बोले पूर्णिया : आपदा मित्रों और सखियों का करें समायोजन, मिले वेतनमान
पूर्णिया जिला प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित है और यहां 500 प्रशिक्षित आपदा मित्र और सखियां हैं। इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन उन्हें स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम वेतन की गारंटी चाहिए।...
पूर्णिया जिला आपदा को लेकर संवेदनशील है। हर वर्ष बाढ़, सुखाड़, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाएं प्रभावित करती हैं। ऐसे में प्रशिक्षित आपदा मित्रों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। ये आपदा मित्र बचाव कार्य, राहत वितरण, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने और आपदा के बाद पुनर्वास में सहायता करने जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। छठ महापर्व के दौरान इन आपदा मित्रों की तैनाती के सकारात्मक परिणाम सामने आए थे। कहीं भी भगदड़, डूबने या अन्य अप्रिय घटनाओं की खबर नहीं आई थी। यह इन प्रशिक्षित कर्मियों की मुस्तैदी और तत्परता का ही परिणाम था। पूर्णिया जिला में 500 आपदा मित्र और सखी हैं।
आपदा मित्र की संख्या 452 तो सखी की संख्या 48 है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान जिले के आपदा मित्रों और सखियों ने अपनी परेशानी बताई। 05 सौ आपदा मित्र और सखी हैं पूर्णिया जिले में 04 सौ 52 है पूर्णिया जिला में आपदा मित्रों की संख्या 14 प्रखंड़ों में आपदा सखी की संख्या 48 है जिले में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आपदा प्रबंधन की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए अब तक प्रदेशभर में 9600 आपदा मित्रों, सखियों एवं सिविल डिफेंस कर्मियों को प्रशिक्षण दिया है। इन प्रशिक्षित आपदा मित्रों का मकसद राज्य में प्राकृतिक व मानवजनित आपदाओं के दौरान त्वरित राहत एवं बचाव कार्य को प्रभावी बनाना है। आपदा प्रबंधन के लिए एक मजबूत मानव संसाधन तैयार करने के आपदा मित्रों, सखियों और सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया गया था। इन प्रशिक्षित युवाओं ने 2023 के छठ महापर्व में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब पूरे प्रदेश के घाटों पर उनकी तैनाती के चलते किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं घटी थी। विडंबना यह रही कि वर्ष 2024 में इन आपदा मित्रों और सखियों की सेवाएं नहीं ली गईं, जिसके परिणामस्वरूप पूरे बिहार में विभिन्न आपदाओं और घटनाओं के दौरान 72 लोगों की जान चली गई। इस त्रासदी के बाद राज्य सरकार को पीड़ित परिवारों को राहत के तौर पर कुल 2 करोड़ 88 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ा। वेतनमान की मिले गारंटी : अब राष्ट्रीय आपदा मित्र संगठन के बैनर तले बिहार के आपदा मित्रों और सखियों ने सरकार से अपनी मांगों को शीघ्र पूरा करने का आह्वान किया है। संगठन ने सरकार से आग्रह किया है कि आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षित इन कर्मियों को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए ताकि प्रदेश में आपदा प्रबंधन व्यवस्था को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाया जा सके। वही राज्यभर के आपदा मित्रों और सखियों ने अब अपनी मांगों को लेकर आंदोलन का रास्ता चुना है। राष्ट्रीय आपदा मित्र संगठन के बैनर तले एक राज्यव्यापी विरोध कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान अपनी प्रमुख मांगों की ओर आकर्षित किया जा रहा है। आपदा मित्र संगठन ने सरकार से मांग की है कि आपदा प्रबंधन में जुटे कर्मियों को न्यूनतम 26,910 रुपये प्रतिमाह वेतनमान की गारंटी दी जाए। संगठन का कहना है कि ये कर्मी आपातकालीन स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और जान जोखिम में डालकर राहत एवं बचाव कार्य करते हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें उचित वेतन नहीं मिल रहा है। संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि आपदा मित्रों, सखियों और सिविल डिफेंस कर्मियों को प्रशिक्षित किए जाने के बावजूद उन्हें स्थायित्व या उचित पारिश्रमिक नहीं दिया गया है, जिससे उनका मनोबल कमजोर हो रहा है। न्यूनतम वेतनमान की गारंटी न केवल उनके जीवनस्तर को बेहतर बनाएगी, बल्कि आपदा प्रबंधन की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगी। