Taekwondo Training in Katihar Over 1580 Children Empowered for Self-Defense and Career Opportunities बोले कटिहार : आत्मरक्षा के साथ रोजगार का भी साधन बने ताइक्वांडो, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले कटिहार : आत्मरक्षा के साथ रोजगार का भी साधन बने ताइक्वांडो

कटिहार में ताइक्वांडो आत्मरक्षा का खेल है जिसमें 1580 से अधिक बच्चे प्रशिक्षित हो चुके हैं। मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना से खेलों में रुचि बढ़ी है। सरकार द्वारा रानी लक्ष्मीबाई महिला योजना के तहत...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 31 March 2025 11:39 PM
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बोले कटिहार : आत्मरक्षा के साथ रोजगार का भी साधन बने ताइक्वांडो

ताइक्वांडो आत्मरक्षा का खेल है। कटिहार से 1580 से अधिक बच्चे प्रशिक्षित हो चुके हैं। इस खेल की राज्य, देश और अंतरदेशीय प्रतियोगिताओं में यहां के बच्चे व युवा भागीदारी कर रहे हैं। मेडल भी मिल रहा है। सरकार की मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना के बाद खेलों के प्रति रुचि बढ़ी है। कटिहार के खेल भवन में ताइक्वांडो की सुविधा है परंतु खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति नहीं है। केवल प्रतियोगिता ही हो सकती है। इस खेल के लिए कोई खास स्थान नहीं मिला है। संसाधनों की कमी हैं। संवाद के दौरान जिले के खिलाड़ियों ने अपनी परेशानी बताई।

1580 खिलाड़ी ताइक्वांडों का प्रशिक्षण ले चुके हैं जिले भर में

24 दिन का स्कूलों में मिल रहा रानी लक्ष्मीबाई बालिका प्रशिक्षण

06 माह का कम से कम प्रशिक्षण देने की खिलाड़ियों ने उठाई मांग

कटिहार में शुरुआती समय में खेल पर बंगाली समुदाय का कब्जा था। उस समय रेल हो या खेल हो, उसमें बंगाली समुदाय के लोग फुटबॉल, वॉलीबॉल और क्रिकेट पर अपनी बढ़त बनाकर हमेशा से ही नौकरी लेते रहे। इस बीच में मार्शल आर्ट के तहत ताइक्वांडो का प्रवेश कटिहार में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के रहने वाले मृत्युंजय चतुर्वेदी और वर्धमान के सपन दास के माध्यम से हुआ। इन सभी को बुलाकर नसीम खान, इदू खान, मनोज सिंह एवं बाबुल खान को ताइक्वांडो की प्रैक्टिस शुरू हुई। इसके बाद लोगों ने भुवनेश्वर व अन्य जगहों से प्रशिक्षण प्राप्त किया। एक जानकारी के अनुसार, सीमांचल की इस क्षेत्र में सबसे पहला ब्लैक बेल्ट मनोज सिंह को मिला। हालांकि कराटे ओलंपिक में शामिल नहीं होने कारण से लोगों ने रुचि कम ली। लोगों की रुचि मार्शल आर्ट की दूसरी विधा ताइक्वांडो में बढ़ी। इसके बाद खिलाड़ियों का शील्ड लाने का सिलसिला चालू हो गया कटिहार से कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो वियतनाम सहित अन्य देशों में खेल कर आए हैं। उन्होंने अवार्ड भी लिया है। सभी राज्यों में होने वाली प्रतिस्पर्धा में ताइक्वांडो में हर एक वर्ग में किसी न किसी लड़का या लड़की ने भागीदारी की है।

लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण जरूरी :

वर्तमान समय में ताइक्वांडो में कटिहार से 1580 से अधिक बच्चे प्रशिक्षित हो चुके हैं। ताइक्वांडो में अभी तक कोई सम्मानित नौकरी किसी की नहीं मिली है लेकिन पीटीआई अलग-अलग खेल प्रशिक्षक के रूप में नौकरी मिली है। आने वाले समय में खेलो इंडिया के तहत में बच्चों को नौकरी की संभावना दिख रही है। खिलाड़ियों का कहना है कि सरकार द्वारा रानी लक्ष्मीबाई महिला योजना के तहत सर्वशिक्षा अभियान के तहत माध्यमिक विद्यालय में 24 दिवसीय ताइक्वांडो प्रशिक्षण यहां के कुशल प्रशिक्षक द्वारा दिया जाता है। खिलाड़ियों ने कुशल प्रशिक्षक से प्रशिक्षण दिलवाने की मांग की। कहा कि 24 दिन किसी भी प्रशिक्षण के लिए पूरा नहीं है। यह प्रशिक्षण कम से कम 6 महीने का होना चाहिए। इसी के साथ मार्शल आर्ट के रूप में कराटे का भी प्रशिक्षण जगह-जगह पर दिया जा रहा है परंतु इसे सरकार की मान्यता नहीं दिया गया है। कटिहार से बाहर राष्ट्रीय और विदेशी धरती पर वियतनाम में एशियाई चैंपियनशिप खेल 2024 में कटिहार के बच्चे जीत कर भारत का नाम लहराया है।

