दम तोड़ रहीं स्काउट-गाइड की गतिविधियां खंडहर हो चुका भवन अब नशेड़ियों का अड्डा
मुजफ्फरपुर में स्काउट और गाइड की गतिविधियों में कमी आ रही है। सरकारी स्कूलों में रजिस्ट्रेशन में गिरावट आई है, जबकि निजी स्कूलों में सक्रियता बनी हुई है। भवन जर्जर हो चुका है और सुविधाओं में कटौती की...
मुजफ्फरपुर। जिस पाठशाला से अनुशासन, सेवा, ईमानदारी और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ बच्चे आदर्श नागरिक बनते हैं, जिले में वह खंडहर में तब्दील हो रही है। आज न केवल स्काउट-गाइड का भवन जर्जर हाल में है, बल्कि विभागीय उदासीनता के कारण इसकी गतिविधियां भी सिमट गई हैं। पिछले सत्र में तीन हजार में महज 24 सरकारी स्कूलों ने स्काउट-गाइड के प्रशिक्षण के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। हालांकि निजी स्कूलों में नियमित गतिविधियां आयोजित हो रही हैं। श्रावणी मेले में मोर्चा संभालने से लेकर आपदा के समय तत्पर रहने वाले स्काउट एंड गाइड के लिए दी जाने वाली सुविधाओं में भी कटौती कर दी गई है। रेल टिकट पर मिलने वाली रियायत अब इन्हें नहीं दी जाती। प्रशिक्षण से लेकर ड्रेस तक का शुल्क बच्चों को ही वहन करना पड़ता है। स्काउट एंड गाइड के लिए जिले का कोई बजट भी नहीं बनता। इस कारण सभी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। स्काउट एंड गाइड से जुड़े युवाओं और कर्मचारियों का कहना है कि विभागीय स्तर पर सकारात्मक पहल नहीं हुई तो जिले में स्काउट-गाइड की गतिविधियां दम तोड़ देंगी।
जिले में करीब 35 वर्ष पूर्व चंदे के पैसे से सिकंदरपुर में भारत स्काउट एंड गाइड के संचालन के लिए पांच कट्ठा जमीन खरीदी गई थी। तत्कालीन नगर विधायक रहे रघुनाथ पांडेय ने अपनी निधि से भारत स्काउट एंड गाइड के भवन का निर्माण भी कराया था। यहां स्काउट एंड गाइड को प्रशिक्षण दिया जाता था। अब यह भवन खंडहर हो चुका है। यहां नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है। भारत स्काउट एंड गाइड के जिला सचिव सह अपर मुख्य राज्य आयुक्त दिलीप कुमार का कहना है कि अपना भवन नहीं होने के कारण स्काउट एंड गाइड का प्रशिक्षण विभिन्न स्कूलों में कराना पड़ रहा है। जिला स्तरीय पदाधिकारियों की ओर से भवन निर्माण को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और निदेशालय के पदाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया, लेकिन इसके बाद भी अबतक इस दिशा में पहल नहीं की गई है। संगठन से जुड़े अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि भारत स्काउट एंड गाइड के प्रति विभाग का रवैया उदासीन है। इस कारण इस ओर बच्चों का रुझान कम हो रहा है। सरकारी स्कूलों में स्काउटिंग एंड गाइडिंग का प्रशिक्षण अनिवार्य किया गया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी इसके पदेन जिला सभापति होते हैं। इसके बाद भी स्थिति यह है कि पिछले सत्र में मात्र 24 स्कूलों ने स्काउट एंड गाइड के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। जिले में सरकारी स्कूलों की संख्या तीन हजार से अधिक है। हालांकि निजी स्कूलों ने रजिस्ट्रेशन को लेकर सक्रियता दिखाई है।
रेल टिकट में रियायत, मुफ्त मिले ड्रेस व प्रशिक्षण :
स्काउट गाइड के जिला प्रशिक्षक धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि वॉलंटियर्स प्रशिक्षण के बाद दुर्गापूजा पंडालों में भीड़ नियंत्रण, सावन की सोमवारी में कांवरियों के सहयोग से लेकर अन्य जरूरत के समय कमर कसकर खड़े रहते हैं। अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी इन्हें सुविधाएं मिलनी चाहिए। ट्रेन टिकट में रियायत भी दी जानी चाहिए। वहीं, चैपमैन बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की प्राचार्या डॉ.रेखा कुमारी ने कहा कि बड़ी संख्या में छात्राएं गाइड बनना चाहती हैं। अधिकतर बच्चियां आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आती हैं। ये ड्रेस और प्रशिक्षण शुल्क देने में सक्षम नहीं होती हैं। इन्हें ड्रेस और मुफ्त प्रशिक्षण मिलना चाहिए।
