मोबाइल के छोटे दुकानदारों को भी ऑनलाइन की तरह सुविधा मिले
भागलपुर में मोबाइल के ऑफलाइन दुकानदार ऑनलाइन बिक्री के कारण संकट में हैं। मोबाइल कंपनियों की नीतियों में असमानता और खास मॉडल केवल ऑनलाइन उपलब्ध कराने से छोटे विक्रेता प्रभावित हो रहे हैं। दुकानदारों...
भागलपुर। निजी और सरकारी क्षेत्र में ऑनलाइन कार्यों की बढ़ती संख्या के चलते मोबाइल की उपयोगिता बढ़ गयी है। सरकार के अधिकांश कार्य भी ऑनलाइन होने लगे हैं। सरकारी योजनाओं की जांच और सत्यापन सहित अन्य कार्य भी ऑनलाइन होने लगे हैं। देश में मोबाइल का एक बड़ा बाजार हो गया है। मोबाइल की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद ऑफलाइन दुकानदारों की स्थिति ठीक नहीं है। इसका मुख्य कारण अधिक मोबाइल की ऑनलाइन बिक्री होना बताया जा रहा है। ऑफलाइन दुकानदारों का कहना है कि मोबाइल की बड़ी कंपनियों को ऑनलाइन और ऑफलाइन बिक्री में अंतर नहीं करना चाहिए। जो सुविधाएं मोबाइल कंपनियां ऑनलाइन विक्रेता को दे रही हैं, वही ऑफलाइन दुकानदारों को भी मिलनी चाहिए। ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर एसोसिएशन ऑफलाइन दुकानदारों का बड़ा संगठन है। ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन भागलपुर शाखा के जिला अध्यक्ष शंकर मिश्रा ने बताया कि छोटे दुकानदार ऑनलाइन नहीं, बल्कि मेनलाइन दुकानदार हैं। मोबाइल की बिक्री की शुरुआत ऑफलाइन दुकानदारों द्वारा की गयी। भले ही वर्तमान में उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है। मोबाइल उद्योग बहुत ही पतले मार्जिन पर काम करता है। ई-कॉमर्स कंपनियां हर स्तर पर एफडीआई नियमों का उल्लंघन कर रही हैं। पिछले दो वर्षों में हजारों दुकानों को बंद करना पड़ा है और हजारों दुकानें बंद होने की कगार पर हैं। मोबाइल उद्योग अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। पूर्व में मोबाइल फोन की एक दुकान में 17-18 लड़के 10-12 ब्रांड्स के मोबाइल बेचते थे। अब मोबाइल फोन रिटेलरों का व्यवसाय 60 प्रतिशत तक गिर चुका है। एफडीआई नीतियों के उल्लंघन की शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई विभाग, मंच या ट्रिब्यूनल नहीं है। ऑफलाइन दुकानदार ई-कॉमर्स के खिलाफ नहीं है, लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियों की गलत नीतियों के कारण नुकसान हो रहा है। मोबाइल का कोई भी नया मॉडल बाजार में आता है तो कंपनियां ऑनलाइन बेचने की अनुमति देती है। ऑफलाइन दुकानदारों तक नया मॉडल नहीं पहुंच पाता है। नया मोबाइल रिटेलर तक अगर पहुंचता भी है, तो उन्हें ऑनलाइन बेचने की अनुमति नहीं होती। यदि पुराना मॉडल बेचने की कोशिश की जाती है तो उच्च कमीशन, अनुचित रिटर्न और रिफंड नीतियों की मांग की जाती है। ऐसी परिस्थितियों में रिटेलर टिक ही नहीं सकते। नीतियों के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए एक निकाय की आवश्यकता है। यदि कोई नीति आती भी है, लेकिन बिना किसी निगरानी समिति या सक्षम समूह के लागू नहीं होती, तो स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाएगा।
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन बिहार के महासचिव मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि भागलपुर जिले में छोटी-बड़ी करीब दो सौ मोबाइल की दुकानें हैं। इन दुकानों में काम करने वाले और उनके परिवार काफी संख्या में जुड़े हुए हैं। ऑफलाइन दुकानदारों ने ही शुरुआत में मोबाइल टेक्नोलॉजी की जानकारी आमलोगों को दी। कुछ कंपनियां खास मोबाइल केवल ऑनलाइन ला रही हैं। इससे ऑफलाइन दुकानदारों को नुकसान हो रहा है। मोबाइल कंपनियों को हर तरह के मोबाइल को ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन भी लाना चाहिए। ऐसे में छोटे दुकानदारों को नुकसान होता है। खास