ताइक्वांडो और कराटे में अंतर :

ताइक्वांडो कोरियन मार्शल आर्ट है और कराटे जापानी मार्शल आर्ट है। ताइक्वांडो के बारे में कहा जाता है कि ताइक्वांडो एकमात्र फुल कम बैक मार्शल आर्ट है जो ओलंपिक खेलों में भी शामिल है। वहीं कराटे को ओलंपिक खेलों में अभी तक शामिल नहीं किया गया है। ताइक्वांडो में किकिंग टेक्निक्स का ज्यादा व्यवहार किया जाता है। इसमें लगभग 70 फीसदी किकिंग टेक्निक्स होता है जबकि 30 फीसदी हैंड टेक्निक शामिल होता है। वहीं कराटे में 80 फीसदी हैंड तकनीक शामिल होता है, 20 फीसदी किकिंग टेक्निक्स होता है।

खेल भवन में ताइक्वांडो की अनुमति नहीं :

खेल भवन में ताइक्वांडो खेल की सुविधा है। परंतु वहां खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति नहीं है। यहां ट्रेनिंग देने और लेने के लिए नहीं हॉल की सुविधा है। अगर कोई चैंपियनशिप होता है तो हॉल की सुविधा उपलब्ध होती है। अगर सरकार इसके इक्विपमेंट को भवन में ही उपलब्ध करा दे तो बहुत खिलाड़ियों को सुविधा मिल जाएगी।

शिकायतें

1. मार्शल आर्ट के रूप में केंद्र सरकार और राज्य सरकार कराटे को भी मान्यता नहीं।

2. खेल भवन में ताइक्वांडो खेल की सुविधा है, परंतु वहां खिलाड़ियों को खेलने की अनुमति नहीं।

3. सभी खेल के लिए ग्रामीण क्षेत्र में कुशल प्रशिक्षक नहीं होने से तैयार नहीं हो रहे खिलाड़ी।

4. जिला स्तर पर भी विभिन्न प्रतियोगिता का नहीं होता नियमित आयोजन।

सुझाव

1. राजेन्द्र स्टेडियम का स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बनने से विकास व खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा को निखारने एवं खेल कैरियर बनाने का बेहतर मौका मिलेगा।

2. मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना के तहत ताइक्वांडो खेल में कटिहार के खिलाड़ियों को मिले नौकरी

3. ताइक्वांडो फुटबॉल और क्रिकेट के जैसा लोकप्रिय नहीं है, इस खेल को ज्यादा लोकप्रिय करने की जरूरत।

4. ग्रामीण क्षेत्र के सभी स्कूलों में मेडल लाओ और नौकरी पाओ के तहत खेल को ग्रामीण बच्चों तक पहुंचाने की जरूरत।

इनकी भी सुनिए

यह फुटबॉल और क्रिकेट के जैसा लोकप्रिय नहीं है। इसलिए इस खेल को ज्यादा लोकप्रिय करने की जरूरत है। साथ-साथ आज के परिवेश में यह आत्मरक्षा की कला है। सभी महिलाओं, बच्चियों और छोटे बच्चों जरूर सीखना चाहिए।

मनोज कुमार सिंह, ट्रेनर

सरकार की ओर से आत्मरक्षा के लिए सभी महिला और बालिकाओं को ट्रेनिंग सुनिश्चित की जानी चाहिए। स्कूलों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रोजगार की संभावना बढ़ेगी तो इस तरफ दिलचस्पी भी बढ़ेगी।

शिव शंकर झा

बिहार सरकार कहती है कि मेडल लाओ और नौकरी पाओ। मैंने दो बार राष्ट्रीय, एक बार एशियाई चैंपियनशिप खेल लिया है। मेरे पास मेडल है, परंतु नौकरी नहीं हुई है। मुझे आज खेल के साथ-साथ नौकरी की भी जरूरत है।

अविनाश कुमार सहनी

खेल की अनेक विधाएं हैं सभी को सम्मान मिले। ग्रामीण क्षेत्र में कुशल प्रशिक्षक की जरूरत है। महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए ताइक्वांडो आवश्यक है।

सिमरन कुमारी

इस खेल के माध्यम से मैं नौकरी भी लूंगी। मुझसे भी छोटी-छोटी बच्चियों सीखने आती हैं और बड़े लोग भी आते हैं। सभी लोगों से सीखने और मिलने का मौका मिलता है।

क्याधु मंडल गुप्ता

मार्शल आर्ट के रूप में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कराटे के बदले ताइक्वांडो को मान्यता दी है। कराटे को आज तक भी मानता नहीं मिली है। कराटे को मान्यता मिले और उसके जानकार को रोजगार भी मिले।