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि ये कर्मी बिना आर्थिक चिंता के बेहतर कार्य कर सकें। बीमा राशि को बढ़ाकर 20 लाख करने की मांग : संगठन ने चेताया है कि अगर उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन की राह भी अपनाएगी। आपदा मित्रों ने राज्य सरकार द्वारा घोषित वर्तमान 5 लाख रुपये की बीमा राशि को अपर्याप्त बताते हुए इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की मांग की है। उनका कहना है कि आपदा जैसी विषम परिस्थितियों में जान जोखिम में डालकर राहत व बचाव कार्य करने वाले कर्मियों को समुचित सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए। आपदा मित्र संगठन ने सरकार से आग्रह किया है कि आपदा मित्रों, सखियों और सिविल डिफेंस कर्मियों को औपचारिक रूप से सरकारी आपदा कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। संगठन का कहना है कि ये कर्मी पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं और हर आपदा की घड़ी में जान जोखिम में डालकर सेवा करते हैं, लेकिन अब तक इन्हें अस्थायी रूप में रखा गया है। 'आपदा मित्र' और 'सखियों' को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ देने की मांग तेज हो गई है। संबंधित संगठन ने सरकार से अपील की है कि इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा, कर्मचारी राज्य बीमा योजना ,भविष्य निधि और सेवानिवृत्ति जैसी बुनियादी सुविधाएं तत्काल प्रदान की जाएं। राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत आपदा कार्यालयों में अब आपदा मित्रों और सखियों की बहाली की मांग जोर पकड़ रही है। संगठन ने सरकार से अपील की है कि कार्यालयों के सुचारु संचालन के लिए इन प्रशिक्षित व्यक्तियों की जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए। आपदा मित्र और सखियां आपदा के समय स्थानीय स्तर पर राहत और बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं। इनकी बहाली से राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र को और अधिक सशक्त किया जा सकेगा। आपदा मित्रों ने समायोजन की मांग की : केंद्र सरकार की एकीकृत योजना के तहत प्रशिक्षित आपदा मित्रों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाई है। उनका कहना है कि जब उन्हें केंद्र सरकार की एक समान योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, तो उनके कार्य और वेतन का निर्धारण भी उसी योजना के अनुरूप किया जाना चाहिए। आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाले ये आपदा मित्र विभिन्न आपात स्थितियों में राहत और बचाव कार्यों में लगे रहते हैं। इनका दावा है कि उनके द्वारा किए गए कार्यों का महत्व किसी भी सरकारी आपदा प्रबंधन कर्मी से कम नहीं है, इसलिए उन्हें समान अधिकार और सुविधाएं मिलनी चाहिए। आपदा मित्रों ने सरकार से मांग की है कि उनकी सेवाओं को स्थायी रूप से मान्यता दी जाए और उन्हें उचित मानदेय, बीमा व सामाजिक सुरक्षा लाभ भी प्रदान किए जाएं। यह मांग न सिर्फ उनके अधिकारों की बात करती है, बल्कि भविष्य की आपदा तैयारियों को भी सशक्त बना सकती है। बकाया भुगतान नहीं होने पर संगठन ने जताया रोष : आपदा प्रबंधन कार्यों में लगे आपदा मित्रों का अब तक का बकाया भुगतान न होने पर संबंधित संगठन ने कड़ा एतराज जताया है। संगठन का कहना है कि आपदा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सेवा देने वाले इन कर्मियों को समय पर भुगतान न करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे उनके मनोबल पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। संगठन ने प्रशासन से मांग की है कि आपदा मित्रों द्वारा किए गए सभी कार्यों का शीघ्र मूल्यांकन कर लंबित भुगतान तत्काल जारी किया जाए। उनका कहना है कि आपदा मित्र जान जोखिम में डालकर राहत कार्यों में जुटते हैं, ऐसे में उनके साथ आर्थिक अनदेखी अनुचित है। इस मुद्दे पर कर्मियों में भी व्यापक असंतोष व्याप्त है। कई आपदा मित्रों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र भुगतान नहीं किया गया तो वे आगामी राहत कार्यों में भागीदारी पर पुनर्विचार कर सकते हैं। 