मॉडल की जानकारी मिलने पर ग्राहक दुकानों में आकर मांग करते हैं। कंपनियां खास मॉडल लाने को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार करती हैं। लेकिन ऑफलाइन दुकानों में खास मॉडल का मोबाइल नहीं मिलता है। इससे दुकानदारों की विश्वनीयता कम होती है। इसका असर अन्य मॉडल के मोबाइल की बिक्री पर भी पड़ रहा है। भागलपुर जोनल उपाध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि कई मॉडल के मोबाइल को अगर ऑफलाइन में कंपनी 10 हजार में देती है तो उसी मोबाइल को ऑनलाइन में आठ हजार में बेचा जाता है। कई तरह के कार्ड डिस्काउंट की सुविधा भी ऑनलाइन में दी जाती है। लेकिन अधिकांश मॉडल के मोबाइल में ऑफलाइन दुकानदारों को यह सुविधा नहीं दी जाती है। ऑनलाइन में हर तरह के कार्ड तो ऑफलाइन में कार्ड को सीमित कर दिया जाता है। ऑफलाइन विक्रेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कई बार ऑनलाइन में जांच नहीं होती है। सरकार को नियमित जांच की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी नहीं हो सके। दुकानदार विनय खंडेलवाल ने बताया कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि बड़ी-बड़ी कंपनियों के सामने छोटे दुकानदार टिक सकें। छोटे दुकानदारों के भरोसे ही बाजार है। बड़ी कंपनियां भी छोटे दुकानदारों से चलती हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन में मोबाइल का रेट और मॉडल एक होना चाहिए। ग्राहकों को मोबाइल के मॉडल के बारे में समझाने की जिम्मेदारी छोटे दुकानदार निभाते हैं और उसका लाभ ऑनलाइन कंपनियों को मिल जाता है। छोटे दुकानदारों की दुकानदारी चले, इसके लिए सरकार को गंभीरता से पहल करनी चाहिए।
ऑफलाइन दुकानदारों की बेहतर सेवा के बावजूद ऑनलाइन को प्रथमिकता
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन बिहार के प्रदेश महासचिव कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि भागलपुर में कुल दो सौ मोबाइल विक्रेता एसोसिएशन से जुड़े हैं। प्रत्येक खुदरा दुकानदार के यहां करीब 10 लोगों को रोजगार का अवसर मिलता है। इससे वह परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनलोगों के समक्ष सबसे बड़ी परेशानी और चुनौती का कारण ऑनलाइन बाजार है। तमाम तरह की सुविधा एवं बेहतर सेवा देने के बावजूद लोग ऑनलाइन खरीदारी को अधिक प्राथमिकता देने लगे हैं। ई- कॉमर्स कंपनियों की कुल आमदनी का बड़ा हिस्सा मोबाइल फोन की बिक्री से आता है। एक मोबाइल स्टोर में 17-18 कर्मचारी काम करते थे, जो 10-12 ब्रांड्स के उत्पाद बेचते थे, जबकि आज खुदरा व्यापार 60 प्रतिशत तक गिर चुका है।
मोबाइल कंपनी की दोहरी नीति के कारण खुदरा विक्रेताओं को परेशानी
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन भागलपुर के जिलाध्यक्ष शंकर कुमार मिश्रा ने बताया कि ऑनलाइन के कारण ऑफलाइन दुकानदारों के यहां कई बार उपभोक्ताओं को समय पर और सही प्रोडक्ट नहीं मिल पाता है। इसके कारण मोबाइल रिटेलर्स और ग्राहकों को नुकसान होता है। ऑनलाइन और ऑफलाइन में मोबाइल की कीमत में अंतर होता है। इसके कारण खुदरा कारोबारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहले उनकी दुकानों में अलग-अलग ब्रांड के मोबाइल की खरीदारी के लिए भीड़ जुटती थी। लेकिन अब खरीदारों की कमी देखी जा सकती है। इसके पीछे का मुख्य कारण मोबाइल निर्माता कंपनी की दोहरी नीति है। इसमें ऑनलाइन एवं ऑफलाइन बाजार की कीमत के बीच समानता का नहीं होना है।
समान मॉडल, समान कीमत और समान ऑफर की नीति से राहत
