लापरवाही : 14 माह में सड़क हासों में 178 मौतें, मुआवजा महज 15 को
लापरवाही : 14 माह में सड़क हासों में 178 मौतें, मुआवजा महज 15 कोलापरवाही : 14 माह में सड़क हासों में 178 मौतें, मुआवजा महज 15 कोलापरवाही : 14 माह में सड़क हासों में 178 मौतें, मुआवजा महज 15 कोलापरवाही :...

हिन्दुस्तान पड़ताल : लापरवाही : 14 माह में सड़क हासों में 178 मौतें, मुआवजा महज 15 को 163 मृतक के परिजन भटक रहे मुआवजा के लिए नालंदा में ई-डार पर 163 सड़क हादसे के मामलों का भुगतान लंबित सबसे ज्यादा ट्रैफिक थाना के 19 मामले पेंडिंग ई-डार पर प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही आगे बढ़ेगी मुआवजा प्रक्रिया थाना जांच अधिकारी को ई-डार पर भरना होता है फॉर्मेट फोटो : सड़क हादसा : सड़क हादसा में क्षतिग्रस्त वाहन। (फाइल) बिहारशरीफ, निज प्रतिनिधि/रमेश कुमार। एक ओर सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है, दूसरी ओर सड़क हादसों में जान गंवाने वालों के परिजन मुआवजा के लिए महीनों से भटक रहे हैं। नालंदा जिले में ई-डार पोर्टल पर जनवरी 2024 से फरवरी 2025 यानि 14 माह में सड़क दुर्घटनाओं में 178 लोगों की ज्ञात वाहनों से मौत हुई। लेकिन, सिर्फ 15 को ही मुआवजा मिल पाया है। 163 मामलों में मुआवजा भुगतान लंबित है। भारत सरकार का ई-डार (इलेक्ट्रॉनिक डिटेल्स एक्सीडेंट रिपोर्ट) पोर्टल, जो दुर्घटना की जानकारी दर्ज कर मुआवजा प्रक्रिया को तेज करने के लिए बनाया गया, नालंदा में प्रभावी नहीं हो पा रहा। पुलिस अनुसंधानकर्ता द्वारा ई-डार पर जरूरी फॉर्मेट नहीं भरे गए हैं। यह फॉर्म ई-डार पोर्टल पर दुर्घटना की विस्तृत जानकारी भरने के लिए अनिवार्य है। इसके बिना मुआवजा प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती है। सबसे ज्यादा ट्रैफिक थाना के 19 मामले पेंडिंग हैं। पुलिस द्वारा ई-डार पर पूर्ण विवरण दर्ज न करने के कारण मुआवजा प्रक्रिया अटकी है। थाना क्षेत्र के जांच अधिकारी (आईओ) को फॉर्मेट में विस्तृत जानकारी भरनी होती है, लेकिन लापरवाही के चलते केवल 15 मामलों में ही प्रक्रिया शुरू हो पाई। सबसे अधिक ट्रैफिक थाना के 19 मामले लंबित हैं। अन्य थानों में चंडी और एकंगरसराय में 14-14, दीपनगर में 11, राजगीर में 10, बिंद, गिरियक और नूरसराय में 8-8, हिलसा, नगरनौसा और सरमेरा में 7-7, हरनौत और इस्लामपुर में 6-6, पावापुरी और रहुई में 5-5, नालंदा, परवलपुर, बेना और भागनबिगहा में 4-4, चिकसौरा, करायपरसुराय, सारे और थरथरी में 3-3, खुदागंज और सिलाव में 2-2, तथा बेन, बिहार, छबिलापुर, चेरो, कल्याणबिगहा, लहेरी और मानपुर में 1-1 मामला लंबित है। विभागीय नियम क्या कहते हैं: ज्ञात वाहन से मौत होने पर मुआवजा प्रक्रिया ई-डार पोर्टल के जरिए होती है। इसकी जिम्मेदारी थाना के आईओ की होती है। जबकि, अज्ञात वाहन से मौत पर मुआवजा डीटीओ कार्यालय के माध्यम से दिया जाता है। जिले में कई अनुसंधानकर्ता न तो फॉर्म भर रहे हैं, न ही पीड़ित परिवारों की सहायता कर रहे हैं। एक साल में 245 हिट एंड रन : नालंदा में बीते एक साल में कुल 422 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज हुईं। इनमें से 245 हिट एंड रन के मामले थे। इनमें से 177 दुर्घटनाएं ज्ञात वाहनों से हुईं। तकनीक तो आ गई, लेकिन संवेदनशीलता और जवाबदेही अब भी गायब है। जब तक पुलिस अनुसंधानकर्ता ई-डार की प्रक्रिया को गंभीरता से नहीं लेंगे, तब तक मृतकों के परिजन इंसाफ के लिए यूं ही भटकते रहेंगे।
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