एफआरएस से पोषाहार वितरण कठिन सेविकाओं को भी मिले शिक्षकों का दर्जा
मधुबनी जिले में 5159 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, जिनमें से अधिकांश किराये के भवन में चल रहे हैं। सेविकाओं का कहना है कि उन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, और एफआरएस प्रणाली से पोषाहार वितरण में समस्याएं आ...
मधुबनी । मधुबनी जिले में कुल 5159 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। इनमें से अधिकतर केन्द्र किराये के भवन में संचालित हो रहा है। सिर्फ 987 केन्द्र सरकारी भवन में चल रहे हैं। करीब 3141 केन्द्रों कोे अपना भवन तक नसीब नहीं है। जिले के सभी 21 प्रखंडों में अबतक कुल 4916 आंगनबाड़ी सेविका का चयन हो चुका हैं। ये लोग अपने-अपने केन्द्रों का संचालन कर रही हैं। सेविकाओं का कहना है कि उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। उनका काम छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं विकास के लिए काम करना हैं। वे गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और बच्चों को शिक्षा प्रदान करती हैं। हेल्थ हाइजीन का ख्याल रखती हैं। टीकाकरण से स्वास्थ्य जांच और बच्चों को पौष्टिक भोजन मुहैया करवाती हैं। सेेविका कुमारी रानी, बेबी कुमारी, मेहनाज परवीन, किरण कुमारी आदि का कहना है कि बच्चों को पोषण प्रदान करने वाली सेविका और सहायिका खुद कुपोषण की शिकार हो रही हैं। सरकार नित नये फरमान लाकर सेविकाओं को परेशानी में डाल रही हैं। सेविकाओं का कहना है कि इन दिनों एफआरएस (फेस रिकॉग्नाइनाइजेशन सिस्टम) से पोषाहार का वितरण करने का निर्देश है। मगर इस सिस्टम से कई तरह की दिक्कत पैदा हो रही है। सेविका के साथ-साथ लाभार्थी भी इसमें पिस रहे हैं। इनका कहना है कि विभाग कोई सुविधा नहीं देता है। विभाग द्वारा दिया गया मोबाइल कब का खराब हो चुका है। अधिकतर सेविकाएं तकनीकी रूप से दक्ष भी नहीं हैं। इस कारण इस तरह के काम में परेशानी होती है।
एफआरएस सिस्टम से टीएचआर वितरण में परेशानी: सेेविका कुमारी रानी, बेबी कुमारी, मेहनाज परवीन, किरण कुमारी, पुष्पा कर्ण आदि ने बताया कि एफआरएस से टीएचआर वितरण करने का निर्देश तो दिया मगर इस कार्य के लिए सुविधायुक्त मोबाइल नहीं मिला है। ऐसे में एफआरएस से टीएचआर का वितरण नहीं हो पा रहा है। इस कार्य में कई घंटे लगते हैं। फिर भी कार्य प्रभावित होता है। सेविका सुषमा कुमारी, आरती कुमारी, सरिता कुमारी आदि ने बताया कि विभाग की ओर से करीब सात साल पहले साधारण मोबाइल मिला मगर वह भी अब खराब हो चुका है। मात्र सात हजार मानदेय पर कार्य करनेवाली सेविकाएं बढ़िया मोबाइल कैसे खरीदेगी। किसी दूसरे मोबाइल से एफआरएस करते समय किसी लाभुक का मोबाइल रिचार्ज नहीं रहता है, किसी का नंबर आधार से लिंक नहीं रहता है, तो किसी का नंबर बंद रहता है। ऐसी स्थिति में ओटीपी नहीं मिल पाती है।
सेविकाओं को मिले सुविधाएं : स्कूल पूर्व शिक्षक की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी सेविका को मिली है। इसके अलावा भी कई कार्य कराये जाते हैं। ऐसे में सरकार उनलोगों को शिक्षक का दर्जा देकर तमाम सुविधाएं दें, ताकि वर्षों से उपेक्षित सेविका की माली हालत में सुधार आ सके। वहीं अबतक सेविका कोटि से प्रर्यवेक्षिका की बहाली की प्रक्रिया भी लंबित हैं। अन्य जिलों में इसपर कार्य चल रहा हैं। सेविका ने कहा महज सात हजार रुपये मासिक मानदेय मिलने से न तो परिवार चला पा रहा हैं ना तो बच्चों के पढ़ाई का खर्च पूरा होता है।
बोले जिम्मेदार
अब सेविकाओं को पोषण ट्रेकर एप के माध्यम से ही सभी कार्य करने हैं। इसके लिए विभागीय गाइडलाइन जारी किया जा चुका है। सेविकाओं को प्रशिक्षण भी मिला है। सेविकाओं ने अपने पास बेहतर मोबाइल नहीं रहने की जानकारी दी है। सेविकाओं के मोबाइल से संंबंधित मांगों को लेकर विभाग को पत्र लिखा जा चुका है। जहां आंगनबाड़ी केन्द्र का भवन नहीं है, वहां पर भवन निर्माण कार्य की दिशा में प्रयास चल रहा है। इसके अलावा सेविका कोटि से पर्यवेक्षिका के चयन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। 25 से 26 अप्रैल तक विज्ञापन प्रकाशित कर दिया जाएगा।
ललिता कुमारी, डीपीओ, आईसीडीएस, मधुबनी।
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