नदियां व नहरें सूखीं तो सब्जी उत्पादक व मछली पालक हुए बेचैन
दरियापुर में सब्जी उत्पादकों और मछली पालकों के लिए यह साल कठिन साबित हो रहा है। गंडक और अन्य नदियों के सूखने से फसलें प्रभावित हो रही हैं। बोरिंग से पानी लाना पड़ रहा है, जिससे लागत बढ़ गई है। स्थानीय...

दरियापुर। यह साल सब्जी उत्पादकों व मछली पालकों के लिए काफी परेशानी वाला रहा है। प्रखंड में गंडक, सुखमयी,मही व गंडकी सहित चार नदियां हैं जिनमें गंडक को छोड़ कर अन्य सभी नदियां पूरी तरह सूख गई हैं। ये नदियां अप्रैल महीने में ही सूख गई थीं। नहरें व पोखर का भी हाल यही है। गंडक नदी का पानी भी तलहटी में चला गया है। इससे बरुआ, खुशहालपुर, बारवे ,तुर्की,दरिहरा,बेलहर सहित करीब तीन दर्जन गांवों में तरबूज उत्पादक खासे परेशान हैं। दियारे के सब्जी उत्पादक भी बेहाल हैं। प्रखंड के अन्य क्षेत्र के सब्जी उत्पादक व मछली पालक भी नदियों व नहरों के सूखने से काफी परेशान व बेचैन हैं।
नदियों, नहरों व पोखर के पानी से यहां सब्जी व मछली पालन का व्यवसाय काफी फल फूल रहा था लेकिन इनके सूखने से यह व्यवसाय लगभग चौपट हो गया है। खेतों तक बिजली की व्यवस्था नहीं रहने से सब्जी उत्पादक नदियों, नहरों व पोखर के पानी से उसकी सिंचाई करते थे। मछली उत्पादक को भी इससे काफी सुविधा मिलती थी लेकिन इस साल तो हद हो गयी। मार्च से ही नदियां व नहरें सूखने लगीं। अप्रैल में तो लगभग सभी नदियां व नहरें सूख गईं तब से सब्जी उत्पादक व मछली पालक परेशान हैं। वे दूर से बोरिंग से पानी लाकर फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। पोखर में पानी डाल कर मछली को जिंदा रख रहे हैं। इसमें लागत ज्यादा आ रही है। बाजार से लोकल मछली हुई गायब दरियापुर प्रखंड लोकल मछलियों के लिए जाना जाता है। बरसात में हरदिया चंवर की मछली व बरसात के बाद नदियों की मछली से यहां के बाजार गुलज़ार रहते थे। परसा, दिघवारा, सोनपुर, अमनौर तक के व्यापारी व ग्राहक यहां लोकल मछली के लिए आते थे। प्रखंडवासी तो स्थानीय मछली का बारहों माह मजा लेते थे लेकिन अब स्थानीय लोग भी बाहरी मछलियों पर आश्रित हो गए हैं स्थानीय मछलियों की कमी से मछली बाजार में वीरानगी छा गई है। नदियों में जाल,बारी, अरसी दिखाई नहीं दे रहे हैं। पहले मछली पालक नदियों में कई जगहों पर जाल व बारी लगाए रहते थे। केस न 1 स्थानीय (नदी की)मछली के लिए मशहूर पट्टीपुल के बड़े मछली पालक हरि सहनी,परमा सहनी आदि बताते हैं कि यह साल हमलोगों के व्यवसाय के लिए बहुत परेशानी से बीत रहा है। सभी नदियां सूख गई हैं। गंगा व गंडक में भी पानी काफी कम हो गया है। ज्यादातर पोखर में मछली पालन किया जाता है। नदियों में भी मछलियां पकड़ी जाती हैं। नदियां व पोखर दोनों ही सूख गए हैं। पोखर में पानी देते देते परेशान हैं। अपने व लीज पर तालाब लेकर हमलोग मछली पालते हैं। इस बार व्यवसाय में काफी घाटा लग रहा है। सभी मछली पालकों का भी यही हाल है। केस न 2 गंडक के दियारे में तरबूज की खेती करने वाले बरुआ के योगेन्द्र सिंह, अखिलेश ओझा आदि बताते हैं कि गंडक का पानी दियारे से काफी दूर चला गया है। इससे तरबूज के उत्पादन पर काफी असर पर रहा है। तरबूज के पटवन को लेकर काफी समस्या उत्पन्न हो गई है। गंडक का पानी दूर चले जाने से बहंगी बना कर पानी लाना पड़ता है या मोटर चला कर तरबूज का पटवन करना पड़ रहा है। नमी की काफी कमी हो गई है। गनीमत है कि एक सप्ताह से पूर्वा हवा बह रही है जो तरबूज के पौधों को कुछ राहत मिल रही है। केस न 3 मुशहरी दुर्बेला के नामी सब्जी उत्पादक बिंदु सिंह, छट्ठू राय आदि बताते हैं कि इस बार सब्जी के उत्पादन में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पम्पसेट ही सहारा बना हुआ है। बोरिंग का वाटर लेवल भी काफी नीचे चला गया है जिससे बोरिंग कम पानी दे रहा है। बारिश नहीं होने से सब्जी की फसल को बचाने में काफी परेशानी हो रही है। पंपसेट से लागत ज्यादा आ रही है। मुनाफा कम हो रहा है लेकिन सब्जी की खेती ही हमलोगों का मुख्य पेशा है। इसलिए परेशानी झेल कर भी हमलोग इस खेती को करते आ रहे हैं। अब इसे छोड़ भी नहीं सकते लेकिन प्रकृति साथ नहीं दे रही है।
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