बोले जमुई : जमुई में ट्रेनों का स्टॉपेज बढ़े तो कुलियों की भी बढ़ेगी आमदनी
जमुई रेलवे स्टेशन पर कुलियों की संख्या कम हो रही है। पहले ये अपनी सेवाएं देकर अच्छी आमदनी करते थे, लेकिन अब महंगाई और आधुनिक बैग के कारण उनकी आमदनी घट गई है। 2008 में नौकरी की आस में कुछ कुली काम छोड़...
स्टेशन पर ट्रेन से उतरते ही कानों में आवाज आती है, कुली चाहिए क्या? लाल रंग के कुर्ते या शर्ट में अपनी सेवा दे रहे कुलियों की संख्या अब घटती जा रही है। ये वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। रेल यात्रियों के सामान और माल ढुलाई के लिए इन्हें लाइसेंस प्रदान किया जाता है। 2008 में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के कुलियों को चतुर्थवर्गीय कर्मियों में नौकरी देने की घोषणा की थी। नौकरी की आस में ये अपना काम छोड़ भी नहीं पाए। दूसरों का बोझ उठाते-उठाते जिंदगी निकल गई। अब परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। पहिए वाले बैग ने कमाई कम कर दी। संवाद के दौरान कुलियों ने कहा कि अब हमारी समस्या सुनने वाला भी कोई नहीं है।
06 से अधिक हैं जमुई जिले में रेलवे स्टेशन
03 सौ से 500 तक हो पाती है प्रतिदिन कमाई
02 प्लेटफार्म ही हैं जमुई मुख्यालय स्टेशन पर
जमुई रेलवे स्टेशन पर कार्यरत कुली की लाल वर्दी पर संकट मंडरा रहा है। अब इस कार्य में लगे कुली अपने पेशे से विमुख होते जा रहे हैं। इसका कारण यह है कि इस मंहगाई के दौर में दिन भर मेहनत करने के बाद भी वे अपने परिजनों के लिए भरपेट भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाते। शुरुआती दौर में तो कुली अपनी समस्या को पदाधिकारियों के पास रख भी रहे थे किन्तु अब वे कहते हैं कि व्यवस्था की मार से अब थक चुके हैं। कोई भी पदाधिकारी मजबूरी समझने को तैयार नहीं हैं। कुलियों ने कहा कि जिला मुख्यालय का स्टेशन होने के कारण जमुई स्टेशन पर अन्य ट्रेनों में भी लोडिंग व अनलोडिंग की सुविधा हो तो उनकी आमदनी में इजाफा होगा। वे अपने परिजनों को दो वक्त की रोटी खिला सकते हैं। किंतु जमुई स्टेशन पर एक मात्र ट्रेन हावड़ा मोकामा पैसेंजर में सिर्फ अनलोडिंग होती है। इस कारण दिन भर की मेहनत के बाद मात्र 200-250 रुपए की आमदनी होती है। इस स्थिति में परिवार का गुजारा कैसे होगा?
जिला मुख्यालय स्टेशन पर सिर्फ 11 कुली हैं कार्यरत :
जमुई रेलवे स्टेशन जिला मुख्यालय का स्टेशन है जहां रोजगार की संभावना है। पूर्व में जिला के व्यवसायी ट्रेन के माध्यम से अपना सामान दिल्ली, पटना, कोलकाता व अन्य बड़े शहरों से मंगाया करते थे। किंतु धीरे-धीरे जमुई स्टेशन से लंबी दूरी की गाड़ियां बनारस एक्सप्रेस, हावड़ा दिल्ली तूफान एक्सप्रेस, बरौनी एक्सप्रेस, लालकिला एक्सप्रेस, हावड़ा दिल्ली जनता एक्सप्रेस, हावड़ा मुंबई एक्सप्रेस जैसी लंबी दूरी तक चलने वाली ट्रेनें बंद हो गई। इस ट्रेन से आने वाले पार्सल भी बंद हो गए। यही कारण है जिले के व्यवसायी दूसरी ओर रुख कर गए और कुलियों की आमदनी घट गई। इसके बाद न ही लंबी दूरी की ट्रेनें चलीं और न ही पार्सल सेवा।
तत्कालीन रेलमंत्री ने नौकरी देने की घोषणा की, आस टूटी :