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन भागलपुर के जिला सचिव विकास राय ने बताया कि किसी भी मोबाइल रिटेलर्स की परेशानी ऑनलाइन मार्केट से नहीं, बल्कि कंपनी की दोहरी नीतियों के कारण है। इसका खामियाजा खुदरा मोबाइल विक्रेताओं को ग्राहकों की घटती संख्या के रूप में भुगतना पड़ता है। सरकार द्वारा ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए, जिससे मोबाइल कंपनियां समान कीमत पर समान मॉडल एक साथ ही खुदरा विक्रेताओं को भी उपलब्ध करा सके। इससे ऑफलाइन दुकानदारों को बड़ी राहत मिलेगी। अलग -अलग कीमत के कारण कई बार ग्राहक दुकान पर मोबाइल देखने के बाद ऑनलाइन सर्च करते हैं। जहां वही मॉडल कम कीमत पर उपलब्ध होता है। कमाई नहीं होने की वजह से परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।
कुछ खास मॉडल के मोबाइल केवल ऑनलाइन
ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन भागलपुर जोन के उपाध्यक्ष अनिल कुमार बाजोरिया ने बताया कि कुछ कंपनियां खास मॉडल के मोबाइल केवल ऑनलाइन ही लांच करती हैं। इससे मोबाइल रिटेलर्स को काफी नुकसान होता है। ऑनलाइन देखने के बाद ग्राहक जब उनकी दुकानों पर खरीदारी के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें वह मोबाइल उपलब्ध नहीं मिलता है, जिससे ग्राहकों की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। जब भी कोई नया मोबाइल कंपनी बाजार में उतारती है, तो समान कीमत पर उसे ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन भी उपलब्ध कराना चाहिए। ई-कॉमर्स के बढ़ते दबदबा के साथ फर्जी वेबसाइटों, नकली कॉल्स, ऑनलाइन फ्रॉड और डेटा लीक जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं।
मोबाइल के छोटे दुकानदार बड़ी-बड़ी कंपनियों के सामने बाजार में नहीं टिक पाते हैं। जबकि बाजार छोटे दुकानदारों से ही चलता है। सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिससे कंपनियों द्वारा एक मॉडल और कंपनी के मोबाइल की कीमत समान हो।
विनय कुमार, मोबाइल विक्रेता, नाथनगर
ऑफलाइन मोबाइल विक्रेताओं को नए मॉडल का मोबाइल उपलब्ध नहीं कराया जाता है। निर्माता ई-कॉमर्स कंपनियों के पसंदीदा विक्रेताओं के साथ विशेष करार कर लेते हैं। यदि कोई नया उत्पाद रिटेलर तक पहुंचता भी है, तो उसे ऑनलाइन बेचने की अनुमति नहीं दी जाती।
राहुल कुमार डोकानियां, मोबाइल विक्रेता
दुकानदार अपनी परेशानियों के बारे में सरकार और कम्पनी के प्रतिनिधियों को बताकर थक चुके हैं। लेकिन कोई दुकानदारों की समस्याओं का समाधान नहीं कर रहा है। छोटे दुकानदार टैक्स जमा करते हैं। लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिल रहा है।
संदीप डोकानिया, मोबाइल विक्रेता
मोबाइल विक्रेता केन्द्र सरकार के लोकल फॉर वोकल विजन को सफल बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। इससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता है। लेकिन बहुत सारी ऐसी कंपनियां हैं जिनकी नीतियों के कारण मोबाइल रिटेलर्स की छवि आमलोगों की नजर में धूमिल हो रही है।
विनोद कुमार साह, मोबाइल विक्रेता
मोबाइल तैयार करने वाली कंपनी सभी मॉडल के उत्पादों को अगर हर तरह के ऑफर के साथ दुकानों में उपलब्ध करा दे तो देशभर के बाजारों में खुदरा विक्रेताओं को बड़ी राहत मिलेगी। फिलहाल खुदरा विक्रेताओं को कई ब्रांड के मोबाइल कंपनी द्वारा सही समय उपलब्ध नहीं कराया जाता है।
मयंक कुमार मिंकु, उपाध्यक्ष, ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन भागलपुर जोन
कोई भी अधिकृत विक्रेता अपने ग्राहकों से धोखा नहीं कर सकता है। उनकी विश्वसनीयता बाजार से जुड़ी होती है। गलत सामान बेचने पर साख पूरे बाजार में धूमिल हो सकती है। ऑनलाइन शॉपिंग साइट के माध्यम से खरीदारी करने पर धोखे की संभावना बनी रहती है।
राकेश सिंह, मोबाइल विक्रेता
बाजार में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ता जा रहा है। दुकानदार को बाजार में खुद को स्थापित रखने के लिए क्वालिटी और क्वांटिटी के साथ मोबाइल की उचित कीमत का ध्यान रखना जरूरी है। कुछ बड़ी कंपनियों द्वारा डिजिटलाइजेशन के नाम पर खुदरा व्यवसायियों के हितों को दरकिनार किया जा रहा है।
