Purnia s Interior Decoration Industry Thrives Amid Rapid Urban Development बोले पूर्णिया : ऊंचे भवनों में पुताई का प्रशिक्षण मिले, सुरक्षा की भी रहे व्यवस्था, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले पूर्णिया : ऊंचे भवनों में पुताई का प्रशिक्षण मिले, सुरक्षा की भी रहे व्यवस्था

पूर्णिया शहर तेजी से विकास कर रहा है, जहाँ इंटीरियर डेकोरेटर का काम बढ़ रहा है। 4000 से अधिक लोग इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अच्छी मजदूरी और सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 12 May 2025 11:18 PM
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बोले पूर्णिया : ऊंचे भवनों में पुताई का प्रशिक्षण मिले, सुरक्षा की भी रहे व्यवस्था

पूर्णिया शहर तेजी से विकास कर रहा है। बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं और बड़े-बड़े रेजिडेंशियल होटल तथा विवाह भवन बनने लगे हैं। ऐसे भवनों में बड़ी संख्या में इंटीरियर डेकोरेटर काम कर रहे हैं। हाल के दिनों में इंटीरियर डेकोरेटर से अपने-अपने घरों को सजा कर शीश महल का दर्जा देने के लिए पूर्णिया शहर के लोग काफी बेताब हैं और ऐसी स्थिति में इंटीरियर डेकोरेटर के क्षेत्र में काम करने वाले बड़े छोटे सभी कारीगरों, श्रमिकों एवं टेक्निशियनों का काम बढ़ गया है। अब तो सरकारी दफ्तर के अलावा सभाकक्ष को भी मार्डन बनाया जा रहा है। यही नहीं कई होटल और मॉल की सुंदरता देखते ही एक क्षण लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं। इसी कारण बड़ी संख्या में इस क्षेत्र में श्रमिकों ने अपने कदम रखे हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या 4000 से अधिक बताई जा रही है। कल तक यह काम भवन निर्माण मिस्त्री ही पूरा कर देते थे लेकिन अब सजावट की इस विधा ने अलग राह पकड़ ली है। बोले पूर्णिया के मंच पर इंटीरियर डेकोरेटर ने अपनी परेशानी भी बताई।

04 हजार से अधिक लोग हैं इंटीरियर डेकोरेशन के क्षेत्र में

10 से अधिक संस्थाएं काम कर रही इस क्षेत्र में

20 श्रेणी के कामगारों में से एक हैं इंटीरियर डेकोरेटर

शहरी क्षेत्र में अपने-अपने घरों की रंगाई-पुताई इंटीरियर डेकोरेटर से करवाना अब हर किसी का सपना है और ऐसे में डेकोरेशन के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है लेकिन उनकी समस्याएं भी कम नहीं है। रंगाई-पुताई के क्षेत्र में अधिकांश श्रमिकों ने कहा कि एक तरफ उन्हें महानगरी की तरह मजदूरी नहीं मिलती तो जीवन यापन की अच्छी सुविधा नहीं। इस क्षेत्र के अधिकांश श्रमिक गरीब और साधारण परिवार से हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए विशेष सुविधा नहीं तो रहने के लिए आवास योजना का लाभ नहीं मिला है। इस क्षेत्र के श्रमिकों के लिए पंजीयन के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यह काम खतरों से भरा पड़ा है।

अपार्टमेंट प्रथा ने बढ़ाया काम :

पूर्णिया में 60000 से अधिक परिवार बस रहे हैं जिनके पास पक्का मकान है इनमें से 30000 से अधिक लोगों ने इंटीरियर डेकोरेशन करने वालों के माध्यम से अपने-अपने घरों का आंतरिक सज्जा करवाया है और अब एक दूसरे की देखा देखी अन्य लोग भी अपने-अपने घरों का इंटीरियर डिजाइनिंग करवाने लगे हैं। इंटीरियर डेकोरेशन एक प्रकार का फैशन हो गया है जो गांव की तरफ भी तेजी से फैल रहा है। बड़े-बड़े निजी संस्थाओं और विद्यालयों के कार्यालय तथा होटल एवं मॉल भी इंटीरियर डेकोरेटर से सजाए जाने लगे हैं। पूर्णिया में बड़ी तेजी से अपार्टमेंट की प्रथा भी डेवलप हुई है। ऐसी जगह का इंटीरियर डेकोरेशन करवाने का काम भी तेजी से चल रहा है। इंटीरियर डेकोरेटर का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है कि अब कोई भी व्यक्ति यदि किसी के घर जाते हैं तो उसका इंटीरियर देखते हैं। हालांकि पूर्णिया में अभी भी विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त इंटीरियर डेकोरेटर कम है। इंटीरियर डेकोरेशन के क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक भी अपनी दक्षता के लिए प्रशिक्षण की मांग कर रहे हैं।

