चिकित्सक 450 एमल में दवा मंगवाते थे, तो सस्ती पड़ती थी, अब 30 एमल में आती है और बहुत ही महंगी पड़ती है।
- डॉ नीरज शर्मा
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को और विकसित करने की जरूरत है। बिहार सरकार से मांग है कि होम्योपैथी कॉलेज में टीचर्स, प्रोफेसर को बहाल कर पढ़ाई की हाईटेक व्यवस्था की जाए।
- डॉ चंदन केसरी
होम्योपैथी चिकित्सकों की डिग्री की जांच होनी चाहिए, क्योंकि कुछ लोग दिन में कुछ और शाम में होम्योपैथी डॉक्टर बन जाते हैं ऐसे फर्जी डॉक्टर से बचना चाहिए।
- डॉ उमेश चंद्रपाल
मुंगेर में गौर बाबू का दिया होम्योपैथिक कॉलेज को सुचारू रूप से चालू करवाया जाए और मुंगेर की गरिमा होम्योपैथी कॉलेज को बचाया जाए।
- विभु मित्रा
होम्योपैथिक दवाएं पुरानी बीमारियों जैसे एलर्जी, गठिया और अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
- डॉ मनीष पाल
होम्योपैथ एक बेहद ही भरोसेमंद और सस्ती चिकित्सा पद्धति है। जो रोगों को जड़ से समाप्त कर देती है।
- डॉ सुबोध कुमार मेहता
शराबबंदी कानून का होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति पर जबरदस्त दुष्प्रभाव पड़ा है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता फिर भी बिहार सरकार की गलत नीति के कारण यह प्रणाली हाशिये पर पहुंचती जा रही है।
- डॉ शंकर शर्मा
होम्योपैथिक दवा को शराब की श्रेणी से हटकर इन्हें सामान्य जीवन रक्षक दवा के रूप में मान्यता दी जाए।
- डॉ फौजिया कासिम
अपात्र व्यक्ति होम्योपैथिक डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज कर रहे हैं जिससे असली चिकित्सकों की प्रतिष्ठा को नुकसान हो रहा है।
- डॉ संध्या कुमारी
पुराने प्रतिष्ठित कॉलेजों को दोबारा चालू कर उसे सरकारी दर्जा देकर वहां पढ़ाई और चिकित्सा सेवाएं फिर से आरंभ की जाएं।
- सुनील मंडल
सरकारी अस्पतालों में कार्यरत होम्योपैथिक डॉक्टर को उनकी पद्धति में ही काम करने दिया जाए और होम्योपैथिक दावा की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- डॉ वसंत कुमार
बिहार सरकार से मांग है कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को संरक्षण दें पुराने कॉलेज को पुनर्जीवित कर सरकारी दर्जा दें।
- बृज किशोर सिंह
होम्योपैथिक दावा को शराब की श्रेणी से हटाकर उन्हें समान जीवन रक्षक दवा के रूप में मान्यता दी जाए।
- अमरेंद्र कुमार
वर्ष 2016 में लागू शराबबंदी कानून के तहत होम्योपैथिक दावों को भी अल्कोहल युक्त मानते हुए नियंत्रित किया गया। इस कानून के कारण होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति पर जबरदस्त असर पड़ा है।
- डॉ रितेश शर्मा
अस्पतालों में होम्योपैथ चिकित्सक की बहाली होनी चाहिए। त्वचा रोगों पर होम्योपैथिक दवा के सकारात्मक प्रभाव होते हैं।
- डॉ निरूपा रोज
बोले जिम्मेदार
शराबबंदी कानून शराब के सेवन को रोकने के उद्देश्य से सरकार द्वारा लाया गया था। इसी के तहत होम्योपैथिक दवा में स्प्रिट, जिसका उपयोग शराब निर्माण में होता है, को इसके के अंतर्गत लाया गया था। लेकिन, इसका दुष्प्रभाव होम्योपैथिक चिकित्सा व्यवस्था पर पड़ रहा है। इस कानून के कारण होम्योपैथिक दवाइयां निश्चित रूप से महंगी हो गई हैं और मरीज के साथ-साथ चिकित्सकों को भी प्रभावित कर रही हैं। चूंकि यह समाज हित में सरकार की नीति है, अतः इस पर तत्काल कुछ नहीं कहा जा सकता है। मैं होम्योपैथी चिकित्सा व्यवस्था पर पड़ने वाले इस दुष्प्रभाव से उत्पन्न समस्या को उचित मंच पर उठाऊंगा। आवश्यकता पड़ी तो विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाऊंगा।
-प्रणव कुमार यादव, विधायक, मुंगेर विधानसभा क्षेत्र
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