2008 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद थे। उन्होंने स्टेशन पर कार्यरत कुलियों को रेलवे की चतुर्थ श्रेणी में नौकरी देने की घोषणा की थी। एक हद तक घोषणा जमीन पर भी उतरी, परंतु इसमें कुछ लोग ही लाभान्वित हो पाए। लेकिन कई ऐसे लाइसेंसधारी कुली थे, जिनको नौकरी नहीं मिल पाई। कई 60-64 वर्ष के हो गए। नौकरी की आस लिए उनकी उम्र भी समाप्त हो गई। लंबे समय से कई लोगों ने इंतजार किया। नौकरी नहीं मिलने के बाद लाइसेंस लेने के बाद भी उन्होंने मजबूरन कुली का पेशा छोड़कर दूसरा काम अपना लिया।
घंटों स्टेशन पर रहते हैं, नहीं मिलता काम :
कई ऐसे कुली हैं, जो पूरे दिन स्टेशन पर रहते हैं लेकिन उन्हें एक भी काम नहीं मिलता है। ट्रेनों के यात्री अपना सामान खुद लेकर चलते हैं। जमुई के ट्रेनों के यात्री सामान्य मध्यमवर्गीय घर के रहते हैं। वे स्टेशनों पर अपना सामान दूसरों से ढुलवाने से बचते हैं। जमुई स्टेशन पर कई महत्वूर्ण ट्रेनों का ठहराव नहीं है। इसमें राजधानी एक्सप्रेस, वंदे भारत सहित कई महत्वपूर्ण ट्रेनें शामिल हैं।
चक्का लगे बैग और स्वचालित सीढ़ियों ने किया बेरोजगार :
कुलियों ने बताया कि पूर्व में ऐसे बैग आते थे, जो भारी भरकम होने के कारण यात्री खुद न उठाकर कुलियों से उठवाते थे। लेकिन अब ट्रॉली बैग, सूटकेस का प्रचलन हो गया है। साथ ही स्टेशन पर आधुनिकीकरण व आरामदायक आवागमन पथ होने के कारण लोग अपने बैग-सूटकेस खुद खींचते हुए ले जाते हैं। स्वचालित सीढ़ियों ने भार ढोना और आसान कर दिया। इससे पारंपरिक कुलियों के जीविकोपार्जन पर असर पड़ रहा है।
शिकायत
1. दिन भर मेहनत करने के बाद भी मात्र दो से ढाई सौ रुपए होती है आमदनी।
2. एकमात्र ट्रेन हावड़ा मोकामा पैसेंजर में होती है अनलोडिंग।
3. कोई भी पदाधिकारी उनकी मजबूरी समझने के लिए तैयार नहीं हैं।
4. जो ट्रेन रुकती है उसका रुकने का समय कम है, इससे परेशानी होती है।
सुझाव :
1. लंबी दूरी की अन्य गाड़ियों का भी स्टेशन पर पार्सल लेने देने के लिए हो ठहराव।
2. कुलियों के लिए रेलवे स्टेशन पर विशेष व्यवस्था होनी चाहिए।
3. जिला मुख्यालय का स्टेशन होने के कारण रोजगार संभावना है, पहल हो।
4. कुलियों के लिए स्टेशन पर माल-उतारने चढ़ाने के लिए फिक्स रेट हो।
सुनें हमारी बात
40 वर्षों से कपड़ा व्यवसाय कर रहा हूं। पहले कोलकाता एवं नई दिल्ली से रेलवे पार्सल से कपड़ा बुक कर मंगवाया करता था। जमुई स्टेशन से पार्सल सेवा बंद हो जाने के बाद ट्रांसपोर्ट द्वारा कपड़ा मंगवाने लगा। लागत ज्यादा होती है। पार्सल सेवा फिर शुरू हो।
-धनंजय कुमार मिश्रा, कपड़ा व्यवसायी
40 वर्षों से जमुई स्टेशन से टमटम से पार्सल ढोया करता था। पार्सल बंद हो जाने के कारण आमदनी भी बंद हो गई। इस उम्र में अब क्या कर सकते हैं। लंबी दूरी की सभी ट्रेनों में पार्सल सेवा शुरू की जाए।
-मोहम्मद कारु
जमुई स्टेशन पर लंबी दूरी के ट्रेनों का ठहराव हो ताकि पूर्व की तरह जमुई स्टेशन से पार्सल सेवा शुरू हो सके। इससे जमुई एवं आसपास के व्यावसायियों को भी सहूलियत होगी।
-कृष्णा राव
जमुई स्टेशन पर रुकने वाली सभी ट्रेनों में लोडिंग व अनलोडिंग हो ताकि यहां अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले। आमदनी बढ़ सके।