क्या है इंटीरियर डेकोरेटर का काम:

इंटीरियर डेकोरेटर एक पेशेवर होता है जो घर, कार्यालय, या किसी भी अन्य भवन के अंदरूनी हिस्से को सुंदर और कार्यात्मक बनाने के लिए डिज़ाइन और सजावट का काम करता है। उनका मुख्य उद्देश्य स्थान को आकर्षक और उपयोगी बनाना होता है। इनके काम में स्थान का विश्लेषण करना और ग्राहक की आवश्यकताओं को समझना और डिज़ाइन योजना बनाना और ग्राहक को प्रस्तुत करना। इसके साथ ही रंग योजना, फर्नीचर, और सजावटी वस्तुओं का चयन करना, स्थान को सुंदर और कार्यात्मक बनाने के लिए आवश्यक बदलाव करना आदि शामिल है।

कहां और कैसे होता है इनका पंजीयन:

एक सरकारी पोर्टल है जो राज्य के निर्माण श्रमिकों के लिए सुविधाएं प्रदान करता है, जिसमें इंटीरियर डेकोरेटर जैसे निर्माण श्रमिक भी शामिल हैं। पंजीयन के लिए आवश्यक योग्यता आयु 18 साल या अधिक होनी चाहिए। निर्माण श्रमिक के रूप में एक साल में कम से कम 90 दिन कार्य पूर्ण किया होना चाहिए। आधार कार्ड, बैंक पासबुक, नियोजन प्रमाण पत्र, स्वघोषणा पत्र, आवेदक के पास होना आवश्यक है। पंजीयन से श्रमिक कार्ड के माध्यम से आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं। वहीं विभिन्न योजनाओं का लाभ, जैसे मेधावी छात्र पुरस्कार योजना, मातृत्व हितलाभ योजना, आवास सहायता योजना आदि प्राप्त कर सकते हैं।

इंटीरियर डेकोरेटर के लिए आवश्यक कौशल और योग्यता

रचनात्मकता और डिजाइनिंग की क्षमता

रंग योजना और फर्नीचर के बारे में ज्ञान

ग्राहक के साथ संवाद करने और उनकी आवश्यकताओं को समझने की क्षमता

इंटीरियर डिजाइनिंग में शिक्षा और प्रशिक्षण

शिकायत:

1. रंगाई-पुताई के लिए काम करने वाले श्रमिकों को सस्ती दर पर नहीं मिलते संसाधन

2. पूर्णिया जैसे छोटे शहरों में दैनिक मजदूरी भी मिलती है कम

3. रोजाना काम मिलने में होती रहती है परेशानी

4. रंगाई-पुताई करने वाले करने वाले श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं

5. रंगाई-पुताई करने वाले डेकोरेटर का कहीं नहीं है ग्रुप इंश्योरेंस

सुझाव:

1. रंगाई-पुताई करने वाले श्रमिकों एवं हेल्पर की मजदूरी फिक्स हो

2. पुताई करने वाले श्रमिकों के ग्रुप इंश्योरेंस की व्यवस्था सरकार करे

3. उनके बच्चों के लिए अलग से श्रमिक विद्यालय की तर्ज पर पढ़ाई की व्यवस्था हो

4. सरकारी भवन निर्माण एवं डेकोरेशन में लोकल श्रमिकों को प्राथमिकता मिले

5. इंटीरियर डेकोरेशन के सभी श्रमिकों का पंजीयन हो

हमारी भी सुनें

1. रंगाई-पुताई करने में काफी खतरा बना रहता है। खासकर ऊंचे मकान में रंगाई-पुताई करने में खतरा बना रहता है। घर गृहस्थी परिवार की भरण-पोषण करने के लिए रोजाना खतरा से खेलना आदत बन गई है।

-संजय चौहान

2. काफी रिस्क लेकर रंगाई-पुताई करने के बाद भी अच्छी मजदूरी नहीं मिलने से परिवार की भरण-पोषण करने में काफी दिक्कत होती है। किसी तरह ओवरटाइम कर परिवार की भरण-पोषण करते हैं।

