इंटर में जिला टॉप-थ्री में शामिल छात्रा के स्कूल में वर्ग कक्ष व शिक्षकों की भारी कमी
इंटर में जिला टॉप-थ्री में शामिल छात्रा के स्कूल में वर्ग कक्ष व शिक्षकों की भारी कमी इंटर में जिला टॉप-थ्री में शामिल छात्रा के स्कूल में वर्ग कक्ष व शिक्षकों की भारी कमी इंटर में जिला टॉप-थ्री में...

गौरव से गर्दिश तक 13 : गिरियक प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय : इंटर में जिला टॉप-थ्री में शामिल छात्रा के स्कूल में वर्ग कक्ष व शिक्षकों की भारी कमी पानी निकासी की व्यवस्था नहीं रहने से बरसात में विद्यालय में जमा हो जाता है पानी कई बच्चियां खेल प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर कर चुकी हैं प्रतिनिधित्व पर खेल मैदान की सुविधा नहीं विज्ञान शिक्षक के मार्गदर्शन व छात्राओं की मेहनत ने 5 साल तक इंस्पायर अवार्ड में पाया सम्मान सीमित संसाधनों में विद्यालय व्यवस्थित पर शुरुआती दौर में बच्चियां दरी पर बैठकर करती थीं पढ़ाई फोटो : प्रोजेक्ट गिरियक : गिरियक प्रखंड का प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय का भवन। बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान संवाददाता। गिरियक प्रखंड मुख्यालय से 200 मीटर की दूरी पर स्थित है गिरियक प्रखंड का प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय। इसने देश-दुनिया को कई होनहार दिये। इसके कई विद्यार्थी डॉक्टर, इंजीनियर व अन्य कई पदों पर कार्यरत हैं। विद्यालय प्रशासन पुराने गौरव को हासिल करने का प्रयास कर रहा है। सीमित संसाधनों के बावजूद इस विद्यालय के छात्राएं खेल प्रतियोगिता, इंस्पायर अवार्ड व अन्य विधाओं में राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में विद्यालय का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। विद्यालय प्रशासन की कड़ी अनुशासनिक व्यवस्था व शिक्षकों के मार्गदर्शन में इस विद्यालय की 90 फीसदी छात्राएं मैट्रिक व इंटर में सफलता हासिल कर रहे हैं। इस साल इंटर कला संकाय में इस विद्यालय की छात्रा ब्यूटी कुमारी जिले में टॉप-थ्री में शामिल होकर विद्यालय का मान बढ़ाया है। लेकिन, शिक्षा विभाग की अनदेखी की वजह से इस विद्यालय को वर्ग कक्ष व शिक्षकों की भारी कमी झेलनी पड़ रहा है। पानी निकासी की व्यवस्था नहीं रहने की वजह से बरसात में विद्यालय में पानी जमा हो जाता है, इससे शैक्षणिक व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, विद्यालय प्रशासन ने पानी की निकासी के लिए दो सोख्ता का निर्माण कराया है। लेकिन, इससे पानी की निकासी नहीं हो पाता है। विद्यालय का अस्तित्व : गिरियक प्रखंड की छात्राओं की पढ़ाई-लिखाई के लिए बहलपुर गांव व संगतपर निचली बाजार के बुद्धिजीवियों ने वर्ष 1981 में भूमि उपलब्ध करायी। ग्रामीणों के आपसी सहयोग कराकर पांच कमरों का निर्माण कराया था। ताकि, इस इलाके की बच्चियां पास के ही विद्यालय में हाईस्कूल की पढ़ाई कर सकें। शुरुआती समय में महज 80 बच्चियां नामांकित होकर पढ़ाई शुरू की थी। उन जमाने में बच्चियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए 12 शिक्षक हुआ करते थे। सरकार ने वर्ष 1983 में इस विद्यालय को स्थायी स्वीकृति प्रदान की थी। विद्यालय का उद्धाटन तत्कालीन शिक्षा मंत्री सुरेन्द्र प्रसाद तरुण ने की थी। विद्यालय की प्रथम प्राचार्य आनंद मंजरी बनायी गयी थीं। गिरियक गावं निवासी आदमपुर हाई स्कूल के पूर्व प्राचार्य इन्द्रसेन प्रसाद ने बुद्धिजीवियों से सहयोग लेकर विद्यालय भवन का निर्माण कराया था। एमएलसी का रहा काफी सहयोग : कई वर्षों तक छात्राएं को दरी पर बैठकर पढ़ाई करने की विवशता बनी रही। वर्ष 2014 में उर्मिला कुमारी को इस विद्यालय का प्राचार्य बनाया गया। उन्होंने एमएलसी नवल किशोर प्रसाद से मिलकर विद्यालय में बेंच-डेस्क की व्यवस्था कराने की अपील की। एमएलसी ने उनकी मांग पर बच्चियों को बैठने व पढ़ाई करने के लिए बेंच-डेस्क उपलब्ध कराया। विद्यालय विकास में पूर्व प्राचार्य व एमएलसी का काफी योगदान रहा। शिक्षकों की भारी कमी : इस विद्यालय में नौवीं से बारहवीं कक्षाओं तक 844 छात्राएं पढ़ाई करती हैं। नौवीं में 209, दसवीं में 304, ग्यारहवीं में 210 व बारहवीं में 210 छात्राएं पढ़ाई करती हैं। हाईस्कूल में महज तीन व प्लस-टू विद्यालय में महज छह शिक्षक हैं। हद तो यह कि हाईस्कूल में महज गणित व हिन्दी के शिक्षक हैं। अन्य विषयों की पढ़ाई कराने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षकों की कमी की वजह से विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चुनौती बना हुआ है। नौ वर्ग कक्ष में पढ़ाई करायी जाती है। कमरों की कमी की वजह से एक ही कमरा में पुस्तकालय व आईसीटी लैब व्यवस्थित है। दूसरे कमरे में प्रयोगशाला, तीसरे में स्मार्ट क्लास तो एक अन्य कमरें में आधार सेंटर स्थापित हैं। खेल मैदान नहीं : इस विद्यालय के कई बच्चियां खेल प्रतियोगिता में राज्स्तरीय प्रतियोगिता में विद्यालय का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। विज्ञान शिक्षक के मार्गदर्शन में छात्राएं वर्ष 2017 से 2022 तक लगातार इंस्पायर अवार्ड में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी कर चुकी हैं। लेकिन, विडंबना यह कि बच्चियों के लिए खेल मैदान तक नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2013 में अवधेश प्रसाद ने विज्ञान शिक्षक के रूप में योगदान किया था। तबसे विद्यालय लगातार विकास की ओर अग्रसर है। इन्हें 2024 में विद्यालय के प्राचार्य बनाया गया। इसके बाद विद्यालय में बिजली की व्यवस्था, पेयजल की समुचित व्यवस्था व सोलर पैनल की व्यवस्था करायी गयी। प्राचार्य की कड़ी अनुशासनिक व्यवस्था पर शिक्षकों के मार्गदर्शन व विद्यार्थियों की लगनशीलता ने विद्यालय के पुराने गौरव को हासिल करने का प्रयास कर रहा है। बोले प्राचार्य : विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना ही लक्ष्य है। मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में छात्राएं बेहतर रिजल्ट भी हासिल कर रही हैं। विद्यालय में पांच अतिरिक्त वर्ग कक्ष का निर्माण करा दिया जाये और विषयवार शिक्षक पदस्थापित करा दिए जाए तो छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में काफी सहूलियत होगी। अवधेश कुमार, प्राचार्य, प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय गिरियक
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