प्रकृति आपदा की पड़ी मार, मुंह की लाली बढ़ाने वालों के चेहरे हुए स्याह
प्रकृति आपदा की पड़ी मार, मुंह की लाली बढ़ाने वालों के चेहरे हुए स्याहप्रकृति आपदा की पड़ी मार, मुंह की लाली बढ़ाने वालों के चेहरे हुए स्याहप्रकृति आपदा की पड़ी मार, मुंह की लाली बढ़ाने वालों के चेहरे...

प्रकृति आपदा की पड़ी मार, मुंह की लाली बढ़ाने वालों के चेहरे हुए स्याह आंधी व बारिश के कारण अधिकांश बरेजा और पान की फसल तबाह राजगीर व खुदागंज में 12 हेक्टेयर में होती है मगही पान की खेती फोटो पान : खुदागंज में तेज आंधी के कारण गिरा पान का बरेजा। बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान टीम। गुरुवार की शाम जिले में आयी आंधी -पानी से मक्का, गेहूं, मूंगफली, चीना समेत अन्य फसलों को नुकसान हुआ है। प्रकृति आपदा की मार सबसे अधिक मगही पान उत्पादकों पर पड़ी है। नौबत ऐसी कि जिले के राजगीर और इस्लामपुर प्रखंड को मिलाकर करीब 12 हेक्टेयर में पानी की खेती की जाती है। आंधी-बारिश के कारण करीब-करीब शतप्रतिशत पान के बरेजा व फसल को नुकसान हुआ है। कृषि विभाग की प्रारंभिक फसल सर्वे रिपोर्ट भी इसकी गवाही दे रही है। जिले के इस्लामपुर प्रखंड के बौरीडीह, मैरा बरीठ, अदूद, बौरीसराय, अर्जुन सेरथुआ, बैर कोचरा तो राजगीर के दुहैय सुहैय जैसे इलाके मगही पान की खेती के हब के रूप में जाना जाता है। पान की खेती के बूते 20 हजार से अधिक परिवारों की जीविका चलती है। बेटा - बेटी की शादी हो, घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई, सबकुछ खेती से हुई कमाई पर ही निर्भर रहती है। खुदागंज मगही कृषि संघ के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद चौरसिया बताते हैं कि आंधी-पानी ने सबकुछ तबाह कर दिया है। नयी फसल लगते ही प्रकृति आपदा पान उत्पादकों पर आफत बनकर गिरी है। फिर से बरेजा लगाकर खेती की शुरुआत करनी किसी मुसीबत से कम नहीं है। खासकर कम पूंजी वाले किसानो की हिम्मत जवाब दे रही है। क्षति का मुआवजा नहीं मिलता तो लघु किसानों के समक्ष खेती छोड़ने के अलावा और दूसरा विकल्प नहीं बचेगा। इधर, जिला उद्यान पदाधिकारी राकेश कुमार कहते हैं कि जिन पान उत्पाद किसानों को नुकसान हुआ है, उन्हें जल्द से जल्द आर्थिक मदद पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। ताकि, दोबारा से खेती शुरू करने में किसानों को परेशानी न उठानी पड़े। आम उत्पाद चिंता में : कृषि विभाग की प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट में जिले में आंधी-पानी से आम को कितना नुकसान हुआ है। इसकी चर्चा नहीं है। इस वजह से आम के बागवान चिंता में हैं। सुरेन्द्र राम, उदय कुमार व अन्य आम उत्पादकों का कहना है कि आंधी-पानी के कारण 60 फीसद टिकोले झड़ गये हैं। लेकिन, सर्वे रिपोर्ट में आम के हुए नुकसान की चर्चा नहीं करना, बागवानों के साथ धोखा है। उनकी मांग यह कि आम के बगानों का सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाए।
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