-पंकज कुमार

3. बैंक में लोन लेने जाने पर कई तरह की बात पढ़ाकर वापस कर दिया जाता है। रुपए की अभाव में अपना व्यवसाय नहीं कर पाते हैं। दिन रात दुसरे के घर को चमकाने के अलावा कोई अपना अच्छा व्यवसाय नहीं चला पाने से मायूसी हैं।

-मुन्ना कुमार दास

4. घर-घर की गंदगी साफ सफाई कर रंगाई-पुताई करते हैं। इस दौरान नाक में धूल कण जाने के बाद बीमारी होने की संभावनाएं बनी रहती है। काफी संभलकर रहने के बाद भी बीमार होने की आशंकाएं बनी रहती है।

-ललन कुमार

5. रंगाई-पुताई करने वाले मजदूर एवं मिस्त्री को उचित मजदूरी नहीं मिल पाती है। काम के अभाव में कम मजदूरी मिलने के बाद भी परिवार की भरण-पोषण करने के लिए काम करना पड़ता है।

- संजय श्रीवास्तव

6. ऊंची इमारत पर साफ-सफाई रंगाई-पुताई करने में काफी दिक्कत होती है। पेंटर एवं मिस्त्री को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। ताकि पेंटर एवं मिस्त्री को गुणवत्तापूर्ण रंगाई-पुताई के साथ साथ जान को भी बचाने के लिए प्रशिक्षित होना चाहिए ‌

-प्रभु

7. रंगाई-पुताई करने वाले मजदूर एवं मिस्त्री की घर की माली हालत काफी खराब होने से जितना मजदूरी मिल जाती है उसी मजदूरी पर काम कर लिया जाता है। काम नहीं रहने पर परिवार की भरण-पोषण करने में काफी दिक्कत होती है।

-मनोज दास

8. घर के बाहर उंचा मकान में रंगाई-पुताई करने में काफी दिक्कत होती है। प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण जान हथेली पर रखकर काम करना पड़ता है। काम नहीं करने पर घर में भूखमरी छा जाएगी। काम करने पर खतरा मंडराता रहता है।

-माणिक दास

9. रंगाई-पुताई करने के समय धूल कण उड़ने से छींक आने पर कई तरह की बीमारी की आशंकाएं बनी रहती है। इस दौरान बीमार पड़ने पर काम से भी हाथ धोने के साथ साथ डाक्टर दवा के चक्कर में जमा-पूंजी भी खर्च हो जाती है।

-मनोज दास

10. रंगाई-पुताई अच्छी तरीके से डिजाइन बनाने के बावजूद कलाकारी का अतिरिक्त राशि नहीं देने से कलाकारी करने की ललक समाप्त हो जाती है। इसके बाद भी बेहतरीन तरीके से रंगाई-पुताई कर अपनी मजदूरी उठाते हैं।

-गौतम उंराव

11. रंगाई-पुताई करने के लिए रंग को मिलाना काफी मेहनत एवं तकनीक का काम रहता है। रंग मिलाने में रंग की महक से कई लोगों को परेशानी होती है। रंग की गंध लेने से पेंटरो को बीमार होने की संभावनाएं बनी रहती है।

-मुन्ना दास

12. रंगाई-पुताई करने वाले मजदूर एवं मिस्त्री को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। मिस्त्री एवं मजदूर को प्रशिक्षण के साथ कैसे खतरा से बचकर अच्छी तरीके से पेंट करे इसके लिए सभी को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। ‌

-बादल उरांव

बोले जिम्मेदार

1. कामगार श्रमिकों की कुल 20 श्रेणी में से डेकोरेशन के क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक भी आते हैं। उनका भी पंजीयन प्रखंड वार कैंप लगाकर करवाया जा रहा है। पूर्णिया जिले में अब तक 53,897 निर्माण श्रमिकों का पंजीयन किया गया है जिसमें इंटीरियर डेकोरेटर के क्षेत्र में काम करने वाले कई श्रमिक भी हैं।

-संजीव कुमार, उप श्रम आयुक्त, पूर्णिया

2. निर्माण श्रमिकों की तरह इंटीरियर डेकोरेशन के क्षेत्र में काम करने वाले सभी श्रमिकों एवं टेक्नीशियन का पंजीयन करवाने के लिए विभाग को लिखा जा रहा है। अधिकांश रंगाई-पुताई करने वाले श्रमिक शहरी क्षेत्र में रह रहे हैं। उनकी समस्याओं का समाधान हर हाल में करवाया जाएगा।

-विजय खेमका, विधायक, पूर्णिया सदर

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