देनी पड़ रही अवैतनिक सेवा :
भारत स्काउट एंड गाइड से जुड़े कर्मियों का कहना है कि राशि के अभाव में अवैतनिक सेवा देनी पड़ रही है। कला संस्कृति एवं युवा विभाग कोई फंड नहीं दे रहा है। कुछ पुराने कर्मियों को वेतन मिल रहा है। जिले में वर्ष 2020 में योगदान देने वाले कई कर्मी अवैतनिक कार्य कर रहे हैं। इन्होंने विभाग से राशि आवंटित करने की मांग की है। वहीं, स्काउट सागर कुमार व अन्य ने बताया कि कई बच्चे स्काउटिंग से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन प्रशिक्षण शुल्क स्वयं से वहन करने और ड्रेस आदि पर होने वाले खर्च के कारण नहीं जुड़ पा रहे हैं। संसाधनों की कमी, प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव, स्कूलों के स्तर से स्काउटिंग एंड गाइडिंग में रुचि नहीं लेने के कारण भी इस ओर बच्चों का रुझान कम हो रहा है।
संगठन की मांग :
संसाधन मुहैया कराए सरकार :
भारत स्काउट एंड गाइड की ओर से प्रत्येक स्कूल में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्कूलों को चाहिए कि वे अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराएं और बच्चों को प्रशिक्षण के लिए प्रेरित करें। जिला स्तर पर प्रशिक्षण की व्यवस्था हो सके, इसके लिए जर्जर भवन की मरम्मत की जरूरत है। विभाग को चाहिए कि भवन निर्माण की दिशा में पहल करे। संसाधन मुहैया कराया जाए, ताकि निर्बाध रूप से प्रशिक्षण दिया जा सके।
- रामभरोस पंडित, जिला संगठन आयुक्त, भारत स्काउट एंड गाइड
प्रोत्साहन मिले तो संवरे कॅरियर :
स्काउट एंड गाइड का प्रशिक्षण लेने और उत्कृष्ट सेवा देने पर नामांकन से लेकर सरकारी नौकरी तक में वेटेज मिलता है। सरकारी स्कूलों को चाहिए कि वे स्वयं आगे आकर रजिस्ट्रेशन कराएं, ताकि बच्चों का कॅरियर संवरे। बेहतर सेवा देने पर राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिलता है। अनुशासन और सेवा भाव जगाने, नेतृत्व क्षमता विकसित करने के लिए स्काउटिंग एंड गाइडिंग बेहतर मंच है।
- नवनीश कुमार, जिला संगठन आयुक्त, भारत स्काउट एंड गाइड
जिला शिक्षा पदाधिकारी को पहल करने की जरूरत :
स्काउटिंग एंड गाइडिंग का प्रशिक्षण सभी स्कूलों में अनिवार्य किया गया है। डीईओ इसके पदेन जिला सभापति होते हैं। इसके बाद भी जिले के स्कूल इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। पिछले सत्र में 10% सरकारी स्कूलों ने भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया। प्रधानाध्यापकों के साथ समीक्षा बैठक कर स्काउटिंग एंड गाइडिंग का प्रशिक्षण कराने की जरूरत है।
- दिलीप कुमार, जिला सचिव सह अपर मुख्य राज्य आयुक्त, भारत स्काउट एंड गाइड
बोले जिम्मेदार :
भारत स्काउट एंड गाइड के जर्जर भवन की जगह नया भवन बने। इसको लेकर पहल की जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री ने भवन निर्माण के लिए सहयोग देने का आश्वासन दिया है। कहा है कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए स्काउटिंग एंड गाइडिंग के लिए हर संभव मदद करेंगे। हमलोग अपने स्तर से भी इसको लेकर प्रयासरत हैं। उम्मीद है कि सिकंदरपुर स्थित स्काउट एंड गाइड के भवन का निर्माण इस वर्ष हो जाएगा।
- उदय शंकर प्रसाद सिंह, राज्य सभापति, भारत स्काउट एंड गाइड
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