इंडोर मल्टीपर्पस स्टेडियम का तय किया गया शुल्क
फोटो है : आजीवन सदस्यता शुल्क रखा गया है 25 हजार विद्यार्थियों से लिया जाएगा

भागलपुर, कार्यालय संवाददाता। टीएमबीयू प्रशासन ने नवनिर्मित इंडोर मल्टीपर्पस स्टेडियम के संचालन का शुल्क तय कर दिया है। कुलपति प्रो. जवाहर लाल की अध्यक्षता में सोमवार को आवासीय कार्यालय में वित्तीय कमेटी की बैठक में यह तय हुआ। स्टेडियम में शिक्षक और कर्मचारियों के लिए आजीवन सदस्यता शुल्क 25 हजार, परिवार के साथ 30 हजार, शिक्षक और कर्मियों के लिए वार्षिक शुल्क 5 हजार, विद्यार्थियों के लिए वार्षिक शुल्क 1200 और मासिक शुल्क 100 रुपए निर्धारित किया गया। किसी भी खेल के आयोजन के लिए प्रति हॉल छह घंटों के लिए 7 हजार रुपए लगेंगे। जबकि छह घंटा से अतिरिक्त समय के लिए प्रति घंटा 1 हजार, योगा हॉल छह घंटा के लिए 2000 रुपए, अतिरिक्त समय के लिए 500 रुपए प्रति घंटा, चेस हॉल के लिए 4000 रुपए निर्धारित किया गया।
यदि सरकार द्वारा कोई खेलकूद का आयोजन होता है, तब नियमानुसार सरकारी दर पर शुल्क देय होगा। किराए पर देने हेतु जमानत राशि 10 हजार रुपए निर्धारित की गई। किसी भी तरह की क्षति होने पर जमानत राशि से कटौती की जाएगी। विवि टीम के प्रशिक्षण हेतु खेल उपकरण एवं विभिन्न निर्धारित खेलों का प्रशिक्षण निःशुल्क होगा। विवि द्वारा अंतर विवि एवं अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता का भी आयोजन निःशुल्क होगा। प्रशिक्षक को निर्धारित दर पर पारिश्रमिक देय होगा। अनुशासनहीनता और आपत्तिजनक व्यवहार करने पर सदस्यता समाप्त करते हुए उनके प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा, साथ ही मामले में अनुशासनिक या कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। बैठक में वित्त पदाधिकारी ब्रज किशोर प्रसाद, फाइनेंस कमेटी के सदस्य गौरी शंकर डोकानिया, मुजफ्फर अहमद, आशीष कुमार सिंह आदि उपस्थित थे। बैठक में भिड़े कुलसचिव और सीनेट सदस्य टीएमबीयू के वित्तीय कमेटी की बैठक के दौरान कुलसचिव डॉ. रामाशीष पूर्वे और सीनेट सदस्य मुजफ्फर अहमद आपस में भिड़ गए। दरअसल, बैठक में कुलपति के हटाए गए वाहन चालक को वापस बहाल करने और सफाई कर्मियों की सेवा अवधि में वृद्धि पर चर्चा शुरू हुई। विवि सूत्रों के मुताबिक सीनेट सदस्य ने चालक को वापस बहाल करने का मामला उठाया। इसी बात पर कुलसचिव ने कहा कि अनुशासनहीनता के आरोप में उसे हटाया गया, इस कारण वह वापस नहीं हो सकता। इस पर सीनेटर ने कहा कि वे कुलपति से बात कर रहे हैं। इसके बाद ही दोनों में बहस हो गयी। कुलपति ने बीच बचाव कर मामला शांत कराया। इस मामले में कुलसचिव से संपर्क नहीं हो सका, जबकि सीनेटर ने कहा है कि मामले की शिकायत राजभवन से करेंगे।
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