अररिया: प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले सशक्त साहित्यकार थे रेणु।
भरगामा में रेणु साहित्य परिसर में प्रख्यात लेखक एवं स्वतंत्रता सेनानी फणीश्वर नाथ रेणु को श्रद्धांजलि दी गई। समारोह में अध्यक्ष अजय अकेला ने कहा कि रेणु ने ग्रामीण साहित्य को विश्व स्तर पर पहचान...

भरगामा, एक संवाददाता। रेणु साहित्य परिसर में प्रख्यात कथा शिल्पी एवं स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी फणीश्वर नाथ रेणु को उनकी स्मृति दिवस पर ग्रामीण परिवेश के लोगों ने बड़ी शिद्दत से याद करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह की अध्यक्षता अध्यक्षता अजय अकेला ने की। समारोह का आगाज सामूहिक रूप से रेणु के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात किया गया। मौके पर पूर्व जिला पार्षद सत्यनारायण यादव, समाजसेवी चंद्रानंद झा चाणक्य, पूर्व सरपंच गयानंद सिंह ने रेणु की बहु आयामी व्यक्तित्व एवं कृति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रेणु ने अपनी कालजयी रचनाओं से सिर्फ देश में ही नही, बल्कि विदेशों में भी भारतीय ग्रामीण साहित्य का परचम लहराया। इन लोगों ने रेणु को प्रेमचंद की परंपरा को आगे बढ़ाने वाला एक सशक्त साहित्यकार बताया। कहा कि रेणु ने ग्रामीण जन-जीवन को बड़ी बारीकी से ठेठ भाषा में उजागर किया। अजय अकेला ने कहा कि रेणु एक क्रांतिधर्मा लेखक थे, उन्होंने अपना देश आजाद कराने के पश्चात पड़ोसी देश नेपाल में राणाशाही के खिलाफ प्रजातंत्र की स्थापना करने के अलावे नेपाल से प्रथम बार रेणु ने ही रेडियो ट्रांसमीटर से यो रेडियो नेपाल हो का उद्घोष किया था। उनकी प्रथम कालजयी कृति मैला आंचल प्रकाशित होते ही साहित्य जगत में हलचल पैदा कर दी थी। कार्यक्रम में वासुदेव ठाकुर, राजेंद्र मंडल, पृथ्वी मंडल, महेंद्र मंडल, शिक्षाविद विद्यानंद यादव, संत योगानंद दास, सदानंद दास, वार्ड सदस्य ललन पासवान ,भवेश ठाकुर, सुमन ठाकुर के अलावा कोचिंग के छात्र-छात्राओं ने भी अपनी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
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