-नारायण रावत
जो कुली शारीरिक अस्वस्थता के कारण अपना काम नहीं कर सकते उनके बच्चों के नाम उनका बिल्ला ट्रांसफर हो ताकि उनकी रोजी-रोटी चल सके।
-कपिलदेव राव
जमुई स्टेशन पर लंबी दूरी की ट्रेन चल रही थी। ट्रेन से पार्सल आते थे। अब लंबी दूरी की ट्रेनें बन्द हो गईं तो पार्सल सेवा भी बंद हो गई। हमारी आमदनी बन्द हो गई। अब खाने के भी लाले पड़ रहे हैं।
-अनिल तांती
1997 से काम कर रहे हैं। अब दिव्यांग हो गए हैं। काम नहीं कर सकते। छोटे-छोटे बच्चे हैं। कैसे परवरिश होगी, चिंता सताती है। यदि हमलोगों को भी स्थायी रोजगार मिलता तो रोजी-रोटी का जुगाड़ हो जाता।
-सोनू रावत
लोडिंग-अनलोडिंग शुरू करने पर विभाग के अधिकारी ध्यान दें। इससे हमलोगों की आमदनी बढ़ जाएगी। हमलोग भी दो वक्त की रोटी खा सकेंगे।
-विकास तांती
10 वर्षों से जमुई स्टेशन से पार्सल सेवा बंद है। बीते छह माह से हावड़ा मोकामा पैसेंजर से पार्सल अनलोडिंग शुरू हुई है। लोडिंग नहीं होती। कैसे पेट भरेगा, अधिकारियों को सोचना चाहिए।
-प्रदीप तांती
कुली पिता की जगह वर्ष 2009 से काम कर रहा हूं। बिल्ला नंबर 1386 था। आज तक नाम ट्रांसफर नहीं हो पाया है। यदि सरकार कुलियों को कुछ सहूलियत देगी भी तो हम वंचित रह जाएंगे।
-गुड्डन रावत
वर्ष 2008 के बाद बड़ी गाड़ी बंद हो जाने से रोजी-रोटी पर आफत आ गई। दिन भर मेहनत करने के बाद 200-250 रुपए से ज्यादा नहीं कमा पाते हैं। इससे जीविका तक नहीं चल पाती।
-जयराम रावत
पार्सल सेवा बंद होने के कारण कारोबारियों को काफी नुकसान हो रहा है। पहले कम समय में सामान जमुई पहुंच जाता था। पार्सल सेवा बंद होने के कारण काफी समय लग जाता है।
-मो. साहब अंसारी, व्यवसायी
पहले लोग दिल्ली, कोलकता, पटना आदि से सामान बुक कर देते थे तो दूसरे दिन या फिर उसी दिन आ जाता है। लेकिन पार्सल सेवा बंद होने के कारण व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
-मो. सेराज आलम, व्यवसायी
पहले लोग दिल्ली, कोलकता, पटना आदि शहरों से मार्केटिंग कर ट्रेन पर सामान बुक कर लेते थे। उसी ट्रेन से आ जाते थे। अब सामान को ट्रांसपोर्ट में बुक करने का झंझट होता है।
- मो. साबिर
जमुई रेलवे स्टेशन पर पार्सल सेवा बंद होने के कारण व्यवसायी वर्ग को काफी नुकसान हो रहा है। जनप्रतिनिधियों से मांग करते हैं कि पार्सल सेवा चालू कराया जाए।
- शंकर साव, सचिव, जमुई व्यावसायिक संघ
जमुई रेलवे स्टेशन पर पार्सल सेवा थी तो दुकानदारों का सामान कम समय में पहुंच जाता था। लागत कम होती थी। अब समय और लागत अधिक है। पार्सल सेवा फिर चालू हो।
-मोहन राव, पूर्व सचिव, जमुई व्यावसायिक संघ
बोले जिम्मेदार
इस स्टेशन से लंबी दूरी की ट्रेन बहुत कम चलती है। रेलवे नियमानुसार जिस भी ट्रेन का स्टॉपेज 5 मिनट होगा उसमें ही लोडिंग व अनलोडिंग की सुविधा मिलेगी। जमुई स्टेशन पर एक मात्र ट्रेन हावड़ा मोकामा का स्टॉपेज 5 मिनट का है जिसमें अनलोडिंग हो रही है। इसके साथ ही जमुई स्टेशन पर पार्सल रूम भी नहीं है। इस कारण लोडिंग की सुविधा नहीं मिल रही है।
-नीतीश कुमार, स्टेशन प्रबंधक
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