तीन दमकल वाहनों के भरोसे है खलारी की एक लाख की आबादी
खलारी प्रखंड में अग्निशमन व्यवस्था पूरी तरह से सीसीएल पर निर्भर है। राज्य सरकार ने कोई अग्निशमन यूनिट स्थापित नहीं की है। गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं, और सीसीएल की दमकल गाड़ियां ही...

खलारी, निज प्रतिनिधि। खलारी प्रखंड में अग्निशमन व्यवस्था पूरी तरह से केंद्रीय कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के ऊपर निर्भर है। राज्य सरकार की ओर से अब तक प्रखंड में अग्निशमन यूनिट की कोई भी स्थापना नहीं की गई है। आग लगने की किसी भी घटना पर स्थानीय प्रशासन के पास सीसीएल की दमकल गाड़ियों के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता, जिससे आग पर काबू पाया जा सके। गर्मी के इस मौसम में तापमान बढ़ने के साथ-साथ आगजनी की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। सीसीएल की दमकल गाड़ियां बन रही हैं सहारा:
खलारी क्षेत्र में घर, वाहन, पुआल के ढेर और कोयले के भंडारण स्थलों पर शॉर्ट सर्किट या अन्य कारणों से आग लगने की घटनाएं आम होती जा रही हैं। ऐसे समय में डकरा स्थित सीसीएल के रेस्क्यू सेंटर से भेजी जाने वाली दमकल गाड़ियां ही आग पर काबू पाने का कार्य करती हैं। सीसीएल की यह पहल अब तक कई गंभीर घटनाओं को बड़ा रूप लेने से रोकने में सफल रही है।
रेस्क्यू सेंटर से होती है आग पर काबू पाने की व्यवस्था:
डकरा सीसीएल महाप्रबंधक कार्यालय के ठीक बगल में वर्ष 1990 में रेस्क्यू सेंटर की स्थापना की गई थी। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं में रेस्क्यू करना है, लेकिन इसे अग्निशमन की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ रही है। वर्तमान में इस केंद्र में तीन दमकल गाड़ियां उपलब्ध हैं, जबकि स्थापना के समय केवल एक गाड़ी थी।
1990 में एक दमकल, अब तीन-फिर भी पर्याप्त नहीं:
साल 1990 में जब इस रेस्क्यू सेंटर की स्थापना हुई थी, तब खलारी प्रखंड की आबादी लगभग 50 हजार के आसपास थी। आज यह संख्या एक लाख से अधिक हो चुकी है, लेकिन दमकल की गाड़ियों की संख्या केवल तीन है। आग लगने की सूचना मिलते ही रेस्क्यू ट्रेड के प्रशिक्षित कर्मचारी दमकल लेकर मौके पर पहुंचते हैं और राहत कार्य में जुट जाते हैं।
खदानों से निकलने वाले पानी का होता है उपयोग:
रेस्क्यू सेंटर की दमकल गाड़ियों में पानी भरने के लिए सीसीएल की खदानों से निकलने वाले पानी का उपयोग किया जाता है। केडीएच और डकरा खदानों से यह पानी टैंकों में स्टोर कर दमकल गाड़ियों में भरा जाता है। हालांकि, सेंटर में एक डीप बोरिंग के माध्यम से भी पानी टंकी में इकट्ठा किया जाता है, लेकिन उसमें मोटर और टंकी की क्षमता सीमित है। जरूरत है कि यहां बड़ी टंकी और उच्च क्षमता वाले मोटर की व्यवस्था हो, ताकि आपात स्थिति में तेजी से दमकल तैयार की जा सके।
स्थानीय स्तर पर फायर स्टेशन स्थापित करने की मांग:
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बढ़ती जनसंख्या और आगजनी की घटनाओं को देखते हुए खलारी प्रखंड में राज्य सरकार को जल्द से जल्द एक स्वतंत्र अग्निशमन यूनिट की स्थापना करनी चाहिए। फिलहाल सीसीएल की व्यवस्था ही एकमात्र सहारा है, लेकिन सरकारी स्तर पर ठोस पहल की सख्त जरूरत है।
कोट---
रेस्क्यू सेंटर में मौजूद तीनों दमकल गाड़ी ठीक-ठाक स्थिति में है। इसमें दो पुरानी और एक नई गाड़ी शामिल है। सभी दमकल गाड़ियों में पानी स्टोरेज करके रखा जाता है। किसी भी आपातकाल स्थिति में निपटने के लिए रेस्क्यू टीम हर समय मुस्तैद रहती है।
-खीवराज, रेस्क्यू सेंटर के प्रभारी।
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