विकास कुमार

कटिहार से नेशनल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपिक के लिए भागीदारी करूंगा। ओलंपिक खेलने पर नौकरी पक्की होती है। इंटरनेशनल बाजार में कराटे से ज्यादा ताइक्वांडो की मांग है।

दिव्यम कुमार

2017 में खेलना शुरू किया था। अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर एक गोल्ड, एक सिल्वर प्राप्त किया है। पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे नौकरी भी मिल जाएगी। 2025 मेरे लिए सुनहरा रहेगा।

मो. अरमान

सेल्फ डिफेंस के साथ-साथ नौकरी भी जरूरी है। मैं इसके साथ बीपीएड भी कर लूंगी और नौकरी भी निश्चित करूंगी।

पलक चौधरी

सेल्फ डिफेंस गर्ल्स के लिए बहुत जरूरी है। ताइक्वांडो से बेहतर कोई नहीं है। इसी कारण इस खेल को पसंद किया है। आज करियर में मार्शल आर्ट को भी लड़के-लड़कियां चुन रहे हैं।

आन्वी अग्रवाल

आज मेडल लाओ, नौकरी पाओ को लेकर बच्चों में उत्साह बढ़ा है। बच्चे खेल के प्रति जागरूक हो रहे हैं। खेल में भविष्य दिखाई पड़ रहा है तो लोग कार्यक्रमों की ओर मुड़ चले हैं।

आकाश कुमार

ट्रेनिंग करने के लिए आए हैं। सर्टिफिकेट प्राप्त कर अपने शहर में नौकरी करेंगे। सरकार सभी जिलों में बच्चों को खेल से जोड़े।

सिद्धांत वत्स

गांव में इस खेल को कोई जानता ही नहीं है। किसी को बताते हैं तो हंसने लगता है। मार्शल आर्ट के ताइक्वांडो में भविष्य है। ग्रामीण बच्चों तक इस खेल को पहुंचाने की जरूरत है।

अमन कुमार

ग्रामीण क्षेत्र में प्रचार-प्रसार का अभाव है। अगर यह ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैलेगा तो बच्चों में प्रतिस्पर्धा का भाव होगा। आत्मरक्षा सीखेंगे। कटिहार में इनडोर भवन प्रस्तावित है और खेल भवन में खेलने नहीं दिया जा रहा है।

कुमार गौरव

मेरे भाई-भाभी, मेरी बहन, मैं और मेरी बेटी ताइक्वांडो से जुड़े हैं। सरकार इस खेल पर ध्यान दे रही है। मार्शल आर्ट के रूप में लोगों को ताइक्वांडो में ज्यादा भविष्य दिखाई पड़ रहा है।

तापसी मंडल गुप्ता

आगरा नेशनल में पेयर पुंप्स में मेडलिस्ट हूं। कक्षा 6 में पढ़ रही हूं। खेलों में सुविधा और संसाधन बढ़ाने की जरूरत है। कराटे भी खेलती हूं। खेल में बॉडी फिटनेस के लिए आई थी।

कुसुम कुमारी

मां ने ताइक्वांडो खेल के प्रति जिज्ञासा पैदा की। तैयारी कर रहा हूं। आगरा नेशनल खेल में अपनी उम्र ग्रुप पेयर पुंप्स के साथ सिल्वर मेडल प्राप्त कर चुका हूं।

राज अमन

ताइक्वांडो का खिलाड़ी हूं। वर्तमान में परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं। ताइक्वांडो में भविष्य है। सरकार पूर्ण रूप से सहायता करे तो इसमें खिलाड़ियों का उज्जवल भविष्य हो सकता है।

रवि कमार

बोले कटिहार असर

62 कुम्हारों को विद्युत स्वचालित चाक का किया गया वितरण

कटिहार। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने बोले कटिहार संवाद के तहत 9 मार्च को जिले के कुम्हार की परेशानी को लेकर, 'माटी कला बोर्ड का हो गठन सस्ती दर पर मिले बिजली, कुम्हारों को दिया जाए निःशुल्क स्वचालित चाक' को लेकर खबर छापी गई थी। खबर प्रकाशन किए जाने के बाद ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत विद्युत स्वचालित चाक का वितरण किया गया । बिहार कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति, कटिहार के जिला अध्यक्ष प्रजापति मनोरंजन कुमार पाल ने बताया कि कुम्हारों को 10 दिवसीय प्रशिक्षण के उपरांत समेली, फलका, एवं कुर्सेला के 62 कुंभकारों को विद्युत स्वचालित चाक दिया गया। इस दौरान 54 बीपीएल सूची के कुम्हारों को नि:शुल्क वितरित किया गया, जबकि 8 एपीएल सूची के कारीगरों को 3040 रुपए लेकर चाक दिया गया। बिहार कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति कटिहार के जिला अध्यक्ष समेत सैकड़ों कुम्हारों ने हिन्दुस्तान अखबार के बोले कटिहार मुहिम के प्रति आभार व्यक्त किया।

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