रमन राय, मोबाइल विक्रेता
सरकार ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे खुदरा व्यवसायियों का रोजगार भी निर्बाध रूप से चलता रहे। इससे उपभोक्ताओं के लिए अपने पसंद की मोबाइल या अन्य वस्तुओं की खरीदारी करने का विकल्प खुला रहेगा। सरकार को ऑफलाइन दुकानदारों के हित में निर्णय लेना चाहिए।
अमित कुमार, मोबाइल विक्रेता, तिलकामांझी
एक ऑफलाइन दुकान चलाने वाले दुकानदार को मेंटेनेंस खर्च के साथ कर्मियों का वेतन, बिजली बिल और दुकान का किराया भी प्रत्येक माह भुगतान करना पड़ता है। सरकार द्वारा छोटे मोबाइल के दुकानदारों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं होने के कारण नुकसान बढ़ता जा रहा है
मनीष कुमार, मोबाइल विक्रेता
ई-कॉमर्स के बढ़ते दबदबा के साथ फर्जी वेबसाइटों, नकली कॉल्स, ऑनलाइन फ्रॉड और डेटा लीक जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। ग्राहक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से ठगे जा रहे हैं और इसका नियंत्रण बहुत कठिन हो गया है। इसके उलट, स्थानीय रिटेलर से खरीदारी करने पर ग्राहक को विश्वास, सुविधा और त्वरित सेवा मिलती है।
गौतम कुमार, मोबाइल विक्रेता
खुदरा विक्रेताओं के पास एफडीआई नीतियों के उल्लंघन की शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई प्रभावी मंच, विभाग या ट्रिब्यूनल नहीं है। इन कंपनियों द्वारा अपनाई जा रही व्यापारिक नीतियों के कारण समस्त रिटेल उद्योग प्रभावित हो रहा है।
विकास कुमार, मोबाइल विक्रेता
मोबाइल कंपनियों को ग्राहकों के साथ खुदरा विक्रेताओं के व्यापार और सुविधाओं का ध्यान रखना होगा, जिससे व्यापार के साथ बाजार में इनकी साख भी बनी रहे। ऐसा करने से कंपनी, विक्रेताओं और उपभोक्ताओं तीनों को उचित लाभ और सुविधा मिल सकेगी।
मैक्सी सागर, मोबाइल विक्रेता
समस्या
1.पिछले दो वर्षों में देशभर में हजारों मोबाइल की खुदरा दुकानों को बंद करना पड़ा है, जबकि हजारों दुकानों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।
2.बिहार में 10 हजार से अधिक मोबाइल व्यापारियों का व्यापार संकट में होने से सरकार को भी राजस्व की क्षति हो रही है, साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ रही हैं।
3.बाजार की मंदी और कंपनियों की दोहरी नीति के कारण दुकानदार मानसिक तनाव में आ जाते हैं। इससे परिवार के भरण-पोषण में परेशानी होती है।
4.मोबाइल कंपनियां खास मॉडल के मोबाइल को केवल ऑनलाइन बेचती है। ऑफलाइन दुकानदारों को यह सुविधा नहीं दी जाती है। इससे ऑफलाइन दुकानदारों को नुकसान होता है
5.खुदरा विक्रेताओं के पास एफडीआई नीतियों के उल्लंघन की शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई प्रभावी मंच, विभाग या ट्रिब्यूनल नहीं है।
सुझाव
1.सरकार मोबाइल कंपनियों के लिए समान अवसर और समान अधिकार की नीति सुनिश्चित करे, जिससे ऑनलाइन और ऑफलाइन दुकानदारों को समान अवसर मिले।
2.राज्य स्तर पर एक मोबाइल व्यापार सुरक्षा बोर्ड का गठन हो, जो व्यापारियों की समस्याओं का समाधान कर सके। रिटेलर्स के माध्यम से सरकार को राजस्व प्राप्त होता हैl
3.छोटे दुकानदारों को राहत देने के लिए वित्तीय सहायता और नीतिगत समर्थन प्रदान किया जाए। जिससे खुदरा मोबाइल विक्रेताओं को व्यवसाय में राहत मिले।
4.एफडीआई नियमों के उल्लंघन की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन हो, ताकि कंपनियों की मनमानी पर रोक लग सके।
5.सभी मोबाइल उत्पादों की उपलब्धता, मूल्य, ऑफर और फीचर्स ऑनलाइन और ऑफलाइन में एक समान होना चाहिए। इससे रिटेलर्स और ग्राहकों को लाभ होगा।
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