'सुरक्षित शनिवार' कार्यक्रम के तहत भुगतान में हो सुधार : 'सुरक्षित शनिवार' कार्यक्रम के तहत कार्यरत कर्मचारियों ने अब '' समान कार्य के लिए समान वेतन ''सिद्धांत को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है। कर्मचारियों का कहना है कि इस अभियान के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों की प्रकृति अन्य नियमित कार्यों से मेल खाती है, इसलिए उन्हें भी समान वेतन मिलना चाहिए। इस अभियान का उद्देश्य कार्यस्थलों पर सुरक्षा मानकों को सुधारना है, जिसके लिए विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। हालांकि, इन कर्मचारियों को उनके कार्य के अनुसार उचित भुगतान नहीं मिल रहा है, जिससे असंतोष बढ़ता जा रहा है। कर्मचारियों ने संबंधित विभागों से मांग की है कि 'सुरक्षित शनिवार' के तहत किए गए कार्यों के लिए भी उन्हें उतना ही वेतन दिया जाए जितना समान प्रकृति के अन्य कार्यों के लिए दिया जाता है। यह मांग संविधान में निहित समानता के अधिकार के अनुरूप है। शिकायत 1. सरकारी आपदा मित्रों और सखियों से काम लेती है लेकिन स्थायी नहीं किया गया है। 2. न्यूनतम वेतनमान की गारंटी नहीं मिलने से परेशानी होती है। 3. बीमा राशि में वृद्धि नहीं किये जाने से असुरक्षा की भावना रहती है। 4. सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की सुविधा नहीं मिलने से दिक्कत है। 5. एकीकृत योजना के तहत आपदा मित्रों, सखियों समायोजन नहीं करना परेशानी का सबब है। सुझाव : 1. सरकारी को चाहिए कि आपदा मित्र को आपदा कर्मचारी घोषित करें। 2. आपदा मित्रों को सरकार न्यूनतम वेतनमान की दें गारंटी। 3. आपदा मित्रों के बीमा राशि में वृद्धि करने पर सरकार को विचार करना चाहिए। 4. आपदा मित्रों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में सुविधा दी जानी चाहिए। 5. सरकार एकीकृत योजना के तहत आपदा मित्रों, सखियों का समायोजन करे। हमारी भी सुनिए आपदा मित्रों, सखियों और सिविल डिफेंस कर्मियों को औपचारिक रूप से सरकारी आपदा कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। आपदा मित्र, सखियां पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं और हर आपदा की घड़ी में जान जोखिम में डालकर सेवा करते हैं। - प्रमोद कुमार कर्ण, जिला सचिव सरकार से शीघ्र निर्णय लेने की अपील करते हैं कि आपदा मित्र व सखियों की भूमिका को देखते हुए उन्हें सम्मान और स्थायित्व मिलना चाहिए। संगठन का मानना है कि इससे न सिर्फ आपदा प्रबंधन मजबूत होगा, बल्कि इन कर्मियों में उत्साह और समर्पण की भावना भी बनी रहेगी। -धीरज कुमार, जिलाध्यक्ष आपदा प्रबंधन में जुटे कर्मियों को न्यूनतम 26,910 रुपये प्रतिमाह वेतनमान की गारंटी दी जाए। आपातकालीन स्थितियों में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और जान जोखिम में डालकर राहत एवं बचाव कार्य करते हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें उचित वेतन नहीं मिल रहा है। -हर्ष प्रिय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आपदा मित्रों, सखियों और सिविल डिफेंस कर्मियों को प्रशिक्षित किए जाने के बावजूद उन्हें स्थायित्व या उचित पारिश्रमिक नहीं दिया गया है, जिससे उनका मनोबल कमजोर हो रहा है। न्यूनतम वेतनमान की गारंटी, आपदा प्रबंधन की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगी। -जितेन्द्र कुमार साह राज्य सरकार द्वारा घोषित वर्तमान 5 लाख रुपये की बीमा राशि अपर्याप्त है। इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाना चाहिए। आपदा जैसी विषम परिस्थितियों में जान जोखिम में डालकर राहत व बचाव कार्य करने वाले कर्मियों को समुचित सुरक्षा और सम्मान मिलना चाहिए। -संजीव कुमार मंडल केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि ये कर्मी बिना आर्थिक चिंता के बेहतर कार्य कर सकें। अगर उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन की राह भी अपनाएंगे । -मुकेश कुमार सरकार से आग्रह करते है कि आपदा मित्रों, सखियों और सिविल डिफेंस कर्मियों को औपचारिक रूप से सरकारी आपदा कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। हम पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं और हर आपदा की घड़ी में जान जोखिम में डालकर सेवा करते रहे हैं। -रवि कुमार 'सुरक्षित शनिवार' के तहत किए गए कार्यों के लिए भी उन्हें उतना ही वेतन दिया जाए जितना समान प्रकृति के अन्य कार्यों के लिए दिया जाता है। यह मांग संविधान में निहित समानता के अधिकार के अनुरूप है। -सोनू कुमार जैसे-जैसे