हाईकोर्ट के आदेश पर भी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं
पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में पोस्टमार्टम और एंज्यूरी रिपोर्ट को ऑनलाइन बनाने का आदेश दिया है। अपर सचिव ने जिला प्रशासन को निर्देशित किया है कि सभी सरकारी अस्पतालों में रिपोर्ट को सॉफ्टवेयर पर तैयार...

पोस्टमार्टम एंज्यूरी रिपोर्ट ऑन लाइन नहीं बनने पर सवाल समय से एंज्यूरी रिपोर्ट नहीं मिलने से न्यायिक कार्य भी प्रभावित छपरा, नगर प्रतिनिधि। अब कागज- कलम से नहीं, सॉफ्टवेयर पर ऑनलाइन पोस्टमार्टम और एंज्यूरी रिपोर्ट बनानी है । इसके लिए सॉफ्टवेयर भी बना हुआ है। लेकिन, सारण समेत राज्य के अधिकतर जिलों में ये रिपोर्ट ऑनलाइन नहीं बनाई जा रही है। ऐसे में पटना हाईकोर्ट ने सख्ती से इसका पालन कराने का निर्देश दिया है। इसे लेकर सरकार के अपर सचिव डॉ. आदित्य प्रकाश ने जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि सभी सरकारी अस्पतालों में पोस्टमार्टम और एंज्यूरी से संबंधित रिपोर्ट अनिवार्य रूप से ऑनलाइन तैयार कराने के साथ उसे सॉफ्टवेयर पर अपलोड कराएं।
अपर सचिव ने कहा है कि यदि कोई चिकित्सक या संस्थान सॉफ्टवेयर के उपयोग से वंचित पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। अपर सचिव के आदेश के आलोक में जिला प्रशासन ने सिविल सर्जन से इस बारे में सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी को सॉफ्टवेयर का उपयोग तत्काल प्रभाव से शुरू करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने हस्तलिखित रिपोर्ट देखकर की तल्ख टिप्पणी छपरा कोर्ट के अधिवक्ता नीरज श्रीवास्तव व दीपक सिन्हा ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान हस्तलिखित रिपोर्ट देखकर तल्ख टिप्पणी की। साथ ही सरकार से सख्त सवाल किए। क्रिमिनल मिसलेनियस लालबाबू राय बनाम बिहार सरकार एवं अन्य मामले में कोर्ट ने सवाल किया कि पोस्टमार्टम व एंज्यूरी रिपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज अब तक सॉफ्टवेयर पर डिजिटली क्यों नहीं दर्ज किए जा रहे हैं। इससे न्यायिक प्रक्रिया में बाधा आ रही है। कोर्ट ने साफ किया कि जब एक कार्यप्रणाली तैयार है, तो उसका उपयोग क्यों नहीं हो रहा है? उसी के आलोक में सरकार ने सॉफ्टवेयर को 'प्रोडक्शन फेज' से निकालकर पूर्णतः लागू करने का आदेश दिया। राज्य मुख्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि पोस्टमार्टम या एंज्यूरी रिपोर्ट तैयार करने वाले हर चिकित्सक को अब सॉफ्टवेयर का उपयोग करना ही है। यदि किसी चिकित्सक को इस सॉफ्टवेयर के संचालन का प्रशिक्षण नहीं मिला है, तो जिला सिविल सर्जन उसे तत्काल प्रशिक्षण दिलवाएं। कोई रिपोर्ट अब मैनुअली तैयार नहीं करनी है। समय से नहीं मिलता है इंज्यूरी रिपोर्ट मालूम हो कि छपरा कोर्ट में कई ऐसे मामले लंबित है ,जिनमें समय से इंज्यूरी रिपोर्ट नहीं मिली है। राज्य मुख्यालय ने भी जिला प्रशासन को पूर्व में भी निर्देश जारी किया था कि वह स्वास्थ्य प्रशासन से समन्वय बनाकर पुलिस को समय से इंज्यूरी रिपोर्ट उपलब्ध कराए ताकि कोर्ट से मुकदमों का बोझ कम किया जा सके। जिला पदाधिकारी अमन समीर ने भी रिपोर्ट को लेकर कई बार स्वास्थ्य विभाग को भी दिशा निर्देश जारी किया है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर लापरवाही बढ़ती जाती है। जानिए क्या है सॉफ्टवेयर मेडिकल लीगल ऑटोप्सी एंड इंज्यूरी रिपोर्ट एक डिजिटल रिपोर्टिंग सॉफ्टवेयर है। इसे बिहार सरकार ने विशेष रूप से न्यायालय, पुलिस और प्रशासन के उपयोग के लिए तैयार किया है। इसके माध्यम से पोस्टमार्टम, चोट से संबंधित रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाणपत्र आदि को एक संरचित, डिजिटल और प्रमाणिक रूप में दर्ज किया जाता है। इससे इस रिपोर्ट को कहीं से भी ऑनलाइन देखा जा सकता है।
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