शहीद प्रफुल्ल चंद्र चाकी का बलिदान दिवस मना
मुजफ्फरपुर में धर्मरक्षा अभियान समिति ने शहीद प्रफुल्ल चंद्र चाकी के 117वें बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। समिति के अध्यक्ष सोहन प्रसाद की अध्यक्षता में, सदस्यों ने चाकी की तस्वीर पर...

मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। धर्मरक्षा अभियान समिति की ओर से गुरुवार को स्टेशन रोड स्थित समिति कार्यालय में शहीद खुदीराम बोस के अनन्य सहयोगी प्रफुल्ल चंद्र चाकी के 117वें बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष सोहन प्रसाद ने की। समिति के सदस्यों ने शहीद चाकी की तस्वीर पर पुष्प, फूल माला अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। सभा का संचालन करते हुए संयोजक अजय कुमार ने कहा कि प्रफुल्ल चंद्र चाकी का जन्म उत्तरी बंगाल के बोराश जिला वर्तमान में बांग्लादेश में हुआ था। उनके जीवन पर स्वामी विवकानंद के साहित्य और क्रांतिकारी विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा था।
सन् 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन कर दिया, जिसके चलते संपूर्ण बंगाल के साथ-साथ देशभर में इसकी व्यापक प्रतिक्रिया हुई। प्रफुल्ल चाकी इस आंदोलन का हिस्सा बन गए। फिर वह युगांतर दल के सदस्य बनकर देश की क्रांति में भाग लेने लगे। मुजफ्फरपुर के जज किंगस फोर्ड को मारने की योजना बनी तो वे खुदीराम बोस के साथ मिलकर मुजफ्फरपुर में जज की बग्घी पर 30 अप्रैल 1908 को बम फेंका। इस बम धमाके की आवाज पूरे देश में गूंजी। बम फेंकने के बाद चाकी भाग निकले, लेकिन मोकामा में ब्रिटिश पुलिस से घिरने के बाद 1 मई 1908 को अपने को गोली मारकर शहीद कर लिया। मौके पर डॉ. विमल, गणेश प्रसाद, रोहित कुमार गुड्डू, मो. इस्लाम, अशोक भारती, डॉ. हरिकिशोर प्रसाद सिंह, दीनबंधु आजाद, प्रमोद, आशा सिन्हा, कुमार साहू आदि थे।
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