प्राकृतिक आपदाओं की गंभीरता और आवृत्ति बढ़ रही है, वैसे-वैसे इन फ्रंटलाइन वर्कर्स की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में बीमा राशि का वर्तमान आंकड़ा उनके कार्य की गंभीरता को नहीं दर्शाता। -चंदन कुमार सरकार से अपील करते है कि आपदा मित्रों, सखियों को स्वास्थ्य बीमा, कर्मचारी राज्य बीमा योजना ,भविष्य निधि और सेवानिवृत्ति जैसी बुनियादी सुविधाएं तत्काल प्रदान की जाएं। संगठन का कहना है कि आपदा की घड़ी में लोगों की जान बचाने वाले ये कार्यकर्ता आज स्वयं आर्थिक असुरक्षा से जूझ रहे हैं। -संगीता कुमारी स्थायित्व और सरकारी मान्यता नहीं दी गई, तो भविष्य में किसी बड़ी आपदा के दौरान प्रभावी कार्य कर पाना कठिन होगा। सरकार इस पर शीघ्र निर्णय लें कि इन कर्मियों की भूमिका को देखते हुए उन्हें सम्मान और स्थायित्व मिलना चाहिए। -लक्ष्मी कुमारी सरकार जरूरतमंद कार्यकर्ताओं को उचित सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराए, तो न केवल उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी बल्कि समाज में आपदा प्रबंधन की नींव भी और मजबूत होगी। -निभा कुमारी आपदा प्रबंधन में जुटे कर्मियों को न्यूनतम 26,910 रुपये प्रतिमाह वेतनमान की गारंटी दी जाए। ये कर्मी आपातकालीन स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और जान जोखिम में डालकर राहत एवं बचाव कार्य करते हैं। -अनुराधा कुमारी आपदा मित्रों, सखियों और सिविल डिफेंस कर्मियों को प्रशिक्षित किए जाने के बावजूद उन्हें स्थायित्व या उचित पारिश्रमिक नहीं दिया गया है, जिससे उनका मनोबल कमजोर हो रहा है। -संजीव कुमार न्यूनतम वेतनमान की गारंटी न केवल जीवनस्तर को बेहतर बनाएगी, बल्कि आपदा प्रबंधन की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगी। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि आपदा मित्रों, सखियों बिना आर्थिक चिंता के बेहतर कार्य कर सकें। - सन्नी कुमार सरकार से अपील की है कि इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा, कर्मचारी राज्य बीमा योजना ,भविष्य निधि और सेवानिवृत्ति जैसी बुनियादी सुविधाएं तत्काल प्रदान की जाएं। -पवन कुमार यदि सरकार जरूरतमंद कार्यकर्ताओं को उचित सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराए, तो न केवल उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी बल्कि समाज में आपदा प्रबंधन की नींव भी और मजबूत होगी। -सुनील कुमार सरकार से अपील करते है कि कार्यालयों के सुचारु संचालन के लिए प्रशिक्षित व्यक्तियों की जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए। आपदा मित्र और सखियां आपदा के समय स्थानीय स्तर पर राहत और बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं। -राहुल कुमार आपदा कार्यालयों में आपदा मित्र व सखियों की मौजूदगी से न केवल संकट के समय तेजी से प्रतिक्रिया दी जा सकेगी, बल्कि आम जनता को भी समय रहते आवश्यक सहायता मिल सकेगी । -मो. परवेज साह जब उन्हें केंद्र सरकार की एक समान योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, तो उनके कार्य और वेतन का निर्धारण भी उसी योजना के अनुरूप किया जाना चाहिए। -निक्को कुमार सरकार से मांग की है कि आपदा मित्र व सखियों की सेवाओं को स्थायी रूप से मान्यता दी जाए और उन्हें उचित मानदेय, बीमा व सामाजिक सुरक्षा लाभ भी प्रदान किया जाएं। यह मांग न सिर्फ उनके अधिकारों की बात करती है, बल्कि भविष्य की आपदा तैयारियों को भी सशक्त बना सकती है। -विपिन कुमार आपदा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सेवा देने वाले इन कर्मियों को समय पर भुगतान न करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इससे उनके मनोबल पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। -सूरज कुमार बोले जिम्मेदार आपदा के समय में आपदा मित्र एवं सखियों की सराहनीय भूमिका रहती है। विभिन्न मौकों पर उन्होंने अपनी उपयोगिता साबित की है। छठ के पावन अवसर पर उनकी तत्परता से लोगों को सुरक्षा मिलती है। उनके सभी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का काम करूंगा। मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि आपदा मित्रों और सखियों को सभी प्रकार की सहूलियत मिले। -विजय कुमार खेमका, पूर्णिया सदर विधायक
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